जानकारों के मुताबिक, 8 मई को खत्म 16 कारोबारी दिनों के लिए लगातार एक्सचेंजों के जरिये 48,533 करोड़ रुपये की संचयी राशि के लिए इक्विटी खरीदी। हाल के दिनों में एफपीआई निवेश की पहचान उनके द्वारा निरंतर खरीदारी रही है।
जियोजीत इन्वेस्टमेंट के मुख्य निवेश रणनीतिकार वी. के. विजयकुमार के अनुसार, डॉलर इंडेक्स में गिरावट और डॉलर की कमजोरी के चलते एफपीआई अमेरिका से हटकर भारत जैसे उभरते बाजारों की ओर रुख कर रहे हैं।
एफपीआई ने फरवरी में शेयरों से 34,574 करोड़ रुपये और जनवरी में 78,027 करोड़ रुपये निकाले थे।
राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की अगुवाई में अमेरिका की व्यापार नीतियों को लेकर जो अनिश्चितता चल रही है, उससे वैश्विक स्तर पर जोखिम लेने की क्षमता प्रभावित हुई है। ऐसे में एफपीआई भारत जैसे उभरते बाजारों को लेकर सतर्कता का रुख अपना रहे हैं।
जियोजीत फाइनेंशियल सर्विसेज के मुख्य निवेश रणनीतिकार वी के विजयकुमार ने कहा कि भारत में ऊंचे मूल्यांकन की वजह से एफपीआई बिकवाली कर रहे हैं। वे अपना पैसा चीन के शेयरों में लगा रहे हैं, जहां मूल्यांकन कम है।
पिछले साल यानी 2024 में भारतीय शेयरों में एफपीआई का निवेश सिर्फ 427 करोड़ रुपये रहा था। इससे पहले 2023 में उन्होंने भारतीय शेयर बाजार में 1.71 लाख करोड़ रुपये डाले थे। इसकी तुलना में 2022 में वैश्विक केंद्रीय बैंकों द्वारा आक्रामक तरीके से नीतिगत दर बढ़ाने के बीच एफपीआई ने 1.21 लाख करोड़ रुपये निकाले थे।
साल 2023 में विदेशी निवेशकों ने भारतीय बाजार में 1.71 लाख करोड़ रुपये के शुद्ध निवेश किया था। इसकी तुलना में, 2022 में वैश्विक केंद्रीय बैंकों द्वारा दरों में आक्रामक वृद्धि के बीच एफपीआई ने 1.21 लाख करोड़ रुपये की शुद्ध निकासी की थी।
जब तक डॉलर सूचकांक 108 से ऊपर रहेगा और 10 साल के अमेरिकी बॉन्ड का प्रतिफल 4.5 प्रतिशत से ऊपर रहेगा, तब तक बिक्री जारी रहने का अनुमान है।
दिलचस्प बात यह है कि सितंबर में एफपीआई ने भारतीय शेयर बाजारों में 57,724 करोड़ रुपये का शुद्ध निवेश किया था, जो नौ माह का उच्चस्तर था।
एफपीआई की बिकवाली की वजह से प्रमुख सूचकांक अपने शीर्ष स्तर से करीब 8% नीचे आ गए हैं। आंकड़ों के अनुसार, एफपीआई ने समीक्षाधीन अवधि के दौरान बॉन्ड से सामान्य सीमा के माध्यम से 4,406 करोड़ रुपये निकाले हैं।
जियोजीत फाइनेंशियल सर्विसेज के मुख्य निवेश रणनीतिकार वी के विजयकुमार ने कहा कि एफपीआई की निरंतर बिकवाली के रुख में तत्काल बदलाव आने की संभावना नहीं है। चीन के प्रोत्साहन उपायों की वजह से एफपीआई वहां के बाजार का रुख कर रहे हैं।
नेशनल सिक्योरिटीज डिपॉजिटरी लिमिटेड (NSDL) के आंकड़ों के अनुसार, 4 अक्टूबर तक FPI ने भारतीय इक्विटी में ₹27,142 करोड़ की बिकवाली की।
जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज के मुख्य निवेश रणनीतिकार वी के विजयकुमार ने कहा कि भविष्य में बाजार में तेजी बने रहने की स्थिति में विदेशी निवेशक अधिक बिक्री कर सकते हैं। इसकी वजह यह है कि भारतीय इक्विटी बाजार का मूल्यांकन तुलनात्मक रूप से ऊंचा बना हुआ है।
देश की सॉलिड अर्थवस्वस्था और सरकारी नीतियों को ध्यान में रखते हुए विदेशी निवेशकों ने इस साल जुलाई में कुल 32,365 करोड़ रुपये के शेयर खरीदे हैं। हालांकि, अगस्त के शुरुआती दो दिनों में उन्होंने 1000 करोड़ रुपये से ज्यादा के शेयर बेचकर पैसे निकाले हैं।
आनंद राठी शेयर्स एंड स्टॉक ब्रोकर्स की यूएई बिजनेस एंड स्ट्रेटेजी की प्रमुख तनवी कंचन ने कहा कि भारत में विदेशी निवेशकों की बिक्री के मुकाबले 24 मई तक घरेलू संस्थागत निवेशकों (डीआईआई) द्वारा 40,986 करोड़ का निवेश किया गया है।
जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज के मुख्य निवेश रणनीतिकार वी के विजयकुमार ने कहा कि अमेरिका में 10-वर्षीय बॉन्ड का प्रतिफल बढ़कर 4.4 प्रतिशत हो गया है, जिससे निकट अवधि में भारत में एफपीआई निवेश प्रभावित होगा।
अमेरिका में बढ़ती बांड पैदावार चिंता का विषय है और इससे नकदी बाजार में बिकवाली का हालिया दौर शुरू हो गया है। वैश्विक शेयर बाजारों में तेजी फेड की धुरी से शुरू हुई, जिसमें 10 साल की बॉन्ड यील्ड 5 प्रतिशत से गिरकर लगभग 3.8 प्रतिशत हो गई।
भारत में एफपीआई प्रवाह में 2023 में बदलाव देखा गया और 28.7 अरब डॉलर का निवेश दर्ज किया गया। इससे पहले 2022 में एफपीआई ने घरेलू बाजार से 17.9 अरब डॉलर निकाले थे। 2023 में निवेश 2017 के बाद सबसे अधिक रहा, जब एफपीआई ने घरेलू बाजार में 30.8 अरब अमेरिकी डॉलर का निवेश किया था।
19 अक्टूबर को 5 प्रतिशत के शिखर पर पहुंचने के बाद 10-वर्षीय अमेरिकी बांड यील्ड में गिरावट शुरू हुई। पिछले दो दिनों के दौरान इसमें भारी गिरावट आई है, जिससे 3 नवंबर को यील्ड तेजी से घटकर 4.66 फीसदी रह गई। बांड यील्ड में इस उलटफेर का मुख्य कारण अमेरिकी फेडरल रिजर्व के प्रमुख जेरोम पॉवेल की टिप्पणी है।
इससे पहले, जनवरी-फरवरी के दौरान एफपीआई ने 34,000 करोड़ रुपये से अधिक की निकासी की थी।
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