Thursday, March 28, 2024
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हत्या के 70 साल बाद नया सस्पेंस, बापू की हत्या के पीछे विदेशी ताकत?

दावा है कि चार्जशीट में चार लोग पर नाथूराम गोडसे को बैरेटा पिस्टल देने का आरोप था लेकिन ट्रायल और अपील में सभी आरोपी बरी हो गए। ऐसे में सवाल उठता है कि जिस बैरेटा पिस्टल से बापू की हत्या हुई थी उसे किसने गोडसे के हाथ में दिया, इसे देश की जनता आज तक ज

India TV News Desk Written by: India TV News Desk
Published on: October 02, 2017 13:53 IST
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नई दिल्ली: आज महात्मा गांधी की एक सौ अड़तालीसवीं जयंती है। पूरा देश बापू को याद कर रहा है। महात्मा गांधी के हत्या को लेकर आज भी कई ऐसे राज हैं जिसपर से पर्दा उठना बेहद जरुरी है। आज हम आपको बताएंगे महात्मा गांधी के हत्या के 70 साल बाद का वो सस्पेंस जिसका जवाब देश की जनता मांग रही है। बापू की हत्या के सत्तर साल बाद पांच सवाल खड़े हो रहे हैं जिसपर से आज तक पर्दा नहीं उठा है। ये दावा है बापू की हत्या पर शोध करने वाले और अभिनव भारत के ट्रस्टी डॉक्टर पंकज फडनिस के। ये भी पढ़ें: गुरु को दिए तीन वचनों को तोड़ा और बर्बाद हुआ राम रहीम, जानें संत की तीन सौगंध का रहस्य

फडनिस का दावा है कि महात्मा गांधी की हत्या के बाद तीन टेलीग्राम अमेरिकी दूतावास से वाशिंगटन भेजे गए थे। पहला टेलीग्राम जिसमें बापू की हत्या की खबर थी वो शाम छह बजे भेजी गई, दूसरा टेलीग्राम रात आठ बजे का है जिसमें इस बात का जिक्र है कि गांधी के हत्यारे नाथूराम गोडसे को अमेरिकी दूतावास के अफसर टॉम रीनर ने पकड़ा जबकि सबसे महत्वपूर्ण तीसरा टेलीग्राम जिसमें रीनर ने इस बात का जिक्र किया है कि बापू की हत्या कैसे हुई थी।

बापू की हत्या पर नया सस्पेंस

-हत्या से जुड़े एक टेलीग्राम का अबतक खुलासा क्यों नहीं?

-अमेरिकी दूतावास ने हत्या की रात वॉशिंगटन को टेलीग्राम भेजा
-टेलीग्राम में चश्मदीद अमेरिकी अफसर टॉम रीनर का बयान दर्ज
-गोडसे को बैरेटा पिस्टल देने वाले सभी आरोपी बरी, तो किसने दी पिस्टल?
-पुलिस की चार्जशीट में 3 गोली का जिक्र, बापू को चौथी गोली किसने मारी?
-19 फरवरी 1948 के मॉस्को के बिट्रिश एंबेसी के टेलीग्राम में हत्या का जिक्र
-विजयलक्ष्मी पंडित ने हत्या के पीछे विदेशी हाथ होने का आरोप लगाया
-बापू के दूसरे हत्यारे नारायण आप्टे के एयरफोर्स से क्या संबंध थे?  
-नारायण आप्टे को नाथूराम गोडसे के साथ 15 नवंबर 1949 को फांसी हुई

1996 से बापू की हत्या पर शोध करने वाले डॉक्टर पंकज फडनिस का दावा है कि उन्हें दो टेलीग्राम अमेरिका के मैरीलैंड स्थित नेशनल आर्काइव्ज एंड रिसर्च एडमिनिस्ट्रेशन से हासिल किया है जबकि तीसरा टेलीग्राम जिसमें गांधी की हत्या कैसे हुई का जिक्र है उसे सत्तर साल बाद भी गोपनीय रखा गया है जिससे संदेह पैदा हो रहा है। डॉक्टर फडनिस ने इंडिया टीवी से खास बातचीत में महात्मा गांधी की हत्या के ट्रायल में कई खामियों का भी दावा किया है।

दावा है कि चार्जशीट में चार लोग पर नाथूराम गोडसे को बैरेटा पिस्टल देने का आरोप था लेकिन ट्रायल और अपील में सभी आरोपी बरी हो गए। ऐसे में सवाल उठता है कि जिस बैरेटा पिस्टल से बापू की हत्या हुई थी उसे किसने गोडसे के हाथ में दिया, इसे देश की जनता आज तक जान नहीं पाई है। बैरेटा पिस्टल से बापू के शरीर पर दागी गई गोलियों को लेकर भी सवाल खड़े हो रहे हैं।

उस वक्त के तमाम अखबारों ने दावा किया था कि बापू को चार गोलियां मारी गई। पुलिस ने अपनी चार्जशीट में तीन गोलियों का जिक्र किया था और आधार बनाया गया बैरेटा पिस्टल के मैगजीन में बची हुई चार गोली को। डॉ पंकज का सवाल है कि क्या चौथी गोली किसी दूसरे पिस्टल से चली थी। डॉ पंकज का दावा है कि मॉस्को के बिट्रिश दूतावास का ये टेलीग्राम भी बापू के हत्या में विदेशी ताकतों के शामिल होने का इशारा करती है। ये टेलीग्राम 19 फरवरी 1948 यानी बापू की हत्या के महज 19 दिन बाद की है।

महात्मा गांधी की हत्या के मामले में नाथूराम गोड्से और नारायण आप्टे को 15 नवंबर 1949 को फांसी दे दी गई थी। नारायण आप्टे को लेकर दावा किया गया कि आप्टे एयरफोर्स में काम कर चुके हैं लेकिन जब डॉक्टर पंकज ने रक्षा मंत्री से इस दावा के बारे में जानकारी इकट्ठा करने के लिए चिट्ठी लिखी तो उन्हें जो जबाव मिला वो भी चौंकाने वाला था। 27 अक्टूबर 2015 की इस चिट्ठी में रक्षा मंत्रालय की ओर से साफ-साफ कह दिया था कि आप्टे का एयरफोर्स से कोई संबंध नहीं था।

साफ है बापू की हत्या से जुड़े मामले में सत्तर साल बाद भी कई ऐसे सवाल हैं जिसपर से पर्दा उठना बाकी है और इसे लेकर जहां अभिनव भारत की ओर से अमेरिकी दूतावास के तीसरे टेलीग्राम को सार्वजनिक कराने की मांग को लेकर आज से ऑन लाइन पिटीशन शुरू की जा रही है तो वहीं सुप्रीम कोर्ट से इस मामले की नए सिरे से जांच की मांग की गई है। महात्मा गांधी के प्रपौत्र तुषार गांधी भी बापू की हत्या से जुड़े ट्रायल में पुलिस की भूमिका पर सवाल जरुर खड़े कर रहे हैं लेकिन अमेरिकी दूतावास के अफसर टॉम राइनर की मौके ए वारदात पर मौजदगी के खुलासे पर उन्हें हैरानी है।

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