Friday, April 19, 2024
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जेएनयू : छात्रों की चरणबद्ध वापसी की मांग, दिन-रात के धरने पर बैठे छात्र

जेएनयू छात्र यूनियन (जेएनयूएसयू) छात्रों की चरणबद्ध वापसी की मांग करने के लिए पिछले चार दिनों से विश्विद्यालय के उत्तरी गेट के पास एक दिन-रात के धरने पर बैठा है। जेएनयूएसयू ने इस दौरान अपनी यह मांग विश्विद्यालय प्रशासन और मुख्य सुरक्षा अधिकारी (सीएसओ) के समक्ष भी रखी है। जेएनयूएसयू अध्यक्ष आइशी घोष ने कहा,

IndiaTV Hindi Desk Edited by: IndiaTV Hindi Desk
Published on: October 22, 2020 18:41 IST
JNU Demand for phased withdrawal of students, students...- India TV Hindi
Image Source : JNU JNU Demand for phased withdrawal of students, students sitting on day and night protest

नई दिल्ली। जेएनयू छात्र यूनियन (जेएनयूएसयू) छात्रों की चरणबद्ध वापसी की मांग करने के लिए पिछले चार दिनों से विश्विद्यालय के उत्तरी गेट के पास एक दिन-रात के धरने पर बैठा है। जेएनयूएसयू ने इस दौरान अपनी यह मांग विश्विद्यालय प्रशासन और मुख्य सुरक्षा अधिकारी (सीएसओ) के समक्ष भी रखी है। जेएनयूएसयू अध्यक्ष आइशी घोष ने कहा, "सीएसओ और डीओएस दोनों से अनुरोध किया गया था कि वे तुरंत छात्रों की चरणबद्ध वापसी की सुविधा प्रदान करें। इस उद्देश्य के लिए सौंपी गई समिति के कार्य में तेजी लाएं। छात्रों के प्रतिनिधित्व की भी मांग की गई थी। सीएसओ और डीओएस दोनों को बताया कि छात्रों की वापसी के प्रभाव के लिए एक परिपत्र जल्द ही आना चाहिए।"

आइशी घोष ने कहा, "हमने यह स्पष्ट किया है, कि अनुसंधान से जुड़े स्कॉलर्स के पुन प्रवेश में कोई भेदभाव नहीं होना चाहिए और सभी पाठ्यक्रमों के छात्रों को तुरंत लौटने की अनुमति दी जानी चाहिए। प्रयोगशालाओं और पुस्तकालयों को क्रियाशील होना चाहिए।"जेएनयूएसयू ने सीएसओ को स्पष्ट रूप से सूचित किया कि किसी भी कीमत पर सुरक्षा गार्ड के मासिक भुगतान से कोई वेतन कटौती नहीं की जानी चाहिए। नॉर्थ गेट पर हिंसा, धमकी और प्रतिबंध की संस्कृति को तुरंत रोका जाना चाहिए।

जेएनयूएसयू ने कहा, "घटनाओं के एक शर्मनाक मोड़ में, डीओएस ने न केवल कानूनी तौर पर गलत होने के बावजूद अनिच्छा दिखाई, बल्कि शिप्रा छात्रावास में प्रशासन के करीबी एक विशेष संगठन के सदस्यों को 15 सितंबर के बाद से मनमानी की अनुमति दी। हम इस तथ्य की कड़ी निंदा करते हैं कि न केवल एक विशेष संगठन के लोगों को वीआईपी ट्रीटमेंट दिया जा रहा है, जबकि अन्य छात्रों को वास्तविक मामलों में परेशान किया जाता है।"

जेएनयूएसयू ने धरना पर बैठना जारी रखा है। ऐसा, विश्वविद्यालय के निरंतर बंद होने के बहिष्कार और भेदभाव की संस्कृति को तुरंत रोकने के लिए किया जा रहा है। ऑनलाइन शिक्षण और संसाधनों के रूप में छात्रों के लिए एक सुरक्षा तंत्र की कमी और कई मामलों में एक असुरक्षित वातावरण महामारी के समय बहुत संकट का कारण बना है।जेएनयूएसयू के मुताबिक जब हर दूसरे विश्वविद्यालय और हर दूसरे वाणिज्यिक और गैर-वाणिज्यिक संस्थान ने वस्तुत, खोला जा चुका है तो जेएनयू विश्वविद्यालय को भी खोलना होगा।

आइशी घोष ने कहा, "इसके अलावा, हम प्रशासन से यह भी मांग करते हैं कि वे शोधार्थियों को उचित विस्तार प्रदान करें, जो विश्वविद्यालय को दोबारा खोलने के कम से कम छह महीने बाद होना चाहिए। जो छात्र स्नातक और स्नातकोत्तर के अपने अंतिम सेमेस्टर में नहीं बैठ सके, उन्हें तुरंत विश्वविद्यालय में वापस बुलाया जाना चाहिए और उनके अंतिम सेमेस्टर की परीक्षा आयोजित करने का प्रावधान किया जाना चाहिए, ताकि वे अपनी उच्च शिक्षा प्राप्त कर सकें।"

 

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