नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने बुधवार (9 सितंबर) को कानूनी इकाई के तौर पर पशुओं को समानता दिए जाने की मांग कर रहे याचिकाकर्ता से सवाल किया कि क्या वह अपने कुत्ते को अपने बराबर मानता है। मुख्य न्यायाधीश एस.ए. बोबडे की अध्यक्षता वाली पीठ ने एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि यह किस तरह का अनुरोध है। मुख्य न्यायाधीश ने कहा, "आप (याचिकाकर्ता) चाहते हैं कि पूरे पशु साम्राज्य को एक कानूनी इकाई माना जाए... आप चाहते हैं कि हम जानवरों को मुकदमा चलाने में सक्षम घोषित करें और उन पर मुकदमा चलाया जाए?"
पीठ ने याचिकाकर्ता से पूछा कि क्या वह उन्हें एक कानूनी व्यक्तित्व दिए जाने की मांग कर रहा है? इस पर याचिकाकर्ता ने तर्क दिया कि जानवरों को संपत्ति के रूप में माना जाता है। इस पर मुख्य न्यायाधीश ने कहा, "लेकिन वे आपके बराबर नहीं हैं। क्या आपका कुत्ता आपके बराबर है?" पीठ ने कहा कि जानवरों को विभिन्न कानूनों के तहत संरक्षण प्राप्त है।
मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि क्या इस तरह हमें पेड़ों को भी कानूनी संस्था बनाना चाहिए। साथ ही उन्होंने कहा कि ऐसा लगता है कि याचिकाकर्ता भ्रमित था। याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका में कहा था कि जानवर इंसान के बराबर हैं, हालांकि विकास के मामले में वे मनुष्य से कम हैं। याचिकाकर्ता ने कहा, "उनके पास भी आत्मा और बुद्धि होती है।"