नई दिल्ली: सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के सीईओ अदार पूनावाला ने सरकार से बड़ा सवाल पूछते हुए सरकार से पूछा कि कोरोना वायरस दवां को लोगों तक पहुचानें के लिए क्या उसके पास 80 हजार करोड़ रुपए है? आपको बता दें कि सीरम इंस्टीट्यूट सहित कई कंपनियां कोरोना वायरस दवां को बनाने की दौड़ में शामिल है। दवां के बन जाने के बाद उसे लोगों तक कैसे पहुंचाया जाएगा यह बड़ा सवाल है जिसे अदार पूनावाला ने सरकार के सामने उठाया है।
अदार पूनावाला ने ट्विट करते हुए पूछा "त्वरित प्रश्न: क्या भारत सरकार के पास अगले एक साल में 80,000 करोड़ रुपये होंगे? क्योंकि भारत में सभी के लिए वैक्सीन खरीदने और वितरित करने के लिए स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय को इतनी ही रकम की जरूरत है।" पूनावाला ने लिखा ''यह अगली चुनौती है, जिससे हमें निपटना होगा।" अदार पूनावाला ने कहा कि मैं यह सवाल इसलिए पूछ रहा हूं, क्योंकि हमें खरीद और वितरण के संदर्भ में अपने देश की जरूरतों को पूरा करने के लिए भारत और विदेशों दोनों में वैक्सीन निर्माताओं की योजना और मार्गदर्शन करने की आवश्यकता है।
ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी की कोरोना वैक्सीन को भारत में पुणे की सीरम इंस्टिट्यूट तैयार कर रही है। इस वैक्सीन को लेकर ताजा अपडेट यह है कि पीजीआई चंडीगढ़ में इस वैक्सीन के अंतिम चरण के ट्रायल की प्रक्रिया शुरू हो गई है। मालूम हो कि देश में इस वैक्सीन के ट्रायल के लिए 17 संस्थानों का चयन किया गया है। पीजीआई, चंडीगढ़ उन्हीं में से एक है। इसके अलावा मुंबई के केईएम अस्पताल में भी ऑक्सफोर्ड द्वारा विकसित कोरोना की वैक्सीन का मानव परीक्षण किया जाएगा। कई मरीजों पर यह ट्रायल शनिवार से शुरू होगा।
कोविड-19 की दवा पर नजर रखेगा ‘इलेक्ट्रॉनिक वैक्सीन इंटेलिजेन्स नेटवर्क’
सरकार ने हाल ही में बताया था कि कोविड-19 महामारी के इस दौर में देश भर में कोविड-19 की दवा की जरूरत, उसके भंडार, भंडारण तापमान एवं उपलब्धता आदि के बारे में ‘इलेक्ट्रॉनिक वैक्सीन इंटेलिजेन्स नेटवर्क’ के जरिये नजर रखी जाएगी। स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्य मंत्री अश्विनी कुमार चौबे ने राज्यसभा को एक प्रश्न के लिखित जवाब में यह जानकारी दी।
उन्होंने बताया था कि इलेक्ट्रॉनिक वैक्सीन इंटेलिजेन्स नेटवर्क वास्तव में इंटरनेट आधारित एक डिजिटल प्रणाली है जो नियमित टीकाकरण, दवा के भंडार, भंडारण तापमान आदि को लेकर निगरानी करेगी। उन्होने बताया कि कोविड-19 के दवा पर विशेषज्ञों का एक राष्ट्रीय समूह बनाया गया है जो सरकार को दवा के लिए आबादी समूहों की प्राथमिकता, लोगों का चयन, दवा की आपूर्ति व्यवस्था तथा संबद्ध अवसंरचना के बारे में सरकार को परामर्श देगा। चौबे ने स्पष्ट किया कि सरकार ने इस संबंध में किसी भी विदेशी फर्मास्यूटिकल कंपनी के साथ कोई करार नहीं किया है।