
Share Market Closing 13th May, 2025: भारत और पाकिस्तान के बीच संघर्ष विराम के बाद सोमवार को भारतीय शेयर बाजार में छप्परफाड़ तेजी देखी गई थी। हालांकि, आज मंगलवार को भारतीय बाजार में भयावह गिरावट दर्ज की गई। मंगलवार को बीएसई सेंसेक्स 1281.68 अंकों (1.55%) की गिरावट के साथ 81,148.22 अंकों पर बंद हुआ। इसी तरह, एनएसई की निफ्टी 50 इंडेक्स भी आज 346.35 अंकों (1.39%) की बड़ी गिरावट के साथ 24,578.35 अंकों पर बंद हुआ। बताते चलें कि बाजार ने कल भारी-भरकम बढ़त के साथ कारोबार बंद किया था। सोमवार को सेंसेक्स 2975.43 अंकों की तेजी के साथ 82,429.90 अंकों पर और निफ्टी 912.80 अंक चढ़कर 24,920.80 अंकों पर बंद हुआ था।
इंफोसिस के शेयर में भारी गिरावट
मंगलवार को सेंसेक्स की 30 में से सिर्फ 5 कंपनियों के शेयर हरे निशान में बंद हुए और बाकी की सभी 25 कंपनियों के शेयर गिरावट के साथ लाल निशान में बंद हुए। इसी तरह, आज निफ्टी 50 की 50 में से सिर्फ 14 कंपनियों के शेयर बढ़त के साथ हरे निशान में बंद हुए और बाकी की 35 कंपनियों के शेयर नुकसान के साथ लाल निशान में बंद हुए। जबकि, एक कंपनी का शेयर बिना किसी गिरावट के बंद हुआ। आज सेंसेक्स की कंपनियों में शामिल सनफार्मा के शेयर सबसे ज्यादा 0.99 प्रतिशत की बढ़त और इंफोसिस के शेयर सबसे ज्यादा 3.57 प्रतिशत की गिरावट के साथ बंद हुए।
जोरदार तेजी के बाद अचानक क्यों आई बड़ी गिरावट
- भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध विराम के बाद सोमवार को भारतीय बाजार में करीब 4 प्रतिशत की तेजी दर्ज की गई। मंगलवार को निवेशक तेजी के बाद जबरदस्त मुनाफावसूली करते दिखे, जिसकी वजह से बाजार में गिरावट आई।
- अमेरिका और चीन द्वारा टैरिफ कम करने और आर्थिक रूप से सहयोग करने पर सहमति के बाद वैश्विक निवेशक भावना सकारात्मक हो गई। हालांकि, इससे भारतीय बाजारों को तुरंत लाभ नहीं मिल सकता है। कुछ जानकारों ने पहले अनुमान लगाया था कि लंबे समय तक अमेरिका-चीन तनाव वैश्विक निर्माताओं को सप्लाई चेन में विविधता लाने और भारत को एक विकल्प के रूप में विचार करने के लिए प्रेरित करेगा। तनाव कम होने के साथ, ये कथन कमजोर पड़ गया है।
- सोमवार को कच्चे तेल की कीमतें दो हफ्ते के उच्चतम स्तर पर पहुंच गईं, जिसे वैश्विक व्यापार भावना में सुधार का समर्थन मिला। ब्रेंट क्रूड बढ़कर 64.74 डॉलर प्रति बैरल हो गया, और WTI बढ़कर 61.77 डॉलर हो गया। ये दोनों पिछले पखवाड़े में 5.5% से ज्यादा बढ़ गए।
- मार्च के अंत में अमेरिकी 10-वर्षीय ट्रेजरी यील्ड 4.25% से बढ़कर 4.457% हो गया। उच्च बॉन्ड यील्ड वैश्विक निवेशकों के लिए अमेरिकी परिसंपत्तियों को ज्यादा आकर्षक बनाती है, जो अक्सर भारत जैसे उभरते बाजारों से पूंजी को दूर ले जाती है। इस प्रवृत्ति ने आज भारतीय इक्विटी पर अलग से दबाव बनाया।