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भारत बना विदेशी निवेशकों का पसंदीदा निवेश गंतव्य, FDI फ्लो 21 महीने के उच्चतम स्तर पर पहुंचा

आरबीआई द्वारा जारी नवीनतम आंकड़ों के अनुसार, भारत का विदेशी मुद्रा भंडार लगातार पांचवें सप्ताह बढ़कर 15 दिसंबर तक 20 महीने के उच्चतम स्तर 615.97 बिलियन डॉलर पहुंच गया। विदेशी मुद्रा भंडार में वृद्धि से आरबीआई को रुपए को स्थिर करने में मदद मिलती है।

Alok Kumar Edited By: Alok Kumar @alocksone
Updated on: December 26, 2023 13:15 IST
एफडीआई - India TV Paisa
Photo:FILE एफडीआई

भारत विदेशी निवेशकों का पसंदीदा निवेश गंतव्य बना हुआ है। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा संकलित आंकड़ों के अनुसार, भारत में आने वाला एफडीआई अक्टूबर में 21 महीने के उच्चतम स्तर पर पहुंच गया, जो अर्थव्यवस्था की मजबूत होती बुनियाद को दर्शाता है।आरबीआई के आंकड़ों के मुताबिक, अक्टूबर में भारत में शुद्ध एफडीआई सितंबर के 1.55 अरब डॉलर से बढ़कर 5.9 अरब डॉलर रहा। यह लगातार तीसरा महीना है जब शुद्ध एफडीआई में बढ़ोतरी देखी गई है।

इन 5 सेक्टर में सबसे अधिक FDI आया 

इक्विटी में पूरे एफडीआई फ्लो का लगभग चार से पांचवां हिस्सा विनिर्माण, खुदरा, ऊर्जा और वित्तीय सेवा क्षेत्र में निवेश किया गया। मॉरीशस, सिंगापुर, साइप्रस और जापान प्रमुख देश थे जहां से देश में एफडीआई का फ्लो हुआ। हालांकि, चालू वित्त वर्ष की अप्रैल-अक्टूबर अवधि के आंकड़ों से पता चलता है कि शुद्ध एफडीआई फ्लो पिछले वर्ष की समान अवधि के 20.8 बिलियन डॉलर से घटकर 10.4 बिलियन डॉलर रह गया।

दुनिया में सबसे अधिक FDI भारत में आया

इस महीने जारी संयुक्त राष्ट्र ईएससीएपी आंकड़ों के अनुसार, दुनिया भर में मंदी के बीच भारत लगातार दूसरे वर्ष 2023 में सबसे अधिक एफडीआई प्राप्त करने वाला देश बना हुआ है। एक्सटर्नल कमर्शियल बौरोइंग (ईसीबी) और नॉन-रेसिटेंट डिपोजिट अकाउंट्स के तहत शुद्ध प्रवाह पिछले वर्ष की तुलना में काफी अधिक है और बाहरी एफडीआई प्रतिबद्धताओं में भी गिरावट आई है, जिससे विदेशी मुद्रा भंडार में वृद्धि हुई है।

विदेशी मुद्रा भंडार में भी इजाफा 

आरबीआई द्वारा जारी नवीनतम आंकड़ों के अनुसार, भारत का विदेशी मुद्रा भंडार लगातार पांचवें सप्ताह बढ़कर 15 दिसंबर तक 20 महीने के उच्चतम स्तर 615.97 बिलियन डॉलर पहुंच गया। विदेशी मुद्रा भंडार में वृद्धि से आरबीआई को रुपए को स्थिर करने में मदद मिलती है। आरबीआई रुपए को दबाव में आने से रोकने के लिए अधिक डॉलर जारी कर हाजिर और वायदा मुद्रा बाजारों में हस्तक्षेप करता है। देश की विदेशी मुद्रा भंडार में किसी भी तेज गिरावट से आरबीआई के पास रुपए को स्थिर करने के लिए बाजार में हस्तक्षेप करने की गुंजाइश कम हो जाती है।

इनपुट: आईएएनएस

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