घरेलू स्टील कंपनियां अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा 60 देशों पर लगाए गए रेसिप्रोकल टैरिफ के संभावित प्रभावों का आकलन कर रही हैं। अमेरिका ने भारत पर 26 प्रतिशत टैरिफ लगाया है। कंपनियों का कहना है कि इस घटनाक्रम पर तुरंत कोई टिप्पणी करना जल्दबाजी होगी और वे स्थिति का अध्ययन कर रही हैं। टाटा स्टील के एक अधिकारी ने कहा कि कंपनी अभी स्थिति का आकलन कर रही है और इसके प्रभावों का अध्ययन करेगी। नवीन जिंदल के स्वामित्व वाली जिंदल स्टील एंड पावर लिमिटेड (JSPL) के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि कंपनी अमेरिकी घोषणाओं के प्रभाव पर बारीकी से नजर रख रही है और उचित समय पर अपनी राय साझा करेगी।
बढ़ सकता है सस्ता आयात
हालांकि, स्टील इंडस्ट्री के विशेषज्ञों का मानना है कि अमेरिका के इस कदम से वैश्विक व्यापार प्रवाह बाधित हो सकता है और भारत जैसे वैकल्पिक बाजारों पर असर पड़ सकता है, जिससे भारत में इस्पात का आयात बढ़ने की आशंका है। इंडियन स्टेनलेस स्टील डेवलपमेंट एसोसिएशन (आईएसएसडीए) के अध्यक्ष राजमणि कृष्णमूर्ति ने व्यापार स्थानांतरित होने की चिंता जताई है, उनका मानना है कि अमेरिकी टैरिफ से प्रभावित देश अपना निर्यात भारत की ओर मोड़ सकते हैं, जिससे यहां सस्ता आयात बढ़ेगा।
भारतीय बाजार में आ सकता है माल
मार्केट रिसर्च कंपनी बिगमिंट के आंकड़ों के अनुसार, 2024 में चीन, यूरोपीय संघ, जापान, वियतनाम और दक्षिण कोरिया से अमेरिका को स्टील का भारी मात्रा में आयात हुआ था, जबकि भारत से आयात तुलनात्मक रूप से कम था। बिगमिंट के सीईओ ध्रुव गोयल का मानना है कि नए टैरिफ के बाद इन देशों से इस्पात को भारतीय बाजार में भेजा जा सकता है।
भारत से जारी रहेगा निर्यात
भारत से अमेरिका को स्टील निर्यात पर स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया (सेल) के चेयरमैन अमरेंदु प्रकाश ने कहा कि यह कोई बड़ी चुनौती नहीं है, क्योंकि स्टील उत्पादन क्षमताएं रातों-रात विकसित नहीं होती हैं और अमेरिका उन वस्तुओं का आयात जारी रखेगा जिनका वे उत्पादन नहीं करते हैं। उद्योग विशेषज्ञ हृदय मोहन ने आगाह किया है कि यूरोपीय संघ से अमेरिका को निर्यात अव्यावहारिक होने के कारण भारत को चीन, दक्षिण कोरिया और जापान से इस्पात की डंपिंग का सामना करना पड़ सकता है।



































