
भारतीय शेयर बाजार लहूलुहान है। मार्केट में लगातार गिरावट से निवेशकों के लाखों करोड़ डूब गए हैं। हालांकि, इसके ठीक उलट सोने दिन प्रतिदिन रिकॉर्ड बनाते जा रहा है। शुक्रवार को सोने की कीमत 1,300 रुपये बढ़कर 89,400 रुपये प्रति 10 ग्राम के अबतक के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई। सोने की कीमत बढ़ने के बाद से गोल्ड एक्सचेंज-ट्रेडेड फंड (ETF) पर सबकी नजर है। एसोसिएशन ऑफ म्यूचुअल फंड्स इन इंडिया (AMFI) के आंकड़ों के अनुसार, गोल्ड ETF में निवेश दिसंबर 2024 में नौ महीने के निचले स्तर 640.16 करोड़ रुपये से बढ़कर जनवरी 2025 में 3,751.4 करोड़ रुपये हो गया, जो 486% की प्रभावशाली वृद्धि दर्शाता है। यह गोल्ड ETF के लिए अब तक का सबसे अधिक मासिक निवेश है। ऐसे में क्या यह समय गोल्ड ईटीएफ में पैसा लगाने के लिए सही है? आइए जानते हैं।
जनवरी 2025 में रिकॉर्ड निवेश
जनवरी 2025 में, गोल्ड ईटीएफ ने सबसे अधिक निवेश आया। गोल्ड ईटीएफ के प्रबंधन के तहत शुद्ध संपत्ति में जनवरी में 16.24% की वृद्धि देखी गई, जो दिसंबर में ₹44,595.60 करोड़ से बढ़कर 51,839.39 करोड़ रुपये हो गई। केंद्र सरकार द्वारा हाल ही में सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड (एसजीबी) योजना को बंद करने से परिसंपत्ति वर्ग के रूप में सोने में रुचि बढ़ी है। एसजीबी की कोई नई किश्त जारी नहीं होने के कारण, निवेशक वैकल्पिक जोखिम-मुक्त सोने के निवेश के रूप में गोल्ड ईटीएफ को चुन रहे हैं। इसकी वजह रिटर्न भी है। सोने ने 2024 के बाद 2025 में अभी तक तगड़ा रिटर्न दिया है।
गोल्ड ईटीएफ में अभी निवेश करना चाहिए?
विशेषज्ञों का कहना है कि पिछले 5 वर्षों में सोने के रिटर्न में बहुत उतार-चढ़ाव आया है। हाल के बाजार में उतार-चढ़ाव और मांग में वृद्धि को देखते हुए, सोने की कीमतें बहुत तेजी से बढ़ी है। हालांकि, यह तेजी जारी रहेगी, ऐसा नहीं है। अगर पिछले 25 साल का रिकॉर्ड देखें तो निफ्टी के मुकाबले सोने में अधिक वोलैटिलिटी रही है। इस अस्थिरता को देखते हुए, सोने पर अत्यधिक निर्भरता पोर्टफोलियो अस्थिरता का कारण बन सकती है। इसलिए, जोखिम को कम करते हुए विविधीकरण बनाए रखने के लिए कुल पोर्टफोलियो के अधिकतम 5-10% तक सोने में निवेश करना चाहिए।