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दुनियाभर के शेयर बाजारों को पीछे छोड़ भारतीय स्टॉक मार्केट ने कायम की बादशाहत, ऐसे नहीं फिदा हैं विदेशी निवेशक

2023 के पहले तीन महीनों में भारत में लगातार बिकवाली करने वाले एफपीआई मई में मजबूत खरीदार बने हुए हैं। एफपीआई ने 25 मई तक शेयर बाजारों के जरिए 29,668 करोड़ रुपये का निवेश किया है।

Alok Kumar Edited By: Alok Kumar @alocksone
Published on: May 29, 2023 7:22 IST
भारतीय स्टॉक मार्केट- India TV Paisa
Photo:FILE भारतीय स्टॉक मार्केट

मई महीने में अब तक भारतीय स्टॉक मार्केट ने दुनियाभर के शेयर बाजारों को पीछे छोड़ दिया है। शेयर बाजारों के रिटर्न आकंड़े पर नजर डालें तो यूरोपीय बाजारों में नकारात्मक रिटर्न दिया हैं। वहीं सिर्फ एसएंडपी 500 में सिर्फ एक प्रतिशत का रिटर्न दिया है। इनके मुकाबले निफ्टी ने 2.8 फीसदी के रिटर्न के साथ सबसे अच्छा प्रदर्शन करने वाला बाजार बन गया है। मार्केट एक्सपर्ट और जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज के मुख्य निवेश रणनीतिकार वी.के. विजय कुमार के अनुसार, भारतीय बाजार में तेजी के दो प्रमुख कारण हैं- पहला, एफपीआई का बाजार में पैसा लगाना और दूसरा, भारतीय अर्थव्यवस्था में बनी हुई मजबूती। 

विदेशी निवेशक लगातार कर रहे निवेश

कुमार के अनुसार, 2023 के पहले तीन महीनों में भारत में लगातार बिकवाली करने वाले एफपीआई मई में मजबूत खरीदार बने हुए हैं। एफपीआई ने 25 मई तक शेयर बाजारों के जरिए 29,668 करोड़ रुपये का निवेश किया है। उन्होंने कहा कि प्राथमिक बाजार के जरिए उन्होंने अतिरिक्त 5,136 करोड़ रुपये का निवेश किया है। एफपीआई द्वारा यह निवेश भारतीय अर्थव्यवस्था और वित्त वर्ष 2023-24 में कंपनियों के प्रदर्शन के प्रति उनके विश्वास का प्रतिबिंब है।

भारतीय अर्थव्यवस्था को लेकर अच्छे संकेत मिले 

नवीनतम मैक्रो डेटा से पता चलता है कि भारतीय अर्थव्यवस्था को लंबे समय तक असर डालने वाले बैंकिंग क्षेत्र और कॉर्पोरेट क्षेत्र के जोखिम की 'दोहरी समस्या' अब बीते दिनों की बात हो गई है। रिकॉर्ड लाभ और कम एनपीए के साथ बैंकिंग सेक्टर की स्थिति में सुधार हुआ है। कॉपोर्रेट क्षेत्र ऋणमुक्त है और इसलिए कॉपोर्रेट अब उधार ले सकते हैं और निवेश कर सकते हैं और बैंकों के पास उधार देने के लिए पर्याप्त पैसा है। अर्थव्यवस्था में पूंजीगत व्यय पुनरुद्धार अभी नया-नया है, लेकिन गति पकड़ रहा है। एलकेपी सिक्योरिटीज के अनुसंधान प्रमुख एस. रंगनाथन ने कहा कि मंदी के बादल और डिफॉल्ट ने कई विकसित अर्थव्यवस्थाओं को अपनी चपेट में ले लिया है। 

भारतीय कंपनियों का शानदार प्रदर्शन 

केंद्रीय बैंक द्वारा ब्याज दरों में वृद्धि पर रोक और चौथी तिमाही में भारतीय कंपनियों का प्रदर्शन शेयर बाजार की अपेक्षाओं के अनुरूप रहा है। वैश्विक विकास दर में गिरावट के बीच भारत इस वित्त वर्ष में सबसे तेजी से बढ़ती बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में से एक है। इसलिए यह कोई आश्चर्य की बात नहीं है कि एफआईआई ने इस वित्तीय वर्ष के दौरान अब तक भारतीय इक्विटी में 44,000 करोड़ रुपये का निवेश किया है। जैसा कि हॉवर्ड मार्क्‍स ने कहा, निवेशक तब पैसा कमाते हैं जब वे ऐसे काम करते हैं जो अन्य लोग करने को तैयार नहीं होते हैं। उन्होंने कहा कि ऐसे समय में जब अर्थव्यवस्था में मांग सुूस्त है, कैपेक्स-संचालित बजट द्वारा संचालित निवेश चरण पर ध्यान केंद्रित किया गया है।

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