Saturday, April 20, 2024
Advertisement

पाकिस्तानी मीडिया ने सत्ता परिवर्तन का स्वागत किया, कहा- ‘विनाशकारी टकराव’ टला

‘डॉन’ अखबार ने एक संपादकीय में कहा, ‘कल (शनिवार) देर रात एक समय ऐसा लगा मानो राज्य की सभी संस्थाओं के बीच विनाशकारी टकराव हो रहा है।'

Bhasha Edited by: Bhasha
Published on: April 10, 2022 19:04 IST
Imran Khan- India TV Hindi
Image Source : PTI Imran Khan

पाकिस्तानी मीडिया ने देश में सत्ता परिवर्तन होने का रविवार को स्वागत किया और राहत जताते हुए कहा कि राज्य की संस्थाओं के बीच एक ‘विनाशकारी टकराव’ टल गया। कई दिनों के नाटकीय घटनाक्रम के आखिरकार शनिवार देर रात इमरान खान के नेतृत्व वाली सरकार को अविश्वास प्रस्ताव में शिकस्त का सामना करना पड़ा। 

मतदान आधी रात को हुआ और इससे पहले खान की अल्पमत सरकार ने विपक्षी दलों द्वारा पेश किए गए अविश्वास प्रस्ताव को रोकने की पूरी कोशिश की। ‘डॉन’ अखबार ने एक संपादकीय में कहा, ‘कल (शनिवार) देर रात एक समय ऐसा लगा मानो राज्य की सभी संस्थाओं के बीच विनाशकारी टकराव हो रहा है। यह आपदा राज्य के उच्चतम स्तरों पर आघात पहुंचाने के लिए तैयार खड़ी नजर आ रही थी।’ 

क्या थी पाकिस्तानी मीडिया की प्रतिक्रिया-

अखबार ने ‘बैक टू द पवेलियन’ शीर्षक वाले संपादकीय में कहा, ‘यहां तक​कि सत्ता जाना निश्चित होने के बावजूद भी इमरान खान न्यायपालिका और सेना प्रमुखों के साथ-साथ पूरी विधायिका के प्रमुखों को ‘आखिरी गेंद’ खेलने के लिए मजबूर करके सामान्य संसदीय प्रक्रिया को तमाशा में तब्दील करने के इच्छुक थे।’ 

‘द न्यूज इंटरनेशनल’ ने सियासी घटनाक्रम पर अपने संपादकीय में कहा कि यह सब अलग तरीके से हो सकता था। संपादकीय में कहा गया है, ‘उच्चतम न्याायालय का हस्तक्षेप हुआ, और फिर एक अराजक दिन उच्चतम न्यायालय और इस्लामाबाद उच्च न्यायालय के दरवाजे देर रात खोले गए।’ 

इसें कहा गया है, ‘दुर्भाग्य से (खान की पार्टी) पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) ने प्रक्रियाओं और संस्थाओं के प्रति सम्मान नहीं प्रकट करते हुए जिस तरह से अपना शासन चलाया, यह उसका सटीक प्रतिबिंब है।’ 

संपादकीय में कहा गया है कि खान शनिवार सुबह (संसद के निचले सदन) नेशनल असेंबली के सत्र में शामिल हो सकते थे, जब इसकी बैठक शुरू हुई। नेशनल असेंबली के अध्यक्ष उच्चतम न्यायालय के निर्देशों का पालन कर सकते थे और अविश्वास प्रस्ताव के लिए मतगणना करा सकते थे। 

सत्तारूढ़ दल और उसके प्रधानमंत्री बाहर का रास्ता देखने से पहले कुछ गरिमापूर्ण व्यवहार कर सकते थे। अखबार में कहा गया, ‘लेकिन सरकार के पिछले लगभग चार वर्षों के कामकाज की तरह पीटीआई (खान की पार्टीत्र और खान ने नेशनल असेंबली के सत्र को स्थगित करने और अविश्वास प्रस्ताव को आगे नहीं बढ़ने देने का फैसला किया।’ 

अखबारों ने क्या दी प्रतिक्रिया-

‘इमरान सत्ता से बेदखल’ संपादकीय में अखबार ने कहा, ‘देश में लगातार लोकतांत्रिक बदलाव के लिए इतने लंबे संघर्ष के बाद एक राजनेता को इन हथकंडों का सहारा लेते देखना, संविधान का अनादर करना और अविश्वास प्रस्ताव की अनुमति नहीं देना, झकझोर कर रख देने वाला और निराशाजनक था।’ 

‘द एक्सप्रेस ट्रिब्यून’ अखबार ने अपने संपादकीय में कहा कि दिन भर की कार्यवाही के दौरान विपक्ष के लगातार याद दिलाने के बावजूद खान के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पर मतदान नहीं कराया गया। अखबार ने कहा कि सरकार की ओर से अशोभनीय देरी करने की रणनीति न केवल अदालत की अवमानना ​​के समान थी, बल्कि राजनीतिक रूप से यह अराजकता पैदा करने जैसी थी। 

Latest World News

India TV पर हिंदी में ब्रेकिंग न्यूज़ Hindi News देश-विदेश की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट और स्‍पेशल स्‍टोरी पढ़ें और अपने आप को रखें अप-टू-डेट। Asia News in Hindi के लिए क्लिक करें विदेश सेक्‍शन

Advertisement
Advertisement
Advertisement