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SEBI का बड़ा एक्शन, बॉम्बे डाइंग और वाडिया परिवार पर लगाया 2 साल का प्रतिबंध, थोपा 15.75 करोड़ रुपये का जुर्माना

सेबी ने वाडिया समूह की कंपनी स्काल सर्विसेज लिमिटेड और इसके तत्कालीन निदेशक डी एस गगरात, एन एच दतनवाला, शैलेश कार्णिक, आर चंद्रशेखरन और बॉम्बे डाइंग के संयुक्त प्रबंध निदेशक एवं मुख्य वित्तीय अधिकारी दुर्गेश मेहता पर भी यह पाबंदी और जुर्माना लगाया है।

Sachin Chaturvedi Edited By: Sachin Chaturvedi @sachinbakul
Published on: October 22, 2022 16:49 IST
Bombay Dyeing Ness Wadia- India TV Paisa
Photo:FILE Bombay Dyeing Ness Wadia

Highlights

  • नुस्ली एन वाडिया, नेस वाडिया और जहांगीर वाडिया पर दो साल तक सिक्योरिटी मार्केट में लेनदेन करने से रोक
  • कंपनी के वित्तीय बयानों को गलत तरीके से पेश करने पर कुल 15.75 करोड़ रुपये का जुर्माना भी लगाया
  • इस आदेश में कहा कि जुर्माना भरने के लिए आरोपियों को 45 दिन का वक्त दिया गया है

SEBI Action: देश के मशहूर कारोबारी घराने वाडिया परिवार पर भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने बड़ी कार्रवाई की है। सेबी ने बॉम्बे डाइंग एंड मैन्यूफैक्चरिंग कंपनी लिमिटेड और इसके प्रवर्तकों नुस्ली एन वाडिया, नेस वाडिया और जहांगीर वाडिया को दो साल तक सिक्योरिटी मार्केट में लेनदेन करने से रोक दिया है। इसके साथ ही कंपनी के वित्तीय बयानों को गलत तरीके से पेश करने पर कुल 15.75 करोड़ रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है। 

वाडिया के अलावा इन पर भी पाबंदी 

सेबी ने वाडिया समूह की कंपनी स्काल सर्विसेज लिमिटेड और इसके तत्कालीन निदेशक डी एस गगरात, एन एच दतनवाला, शैलेश कार्णिक, आर चंद्रशेखरन और बॉम्बे डाइंग के संयुक्त प्रबंध निदेशक एवं मुख्य वित्तीय अधिकारी दुर्गेश मेहता पर भी यह पाबंदी और जुर्माना लगाया है। 

क्या कहा सेबी ने 

सेबी ने इस आदेश में कहा कि जुर्माना भरने के लिए आरोपियों को 45 दिन का वक्त दिया गया है। कुछ शिकायतें मिलने पर सेबी ने 2011-12 तथा 2018-19 की अवधि के लिए बॉम्बे डाइंग एंड मैन्यूफैक्चरिंग कंपनी लिमिटेड को लेकर विस्तृत जांच की थी। इसमें सेबी ने पाया कि ये कंपनियां वित्तीय बयानों को गलत तरीके से पेश करने की योजना में शामिल रही हैं। 

क्या है आरोप 

जांच में पता चला कि ये कंपनियां, बीडीएमसीएल द्वारा स्काल को 2011-12 तथा 2017-18 के बीच फ्लैटों की कथित बिक्री से मिले 2,492.94 करोड़ रुपये और 1,302.20 करोड़ रुपये के मुनाफे को बढ़ा-चढ़ाकर दिखाने और बीडीएमसीएल की वित्तीय जानकारी को गलत तरीके से पेश करने की धोखाधड़ी की योजना में शामिल थे। नियामक ने कहा कि स्काल का शेयरधारक ढांचा कुछ इस प्रकार से बनाया गया था कि सीधे तौर पर बीडीएमसीएल की इसमें महज 19 फीसदी हिस्सेदारी थी लेकिन स्काल के अन्य शेयरधारकों में अप्रत्यक्ष हिस्सेदारी के जरिए स्काल की पूरी शेयर पूंजी पर उसका पूरा कब्जा था।

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