Friday, April 26, 2024
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बिहार में गजब की हेराफेरी! सरकारी स्कूल के छात्रों को भी हेडमास्टर ने बांट दिये सैनेटरी पैड्स

नीतीश कुमार सरकार स्वच्छता के प्रति जागरुकता को बढ़ावा देने की योजना के तहत राज्य की छात्राओं को मुफ्त में सेनेटरी नैपकिन उपलब्ध कराने के लिए प्रतिमाह डेढ़ सौ रुपये देती है।

IndiaTV Hindi Desk Edited by: IndiaTV Hindi Desk
Published on: January 23, 2022 17:47 IST
सैनेटरी पैड्स- India TV Hindi
Image Source : FILE PHOTO सैनेटरी पैड्स

Highlights

  • नीतीश सरकार की ये है पूरी योजना
  • सैनेटरी पैड्स के लिए छात्राओं को मिलते हैं इतने रूपए
  • सालाना इतने करोड़ का है बजट

पटना: बिहार के सारण जिले में एक सरकारी स्कूल में छात्राओं के सेनेटरी नैपकिन के पैसे छात्रों में बांटने का मामला प्रकाश में आया है। सारण जिला शिक्षा अधिकारी अजय कुमार सिंह (डीईओ) ने बताया कि वर्ष 2016-17 के दौरान एक स्कूल के सात लड़कों को भी सेनेटरी नैपकिन के लिए कथित रूप से प्रति वर्ष 150 रुपये की राशि वितरित की गई थी।

अजय कुमार सिंह ने बताया कि मांझी प्रखंड के हलकोरी साह हाईस्कूल के प्रधानाध्यापक ने अपनी रिपोर्ट में इसकी जानकारी दी है। नीतीश कुमार सरकार स्वच्छता के प्रति जागरुकता को बढ़ावा देने की योजना के तहत राज्य की छात्राओं को मुफ्त में सेनेटरी नैपकिन उपलब्ध कराने के लिए प्रतिमाह डेढ़ सौ रुपये देती है। 

डीईओ ने बताया, ‘‘मामले की जांच के लिए दो सदस्यीय समिति का गठन किया गया है। समिति के निष्कर्षों के आधार पर दोषी लोक सेवकों के खिलाफ उचित अनुशासनात्मक और विभागीय कार्रवाई शुरू की जाएगी। समिति चार दिनों के भीतर अपनी रिपोर्ट देगी।’’ बिहार के शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव संजय कुमार बार-बार प्रयास के बावजूद अपनी टिप्पणी के लिए उपलब्ध नहीं हो सके। 

गौरतलब है कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने फरवरी 2015 में सरकारी स्कूलों में लड़कियों के बीच सेनेटरी नैपकिन के वितरण की घोषणा की थी ताकि उनकी ड्रॉप आउट दर कम की जांच की जा सके और लडकियां स्वास्थ्य और स्वच्छता को लेकर जागरूक रहें। मुख्यमंत्री किशोरी स्वास्थ्य कार्यक्रम नामक इस योजना के तहत आठवीं से 10वीं कक्षा तक की प्रत्येक स्कूली लड़कियों को सेनेटरी नैपकिन खरीदने के लिए 150 रुपये सालाना प्रदान किए जाते हैं। राज्य सरकार द्वारा इस उद्देश्य के लिए सालाना करीब 60 करोड़ रुपये खर्च किए जाते हैं। इस योजना का लाभ सरकारी स्कूलों की लगभग 37 लाख छात्राओं को मिलता है।

इनपुट- भाषा

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