Thursday, March 28, 2024
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अद्भुत: 105 साल की रामबाई ने लगाई सुनहरी दौड़, 100 और 200 मीटर में गोल्ड जीतकर रचा इतिहास

रामबाई ने राष्ट्रीय ओपन मास्टर्स एथलेटिक्स चैम्पियनशिप के शुरुआती दिन 100 और 200 मीटर की दौड़ में स्वर्ण पदक जीतकर नया कीर्तिमान स्थापित कर दिया।

Rajeev Rai Edited by: Rajeev Rai @Rajeev_Bharat
Updated on: June 21, 2022 22:02 IST
Rambai, National Open Masters Athletics Championship, man kaur- India TV Hindi
Image Source : TWITTER 105 years old Rambai won gold medal in 100m and 200m on in National Open Masters Athletics Championship

Highlights

  • रामबाई ने 100 और 200 मीटर की दौड़ में जीता गोल्ड
  • 45.40 सेकंड और एक मिनट 52.17 सेकंड में पूरा किया रेस
  • 101 साल की मान कौर का रिकॉर्ड तोड़ा

'उम्र को अगर हराना है तो शौक जिंदा रखिए, घुटने चलें या ना चलें मन उड़ता परिंदा रखिए', इस कहावत को चरितार्थ कर दिखाया है 105 साल की धाविका रामबाई ने। हालांकि यहां उनके शौक भी जिंदा हैं और घुटने भी एकदम दुरूस्त हैं। हम बात कर रहे हैं कि हरियाणा की एक ऐसी दादी की जिन्होंने 100 और 200 मीटर की दौड़ में इतिहास रच दिया है। चरखी दादरी जिले के कदमा गांव की रामबाई ने वडोदरा में आयोजित राष्ट्रीय ओपन मास्टर्स एथलेटिक्स चैम्पियनशिप के शुरुआती दिन 100 और 200 मीटर की दौड़ में स्वर्ण पदक जीतकर नया कीर्तिमान स्थापित करने के साथ-साथ उम्र को भी बौना साबित कर दिया। उन्होंने दौड़ जीतने के साथ ही दिवंगत मान कौर के रिकॉर्ड को तोड़ दिया, जिन्होंने 101 साल की उम्र में इस तरह की दौड़ में हिस्सा लिया था। 

मान कौर का रिकॉर्ड तोड़ा

इस स्पर्धा में सब की नजरें रामबाई पर ही थी और उन्होंने 100 मीटर की दौड़ को 45.40 सेकंड और 200 मीटर दौड़ को एक मिनट 52.17 सेकंड में पूरा कर 'गोल्डन डबल' हासिल किया। उनसे पहले मान कौर ने 2017 में 101 साल की उम्र में 100 मीटर की दौड़ को 74 सेकंड में पूरा किया था। 

सुबह उठकर जॉगिंग करती हैं

उम्र के इस पड़ाव पर भी खुद को इतना फिट रखने के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि मैं हर सुबह जल्दी उठती हूं और जॉगिंग करती हूं। मैं अपने घर के सारे काम खुद करती हूं। मैं खेतों मैं भी रोज काम करती हूं। 

प्रथम विश्व युद्ध के समय हुआ था जन्म

रामबाई का जन्म 1917 में हुआ था, जब प्रथम विश्व युद्ध अपने चरम पर था और जॉर्ज पंचम (महारानी एलिजाबेथ द्वितीय के दादा) का भारत पर शासन था। रामबाई ने एक साल पहले ही दौड़ना शुरू किया है और कहा कि मेरा यह प्रदर्शन मुझे अच्छा करने के लिए प्रेरित करेगा। 

विदेश में प्रतियोगिताओं में हिस्सा लेने का इरादा 

रामबाई ने अपनी इस उपलब्धि के बाद कहा कि मैं बहुत खुश हूं। यह एक दुर्लभ अहसास है। उन्होंने हंसते हुए कहा कि अब कोई मुझे रोक नहीं सकता है। मुझे खुद पर भरोसा है। मैं अब विदेश में प्रतियोगिताओं में हिस्सा लेना चाहती हूं। 

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