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Britain एक साल की मंदी की चपेट में आएगा, अमेरिका समेत दुनिया के कई देश पर खतरा

Britain में गैस और ईंधन की बढ़ती कीमतों के कारण बैंक ऑफ इंग्लैंड ने एक एक चेतावनी में इसका खुलासा किया है।

Edited By: Alok Kumar @alocksone
Published : Aug 04, 2022 20:56 IST, Updated : Aug 04, 2022 20:56 IST
Britain economic slow down- India TV Paisa
Photo:FILE Britain economic slow down

Britain 2022 के अंत तक एक साल की मंदी की चपेट में आ जाएगा, जो 2008 के वित्तीय संकट के बाद सबसे लंबा और 1990 के दशक जितना गहरा होगा। एक मीडिया रिपोर्ट में कहा गया है कि इस सर्दी में गैस और ईंधन की बढ़ती कीमतों के कारण बैंक ऑफ इंग्लैंड ने एक एक चेतावनी में इसका खुलासा किया है। बैंक ऑफ इंग्लैंड द्वारा ब्याज दरों को 0.5 प्रतिशत बढ़ाकर 1.75 प्रतिशत करने के बाद ब्रिटेन की हालत और भी खराब हो गई है जोकि 1997 के बाद से सबसे अधिक एकल वृद्धि है।  जानकारों का कहना है कि ब्रिटेन के अलावा दुनिया कई देश मंदी की चपेट में हैं। इसमें अमेरिका जैसी विकसित अर्थव्यवस्था भी शामिल है। आने वाले दिनों में मंदी का खतरा बढ़ने की आशंका है।

जरूरी सामान के दाम तेजी से बढ़े

महामारी और युक्रेन में युद्ध के बाद खाद्य, ईंधन, गैस और कई अन्य वस्तुओं की कीमत बढ़ रही है। डेली मेल की रिपोर्ट के मुताबिक, गवर्नर एंड्रयू बेली ने आज आर्थिक संकट और 'ऊर्जा झटके' के लिए 'रूस की कार्रवाइयों' को जिम्मेदार ठहराया। ऊर्जा की कीमतें अर्थव्यवस्था को पांच-तिमाही मंदी में धकेल देंगी - सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) 2023 में प्रत्येक तिमाही में सिकुड़ जाएगी और 2.1 प्रतिशत तक गिर जाएगी। बैंक ने गुरुवार को कहा, "उसके बाद विकास ऐतिहासिक मानकों से बहुत कमजोर है, यह भविष्यवाणी करते हुए कि 2025 तक शून्य या थोड़ा विकास होगा।" गंभीर आर्थिक स्थिति में वास्तविक घरेलू आय में लगातार दो वर्षों तक गिरावट आएगी, 1960 के दशक में रिकॉर्ड शुरू होने के बाद ऐसा पहली बार हुआ है।

बैंक ऑफ इंग्लैंड ने ब्याज दर 0.5 प्रतिशत बढ़ाई

ब्रिटेन के केंद्रीय बैंक (बैंक ऑफ इंग्लैंड) ने बढ़ती महंगाई को काबू में लाने के लिये बृहस्पतिवार को नीतिगत दर 0.5 प्रतिशत बढ़ा दी। पिछले 27 साल से अधिक समय में ब्याज दर में यह सबसे बड़ी वृद्धि है। इस वृद्धि के साथ बैंक ऑफ इंग्लैंड की नीतिगत दर बढ़कर 1.75 प्रतिशत हो गयी है। यह दिसंबर, 2008 में वैश्विक वित्तीय संकट के बाद सबसे ज्यादा है। देश में ऊंची मुद्रास्फीति को काबू में लाने के लिये धीमी गति से कदम उठाने को लेकर बैंक ऑफ इंग्लैंड की आलोचना होती रही है। मुद्रास्फीति जून में बढ़कर 9.40 प्रतिशत पहुंच गयी जो 40 साल का उच्चस्तर है। इससे लोगों के रहन-सहन की लागत काफी बढ़ गयी है। उल्लेखनीय है कि हाल ही में अमेरिकी फेडरल रिजर्व ने ब्याज दर 0.75 प्रतिशत बढ़ाकर 2.25 प्रतिशत से 2.5 प्रतिशत की थी। यूरोपीय केंद्रीय बैंक ने भी 11 साल में पहली बार पिछले महीने नीतिगत दर में 0.50 प्रतिशत की वृद्धि की।

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