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होम लोन की EMI का बोझ कम करने के लिए चुनें रीफाइनेंस का विकल्प, लेकिन इन 6 बातों का रखें ख्याल

अधिकांश होम लोन लेने वाले कम ब्याज दर और EMI का बोझ कम करने के लिए रीफाइनेंस कराते हैं। लेकिन रीफाइनेंस का यही एकमात्र लाभ नहीं हैं।

Edited by: India TV Paisa Desk
Published : April 17, 2022 12:23 IST
Home loan- India TV Paisa
Photo:FILE

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Highlights

  • होम लोन ट्रांसफर कराने से ब्याज दर कम होगी तो सेविंग बढ़ जाएगी
  • होम लोन शुरुआती वर्षों में है तो रीफाइनेंसिंग कराना ज्यादा फायदेमंद
  • मौजूदा बैंक ब्याज दर कम करने को तैयार हो तो लोन ट्रांसफर न करें

नई दिल्ली। अगर आप होम लोन की EMI का बोझ करना चाहते हैं तो आपके लिए रीफाइनेंस (होम लोन दूसरे बैंक में ट्रांसफर) एक बेहतर विकल्प हो सकता है। अपने होम लोन की रीफाइनेंस से आपको ईएमआई कम करके अपनी वित्तीय स्थिति में सुधार करने में मदद मिलती है। इसलिए, अपने होम लोन की रीफाइनेंस के पहले कुछ चीजों पर गौर करना सही रहेगा, जो आपको बेहतर विकल्प चुनने में मददगार हो सकता है। आइए, जानते हैं कि किन छह बातों का ख्याल रीफाइनेंस से पहले करें। 

क्या सचमुच आपको रीफाइनेंस कराने की जरूरत है? 

अधिकांश होम लोन लेने वाले कम ब्याज दर और EMI का बोझ कम करने के लिए रीफाइनेंस कराते हैं। लेकिन रीफाइनेंस का यही एकमात्र लाभ नहीं हैं। आप रीफाइनेंस से क्या प्राप्त करना चाहते हैं, इसकी स्पष्ट समझ होने से आपको होम लोन का सबसे बढ़िया विकल्प चुनने में मदद मिलेगी। इसलिए, सोच लें कि आप रीफाइनेंस क्यों चाहते हैं?

अपने पास पर्याप्त होम इक्विटी सुनिश्चित करें

आपके घर का बाजार मूल्य और और इस संपत्ति पर किसी लोन की बकाया राशि के बीच का अंतर होम इक्विटी कहलाता है। यह बहुमूल्य संसाधन है और अगर आपके पास अपने घर में ज्यादा इक्विटी है तो आप कम ब्याज दर के लिए योग्य हो सकते हैं। ध्यान देने की बात है कि ऋणदाता ज्यादा इक्विटी वाली ऋणियों (कर्जदारों) को कम जोखिम वाला मानते हैं। साथ ही, अगर आपके घर की कीमत कम होता है तो उस स्थिति में उच्चतर इक्विटी होने का मतलब है कि आपके अपनी संपत्ति के मूल्य से अधिक देनदारी लेने की संभावना कम होगी। नतीजतन, रीफाइनेंस के पहले अपने घर की कीमत का मूल्यांकन महत्वपूर्ण है।

अपने क्रेडिट स्कोर की जानकारी रखें 

रीफाइनेंस का फैसला करने से पहले अपना क्रेडिट स्कोर सत्यापित कर लेना जरूरी है। अपने क्रेडिट स्कोर की जानकारी होने से यह तय करने में आसानी होती है कि आपको कितनी ब्याज दर देनी होगी और आप किस-किस प्रकार के लोन के लिए योग्य हैं। अपना क्रेडिट स्कोर देखते रहना आवश्यक है क्योंकि एक भी गलती से आपका स्कोर कम हो सकता है और आपके लोन की रीफाइनेंस में मुश्किल आ सकती है। याद रखें, आपका क्रेडिट स्कोर जितना अधिक होगा, आपकी ब्याज दर उतनी ही कम होगी।

विभिन्न ऋणदाताओं का तुलनात्मक अध्ययन करें 

आपको दिए जा रहे प्रथम ब्याज दर पर ही निश्चिन्त नहीं हो जाएं। कम से कम तीन अलग-अलग ऋणदाताओं की दरों और शर्तों की तुलना कर लेनी चाहिए, जिससे कि सबसे बढ़िया सौदे का पता चल सके। यह भी ध्यान देने योग्य है कि रिफिनान्सिंग के समय जब आप सबसे बढ़िया दर की खोज करते हैं, तब ग्राहक सेवा और ऋणदाता की प्रतिष्ठा भी महत्वपूर्ण विचारणीय घटक होता है। इससे आपको सूझ-बूझ के साथ फैसला करने में मदद मिलेगी।

सभी कागजात और दस्तावेजों को व्यवस्थित रखें

 

एक बार ऋणदाता का फैसला करने लेने पर आवेदन के लिए सभी जरूरी दस्तावेजों को एकत्र कर लें। मौजूदा ऋणदाता के मामले में अनापत्ति प्रमाण-पत्र, आपकी बकाया राशि का विवरण, और मोचन निरोध पत्र (फोरक्लोशर लेटर) जरूरी दस्तावेज होते हैं। अगर आप किसी नए ऋणदाता को चुनते हैं तो आपको K.Y.C. संबंधी कागजात और आमदनी के प्रमाण के साथ पिछले तीन वर्षों के इनकम टैक्स रिटर्न की ज़रुरत होगी। इस प्रकार, समय से पहले सुनियोजित तैयारी से आपको प्रक्रिया पूरे करने में आसानी होगी और हो सकता है समय भी कम लगेगा।

अपनी ब्याज दर को लॉकइन करें 

ब्याज दर को लॉक करने के मामले में समय का बड़ा महत्व होता है। इसलिए अपने लिए सबसे अनुकूल शर्तों और दर के साथ ऋणदाता मिल जाने के बाद ब्याज दर को लॉकइन कर लें। दर को लॉक कर देने से आपके समाप्त करने के पहले ब्याज दर नहीं बढ़ेगी। अगर आपका लोन समय पर चुकता नहीं होता है तो लॉक अवधि के बढ़ने से अतिरिक्त शुल्क देना पड़ सकता है। फलस्वरूप, अपने ऋणदाता पता कर लें कि वे आम तौर पर कितना समय लेंगे और उसके बाद अपनी ब्याज दर लॉकइन कर लें। 

(लेखक ईजीलोन के फाउंडर और सीईओ प्रमोद कथूरिया हैं।)

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