Sunday, May 05, 2024
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Ye Mard Bechara Movie Review : क्या है असली मर्द की निशानी? कॉमेडी के जरिए सीरियस मैसेज देती फिल्म

सीमा पाहवा और उनकी रियल लाइफ बेटी मनुकृति पाहवा इस फिल्म में पहली बार साथ स्क्रीन शेयर करती दिख रही हैं। इस फिल्म में ये मां-बेटी, सास-बहू के रोल में हैं। आइए जानते हैं कैसी है ये फिल्म...?

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Updated on: November 18, 2021 18:04 IST
ये मर्द बेचारा मूवी रिव्यू
Photo: TWITTER

ये मर्द बेचारा मूवी रिव्यू

  • फिल्म रिव्यू: ये मर्द बेचारा
  • स्टार रेटिंग: 3 / 5
  • पर्दे पर: 19 नवंबर 2021
  • डायरेक्टर: अनूप थापा
  • शैली: रोमांस-कॉमेडी

महिलाओं के दर्द और तकलीफ पर बॉलीवुड में कई फिल्में बनी हैं, लेकिन इस बार अनूप थापा एक ऐसी फिल्म लेकर आए हैं जो मर्दों की तकलीफ के ऊपर है। फिल्म का नाम है- ये मर्द बेचारा। इस फिल्म में बताया गया है कि असली मर्द की परिभाषा क्या है? हमारे समाज में लड़कों को हमेशा ट्रेनिंग दी जाती है असली मर्द बनो। रोना नहीं है, डरना नहीं है। असली मर्द हो तो मूंछ रखो। लेकिन क्या असली मर्द होना यही होता है? 19 नवंबर को रिलीज होने जा रही फिल्म ये मर्द बेचारा कैसी है आइए जानते हैं।

कहानी

ये कहानी है शिवम शर्मा की जिसका रोल निभाया है एक्टर विराज राव ने। पिता की जिद की वजह से वो मूंछे रखना शुरू कर देता है, क्योंकि उसके पिता का मानना है कि असली मर्द जो होता है उसकी मूंछे जरूर होती हैं। मूंछ रखने से शिवम मर्द बनता है या नहीं ये तो नहीं पता उसे... मगर उसका मजाक जरूर बनता है। जब शिवम की बहन का लिए रिश्ता आता है तो देखने आए लड़के से भी उसके पिता कहते हैं कि सब कुछ है बस मूंछे और रख लेते तो अच्छा होता। फिल्म में जो प्लस प्वाइंट है फिल्म में वो ये कि फिल्म में कॉमेडी के साथ कई अच्छे मैसेज भी दिए गए हैं।

एक्टिंग

इस फिल्म में कई बड़े और दिग्गज कलाकार हैं। जहां शिवम के पिता के रोल में अतुल श्रीवास्तव ने कमाल का काम किया है। वहीं चाचा के रोल में हैं बृजेश काला जो इस फिल्म के सूत्रधार भी हैं। इस फिल्म में सीमा पाहवा भी हैं जो शिवम की मां के रोल में हैं। शिवम की गर्लफ्रेंड शिवालिका के रोल में हैं मनुकृति पाहवा, जो सीमा पाहवा की बेटी हैं और इस फिल्म से डेब्यू कर रही हैं। यानी कि रियल लाइफ मां-बेटी इस फिल्म में सास-बहू के रोल में हैं। सभी का काम बेहतरीन है सिवाय लीड रोल निभा रहे एक्टर विराज का। विराज स्क्रीन पर खास प्रभाव नहीं छोड़ते हैं, वहीं शिवालिका का काम हमें याद रह जाता है। वहीं स्क्रीनप्ले भी कमजोर रहा है। कुछ जोक्स ऐसे यूज किए गए हैं जो हम वाट्सअप पर पढ़ चुके हैं। अगर फिल्म का डायरेक्शन और स्क्रीनप्ले बेहतर होता तो हमें और बेहतर फिल्म मिल सकती थी। इस फिल्म की राइटिंग, म्यूजिक, निर्देशन और लिरिक्स सारी जिम्मेदारी अनूप थापा ने अपने कंधों पर ली थी, शायद इसी वजह से स्क्रीनप्ले पर काम अच्छे से नहीं हो पाया। बावजूद इसके मेकर्स की तारीफ करनी होगी जो उन्होंने इस सब्जेक्ट को चुना, और इस तरह की ये पहली फिल्म है।

इस फिल्म में बिना फूहड़ता के कई टॉपिक्स पर बात की गई है, और मर्द के साथ औरत का पहलू भी दिखाया गया है। जो हम शिवालिका और शिवम की बहन के रूप में देखते हैं। आप हंसते हुए कई बातें समझ जाएंगे और आपको फिल्म देखने में मजा भी आएगा। क्योंकि भारी भरकम बातें हमें बेहद हल्के फुल्के अंदाज में समझा दी गई हैं। 

देखें या नहीं?

अगर आप हल्की फुल्की कॉमेडी फिल्में देखना पसंद करते हैं तो ये फिल्म आपको देखनी चाहिए। इस फिल्म को हमारी तरफ से 5 में से 3 स्टार।

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