Saturday, April 20, 2024
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...जब राजपथ पर गूंजी ‘भारत रत्न’ भूपेन हजारिका की आवाज

‘ब्रह्मपुत्र के कवि’ के तौर पर प्रख्यात भूपेन हजारिका के स्वरों की गूंज शनिवार को 70वें गणतंत्र दिवस समारोह में सुनाई दी।

IndiaTV Hindi Desk Edited by: IndiaTV Hindi Desk
Published on: January 26, 2019 16:36 IST
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नई दिल्ली: ‘ब्रह्मपुत्र के कवि’ के तौर पर प्रख्यात भूपेन हजारिका के स्वरों की गूंज शनिवार को 70वें गणतंत्र दिवस समारोह में सुनाई दी। राजपथ पर असम की झांकी दिखाए जाने के दौरान हजारिका के स्वर गूंज उठे जिन्हें एक दिन पहले ही मरणोपरांत भारत रत्न से सम्मानित किए जाने की घोषणा की गई थी।

इस झांकी के जरिए महात्मा गांधी से प्रेरित, राज्य के हस्तशिल्प को दर्शाया गया। एक कवि, संगीतकार, गायक, अभिनेता, पत्रकार, लेखक एवं फिल्मकार हजारिका ने असम की समृद्ध लोक संपदा को अपने खूबसूरत गीतों के जरिए दुनिया तक पहुंचाया।

असम की झांकी के आगे के हिस्से में असमिया महिला को हथकरघे पर काम करते दिखाया गया जिसके माध्यम से कुटीर उद्योग की वृद्धि दर्शाई गई। बीच के हिस्से में असमी ‘सराय’ दिखाया गया और हजारिक की आवाज में गाए गए “महात्माई हसी बोले-राम ओ रहीम” गीत पर सतरिया नृत्य का प्रदर्शन किया गया। वहीं निचले हिस्से में कंक्रीट का एक घर दिखाया गया जिसे ‘‘पोकी” कहा जाता है। यह घर ज्योतिप्रसाद अग्रवाल का है जहां गांधी 1934 में रुके थे।

हजारिका को संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार (1987), पद्मश्री (1977), दादा साहेब फाल्के पुरस्कार (1992), पद्म भूषण (2001) और पद्म विभूषण (2012-मरणोपरांत) से सम्मानित किया जा चुका है।

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