राघव चड्ढा ने राज्यसभा में दिल्ली सेवा विधेयक की पड़ताल के लिए एक प्रवर समिति के गठन की मांग की थी। हालांकि, कई सांसदों ने आरोप लगाया था कि राघव चड्ढा ने उनकी सहमति के बिना इस प्रस्ताव में उनका नाम जोड़ा। इसके बाद चड्ढा को निलंबित कर दिया गया था।
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