Monday, April 29, 2024
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तीस साल हो गए लेकिन, दिल है कि मानता नहीं...

नादान प्रेम किसी बंधन को नहीं मानता। एक नौजवान और एक मासूम सी लड़की की प्यारी सी प्रेम कहानी के जरिए महेश भट्ट साहब ने कई रुढ़ियां भी तोड़ डाली थी।

Vineeta Vashisth Written by: Vineeta Vashisth
Updated on: September 15, 2021 18:55 IST
dil hai ki maanta nahin- India TV Hindi
Image Source : YOUTUBE GRAB dil hai ki maanta nahin

घर से भागी एक नकचढ़ी लेकिन नादान सी लड़की, एक खूबसूरत और जोश से भरा नौजवान, अगर  राह में टकरा जाए तो मीठी नोंकझोंक बनती ही है। महेश भट्ट साहब ने 1991 में इसी प्लॉट पर जब अपनी बेटी को री-लॉन्च करने का मन बनाया तो फिल्मी पंडितों ने इसे एकबारगी रिस्की कहा था। लेकिन भट्ट साहब जमाने की कहां सुनते हैं। उन्होंने एक ऐसी रोमांटिक-कॉमेडी को परदे पर उतारने का ख्वाब बुना जिसमें हीरोइन समाज की कई रुढ़ियों को तोड़ डालती है। 

पूजा भट्ट इससे पहले 'डैडी'  के जरिए बॉलीवुड में कदम रख चुकी थी लेकिन बतौर हीरोइन उनके लिए दिल है कि माानता नहीं पहली फिल्म कही जाएगी क्योंकि 'डैडी' अनुपम खेर के इर्द गिर्द घूमती थी।  पूजा को बतौर हीरोइन लॉन्च करने के लिए महेश भट्ट चाहते तो कोई हिट फॉर्मूला अपना सकते थे लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया। फिल्म में पूजा के साथ उन्होंने हरफनमौला और क्यूट से आमिर खान को साइन किया। बेपनाह मासूम प्यार और ताजगी से भरपूर इस फिल्म ने आमिर औऱ पूजा को हिट जोड़ी में तब्दील कर दिया। हालांकि इस फिल्म के बाद इस जोड़ी की कोई दूसरी फिल्म नहीं आई लेकिन आज भी लोग इस फिल्म के जरिए इस जोड़ी का रोमांस देखकर मासूम प्यार की मिसाल को देखते हैं। 

पूजा भट्ट इस फिल्म में रईस बाप की बेटी बनी हैं जो एक धोखेबाज फिल्म स्टार के प्यार में बहककर घर से भाग निकली हैं। पिता रईस है लेकिन समझदार है और वो नहीं चाहता कि उसकी बेटी धोखा खाए। बेटी भागती है और पीछे पिता के लोग उसे खोजने निकलते हैं। फिर लड़की से राह में टकराता है रघु, एक नौजवान जिसमें जोश कूट कूट कर भरा है, हमेशा कुछ नए सनसनीखेज की तलाश में भटकता ये सुंदर सा लड़का  जब जानता है कि ये लड़की उसके लिए खबर बन सकती है तो वो उसके साथ हो लेता है। पहले लड़ना झगड़ना, नोंक झोंक,एक दूसरे की केयर करना और गुंडों से बचते बचाते सफर करती ये जोड़ी एक दूसरे से प्यार करने लगती है। फिर कुछ गलतफहमियां उनकी सच्चाई पता चलना और एक हैप्पी एंडिंग।

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भारतीय समाज में घर से भागी एक लड़की हमेशा चिंता और निंदा का विषय बनी है। नब्बे के दौर में भी यही सबब था लेकिन भट्ट साहब ने अपनी कहानी में लड़की को ना केवल घर से भागा दिखाया बल्कि उसे मंडप से भी भागता दिखाया और वो भी उसके अपने पिता की मदद से। जोखिम था लेकिन फिल्म का सबजेक्ट इतना इंटरेस्टिंग था कि भट्ट साहब खुद को रोक नहीं पाए और ये शाहकार बनाने का फैसला किया। इसमें मदद की आमिर खान की नैचुरल अदाकारी और पूजा भट्ट की ताजगी भरी मासूमियत ने। 

कहते हैं कि फिल्म के सेट पर भट्ट साहब ने पूजा भट्ट और आमिर खान को टॉम एंड जैरी का खिताब दिया था। आमिर खान खुशमिजाज एक्टर थे और पूजा तब तक हीरोइनों के कथित 'औरा' में कैद नहीं हुई थी। लिहाजा दोनों सेट पर काफी मस्ती मजाक किया करते थे। आमिर पूजा के साथ कई तरह के प्रेंक करते और पूजा डर जातीं। इस तरह टांग खिंचाई और छोटी मोटी मजाकिया नोंक झोंक में एक शानदार पिक्चर बन गई। हालांकि ऐसा इसलिए भी हो पाया क्योंकि फिल्म में आमिर और पूजा के बीच की केमेस्ट्री को रियल दिखाने के लिए भट्ट साहब इन्हें सेट पर भी वही मजाक करने दिया करते थे ताकि वही भाव स्क्रीन पर भी दिखे। 

तब आमिर खान रोमांटिक फिल्मों के लिए पहली पसंद थे। वो तब शायद उतने एक्सपेरिमेंटल नहीं थे, जितने अब कहे जाते हैं। एक खिले हुए ताजे फूल जैसी पूजा का इंडस्ट्री में पहला कदम भट्ट साहब के लिए भी शुभ रहा और आमिर खान के लिए भी। 

लोग इसे 1956 में आई राजकपूर नर्गिस की फिल्म चोरी चोरी का रीमेक कहते हैं, जिसमें सेम यही स्टोरी थी। वहीं कुछ लोग कहते हैं कि ये फिल्म 1933 में बनी हॉलीवुड फिल्म वन नाइट स्टेंड का रीमेक थी। विषय एक ही हो लेकिन अगर समय, माहौल और कहानी कहने का तरीका अलग हो तो एक बार नहीं बार बार सुपरहिट फिल्में बन सकती हैं। 

इस फिल्म से जहां आमिर खान को एक अच्छी पहचान मिली, पूजा भट्ट इंडस्ट्री में सेट हो गई वहीं अनुपम खेर की अदाकारी का नया रूप देखने को मिला। गुदगुदाता और हंसाता बाप  जो अमीर है लेकिन खड़ूस नहीं है। इस फिल्म में आमिर खान ने हर वक्त एक स्पेशल टोपी पहनी थी जो खासी फेमस हो गई थी और लोग उसे पहनने लगे थे। टोपी की लोकप्रियता का आलम ये रहा कि खुद आमिर खान कई महीनों तक उसी टोपी को पहनकर घर से बाहर निकलते रहे।

फिल्म का निर्देशन जितना कमाल का था, उसके गाने भी खूब सुपरहिट हुए। टी सीरीज की नई खोज के रूप में इंडस्ट्री में आई अनुराधा पौड़वाल और कुमार सानू के गाए डुएट गानों ने तहलका मचा दिया था। नदीम श्रवण का कानों में रस घोल देने वाला म्यूजिक और समीर के लिखे गाने आज भी सुनेंगे तो दिल खुश हो जाएगा।

फिल्म को रिलीज हुए तीस साल हो चुके हैं लेकिन इसके मधुर और रोमांटिक गाने और खुद ये फिल्म लोग कई कई बार देखना पसंद करते हैं। 

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