Thursday, January 01, 2026
Advertisement
  1. Hindi News
  2. पैसा
  3. बिज़नेस
  4. इस साल अल नीनो से सूखे जैसे हालात, उपज में कमी और खाद्यान्न के दामों में वृद्धि संभवः वित्त मंत्रालय

इस साल अल नीनो से सूखे जैसे हालात, उपज में कमी और खाद्यान्न के दामों में वृद्धि संभवः वित्त मंत्रालय

रिपोर्ट के मुताबिक, ‘‘अर्थव्यवस्था में मजबूती देखी जा रही है, इसके सात प्रतिशत की दर से वृद्धि करने का अनुमान है जो अन्य प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं की वृद्धि की तुलना में अधिक है।

Edited By: Alok Kumar @alocksone
Published : Apr 25, 2023 02:32 pm IST, Updated : Apr 25, 2023 02:32 pm IST
किसान- India TV Paisa
Photo:PTI किसान

वित्त मंत्रालय ने अपनी मासिक आर्थिक समीक्षा में मंगलवार को कहा कि भारत को कृषि उत्पादन में कमी, दामों में वृद्धि और भूराजनीतिक परिवर्तन जैसे संभावित जोखिमों के प्रति सतर्क रहने की जरूरत है। मंत्रालय ने मासिक आर्थिक समीक्षा के मार्च संस्करण में कहा कि चालू वित्त वर्ष के लिए 6.5 प्रतिशत की वृद्धि का अनुमान विश्व बैंक और एशियाई विकास बैंक (एडीबी) के अनुमानों के अनुरूप है लेकिन कुछ कारक ऐसे भी हैं जो वर्तमान की अनुमानित वृद्धि और मुद्रास्फीति के परिणामों के अनुकूल संयोजन को प्रभावित कर सकते हैं। समीक्षा में कहा गया, ‘‘अल नीनो जिससे सूखे जैसे हालात बन सकते हैं, कृषि उपज में कमी और दामों में वृद्धि, भूराजनीतिक परिवर्तन और वैश्विक आर्थिक स्थिरता जैसे संभावित जोखिमों को देखते हुए सतर्क रहना होगा, यह आवश्यक है।’’

भारत की अर्थव्यवस्था 2022-23 में मजबूत रही

इसमें कहा गया कि ये तीनों कारक वर्तमान की अनुमानित वृद्धि और मुद्रास्फीति के परिणामों के अनुकूल संयोजन को प्रभावित कर सकते हैं। इसमें कहा गया कि महामारी और भूराजनीतिक संघर्ष के कारण उत्पन्न प्रतिकूल परिस्थितियों के बावजूद भारत की अर्थव्यवस्था 2022-23 में मजबूत रही है। रिपोर्ट के मुताबिक, ‘‘अर्थव्यवस्था में मजबूती देखी जा रही है, इसके सात प्रतिशत की दर से वृद्धि करने का अनुमान है जो अन्य प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं की वृद्धि की तुलना में अधिक है। चालू खाता घाटे में सुधार, मुद्रास्फीति के दबाव में कमी और नीतिगत दरों में वृद्धि का सामना करने के लिए पर्याप्त मजबूती वाली बैंकिंग प्रणाली से वृहद आर्थिक स्थिरता बढ़ती दिख रही है और इससे वृद्धि दर और भी टिकाऊ बनी है।’’ वित्तीय क्षेत्र के बारे में रिपोर्ट में कहा गया कि भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने बैंकिंग क्षेत्र पर निगरानी बढ़ाई है और इसके दायरे में आने वाले संस्थान बढ़े हैं।

विदेशी मुद्रा भंडार में बढ़ोतरी हो रही

बैंकों पर दबाव का परीक्षण भी समय-समय पर किया जाता है। समीक्षा के मुताबिक जमा की तेजी से निकासी होने की आशंका नहीं है क्योंकि 63 प्रतिशत जमा परिवारों द्वारा किए जाते हैं जो निकासी जल्द नहीं करते। इन सब कारकों की वजह से भारत के बैंक अमेरिका और यूरोप के बैंकों से अलग हैं। हालांकि 2021-22 में पूरे वर्ष के लिए उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) 5.5 प्रतिशत था जो 2022-23 में बढ़कर 6.7 प्रतिशत पर पहुंच गया लेकिन रिपोर्ट के मुताबिक यह 2022-23 की दूसरी छमाही में 6.1 प्रतिशत पर ही रहा जो पहली छमाही में 7.2 प्रतिशत था। इसमें कहा गया, ‘‘अंतरराष्ट्रीय जिसों के दामों में नरमी, सरकार के त्वरित कदमों और आरबीआई की मौद्रिक सख्ती ने घरेलू स्तर पर मुद्रास्फीति को काबू करने में मदद दी। परिवारों और व्यवसायों के लिए विभिन्न सर्वेक्षणों में भी ऐसा देखा गया है कि मुद्रास्फीति संबंधी अपेक्षाएं भी स्थिर प्रतीत हो रही हैं। रिपोर्ट में कहा गया कि चालू खाता घाटे के कम होने, विदेशी पूंजी की आवक से विदेशी मुद्रा भंडार में बढ़ोतरी हो रही है।

Latest Business News

Google पर इंडिया टीवी को अपना पसंदीदा न्यूज सोर्स बनाने के लिए यहां
क्लिक करें

India TV हिंदी न्यूज़ के साथ रहें हर दिन अपडेट, पाएं देश और दुनिया की हर बड़ी खबर। Business से जुड़ी लेटेस्ट खबरों के लिए अभी विज़िट करें पैसा

Advertisement
Advertisement
Advertisement