Wednesday, June 18, 2025
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पहले साधारण रूप में बना था स्वर्ण मंदिर, निर्माण के 200 साल बाद चढ़ाई सोने की परत; जानें क्या है इसका पूरा इतिहास

अमृतसर में स्वर्ण मंदिर को पाकिस्तान ने निशाना बनाया था। हालांकि भारतीय सेना ने इस हमले को नाकाम कर दिया। स्वर्ण मंदिर पर 500 किलो के सोने की परत चढ़ाई गई है। हालांकि शुरुआत में यह साधारण रूप में ही था। आइये इसके पीछे का इतिहास जानते हैं।

Edited By: Amar Deep
Published : May 19, 2025 12:34 IST, Updated : May 19, 2025 12:34 IST
स्वर्ण मंदिर।
Image Source : PEXELS स्वर्ण मंदिर।

पंजाब के अमृतसर में मौजूद स्वर्ण मंदिर को भारत के सबसे अधिक प्रसिद्ध पर्यटक स्थलों में गिना जाता है। यहां सिर्फ सिख ही नहीं बल्कि हर धर्मों से जुड़े लोग अरदास करने आते हैं। दुनिया भर के लोग स्वर्ण मंदिर को देखने के लिए आते हैं। हालांकि स्वर्ण मंदिर का इतिहास भी काफी रोचक है। स्वर्ण मंदिर शुरुआत से ही सोने का नहीं था, बल्कि इस पर बाद में सोने की परत चढ़ाई गई है। स्वर्ण मंदिर ने कई बार विदेशी आक्रांताओं के हमले भी झेले हैं। इतना ही नहीं आजादी के बाद से स्वर्ण मंदिर को निशाना बनाकर पाकिस्तान ने भी कई बार हमले किए हैं।

स्वर्ण मंदिर के निर्माण का इतिहास

स्वर्ण मंदिर को गोल्डन टेंपल भी कहा जाता है। ऐसा इसलिए क्योंकि इस पर 24 कैरेट के सोने की परत का इस्तेमाल किया गया है। स्वर्ण में 500 किलो सोने का इस्तेमाल किया गया है। वहीं इस मंदिर को श्री हरमिंदर साहिब के नाम से भी जाना जाता है। मंदिर के निर्माण की बात करें तो पांचवें सिख गुरु ने सबसे पहले इस मंदिर को डिजाइन किया था। इनका नाम गुरु अर्जन था। इस मंदिर के निर्माण से पहले सिखों के पहले गुरु, गुरु नानक जी यहां पर ध्यान किया करते थे। इस मंदिर का निर्माण साल 1581 में शुरू किया गया, जिसे पूरा होने में करीब 8 साल का समय लगा।

200 साल बाद चढ़ाई सोने की परत

मंदिर के निर्माण के बाद यह सिखों के लिए आस्था का केंद्र बन गया। यहां देशभर से सिख आने लगे। हालांकि मुगलों ने इस मंदिर पर कई बार हमला किया। मुगलों की सेना ने 1762 में इस मंदिर पर हमला करके इसे नष्ट कर दिया। हालांकि उस समय के सिख शासक महाराजा रणजीत सिंह ने मंदिर निर्माण के करीब 200 साल बाद 1809 में एक बार फिर से इसका जीर्णोद्धार कराया। मंदिर के जीर्णोद्धार में संगमरमर और तांबे का इस्तेमाल किया गया। हालांकि इसके बाद 1830 में मंदिर के गर्भगृह पर सोने की परत चढ़ाई गई। इसमें 24 कैरेट सोने का इस्तेमाल किया गया। वहीं 90 के दशक में मंदिर को पुर्ननिर्मित किया गया और इसमें 500 किलो से भी अधिक सोने का प्रयोग किया गया। महाराजा रणजीत सिंह ने शुरुआत में सोने की 7 से 9 परतों का इस्तेमाल किया था। हालांकि बाद में इसे बढ़ाकर 24 परत तक कर दिया गया।

स्वर्ण मंदिर का महत्व

सिखों के पहले गुरु, गुरु नानक जी से जुड़े होने की वजह से इस मंदिर का महत्व काफी बढ़ जाता है। इसके अलावा बाद के सिख गुरु भी इस स्वर्ण मंदिर से जुड़े हुए थे। स्वर्ण मंदिर के आसपास तालाब का भी निर्माण कराया गया है, जिसे अमृत सरोवर कहा जाता है। इसका अर्थ इसके नाम से ही पता चलता है। अमृत सरोवर का मतलब, 'ऐसा तालाब जिसमें अमृत हो'। मान्यता है कि इस अमृत सरोवर का पानी पवित्र है, जिसमें स्नान करने मात्र से मनुष्य के कर्म शुद्ध हो जाते हैं। इतना ही नहीं यह भी कहा जाता है कि अमृत सरोवर में डुबकी लगाने से बीमारियां भी ठीक हो जाती हैं।

चर्चा में क्यों है स्वर्ण मंदिर?

दरअसल, हाल ही में भारतीय सेना ने ऑपरेशन सिंदूर की मदद से पाकिस्तान के आतंकी संगठनों और उसकी सेना को ही कुछ ही दिनों में घुटने पर ला दिया था। हालांकि, कायर पाकिस्तान की सेना ने जानबूझकर भारत के नागरिक ठिकानों को निशाना बनाया। अब भारतीय सेना ने पाकिस्तान की एक और कायराना हरकत का खुलासा किया है। भारतीय सेना ने बताया है कि पाकिस्तानी सेना ने पंजाब के अमृतसर में स्थित पवित्र स्वर्ण मंदिर को ड्रोन और मिसाइलों से निशाना बनाने की कोशिश की थी। हालांकि, भारतीय सेना ने पाकिस्तान के इस मंसूबे पर पानी फेर दिया था।

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