Saturday, April 27, 2024
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Independence Day 2022: आजादी के बाद कितना बदला हमारे भारत का नक्शा? आतंरिक सीमाओं में आए कई बदलाव, यहां देखिए 75 साल का सफर

भारत में जरूरत और मांग के हिसाब से वक्त-वक्त पर नए राज्यों का गठन होता रहा है। 2019 में ही जम्मू कश्मीर और लद्दाख को अलग करते हुए दो केंद्र शासित प्रदेश के तौर पर मान्यता दी गई थी।

Shilpa Written By: Shilpa
Updated on: August 04, 2022 17:56 IST
Independence day 2022-Map of India- India TV Hindi
Image Source : INDIA TV Independence day 2022-Map of India

Highlights

  • आजादी के बाद कई राज्यों का हुआ जन्म
  • भाषा के आधार पर भी बने हैं कई राज्य
  • देश की बाहरी सीमाओं में आए हैं कई बदलाव

Independence day 2022: हर बार की तरह इस साल भी देश में स्वतंत्रता दिवस धूमधाम से मनाया जा रहा है। इसकी न केवल तैयारी अभी से शुरू हो गई है बल्कि लोग देशभक्ति के रंग में भी रंगे नजर आ रहे हैं। आजादी की 75वीं वर्षगांठ के अवसर पर ‘अमृत महोत्सव’ मनाया जा रहा है। हमारा स्वतंत्रता दिवस हर साल 15 अगस्त के दिन मनाया जाता है। क्योंकि इसी दिन साल 1947 में देश को अंग्रेजों से आजादी मिली थी। हालांकि वो जाते-जाते देश को दो टुकड़ों में बांटकर चले गए। जिससे पाकिस्तान नाम का नया देश अस्तित्व में आया। इस बीच भारत के नक्शे और सीमाओं की बात करें, तो उसमें बीते 75 सालों में काफी बदलाव आया है। देश के अंदर राज्यों की सीमाओं की परिवर्तन प्रक्रिया आजादी के बाद भी जारी रही है।

भारत में जरूरत और मांग के हिसाब से वक्त-वक्त पर नए राज्यों का गठन होता रहा है। 2019 में ही जम्मू कश्मीर और लद्दाख को अलग करते हुए दो केंद्र शासित प्रदेश के तौर पर मान्यता दी गई थी। इसके बाद देश में राज्यों की संख्या 29 से घटकर 28 हो गई, जबकि केंद्र शासित प्रदेशों की संख्या 8 है। तो चलिए अब जान लेते हैं कि आजादी के बाद भारत के नक्शे में किस तरह से बदलाव आया है।

भारत की बाहरी सीमा में आए तीन बदलाव

Independence day 2022-Map of India

Image Source : INDIA TV
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1961- 19 दिसंबर, 1961 को भारतीय सेना ने गोवा को मुक्त कराया और वह भारत का हिस्सा बन गया।

1962- पुडुचेरी (पहले पोंडिचेरी) आधिकारिक रूप से भारत में शामिल हुआ।
1975- सिक्किम भारत में शामिल हुआ। 1947 की संधी के अनुसार, सिक्किम की आजादी को बरकरार रखा गया था। इसे 16 मई को भारत के 22वें राज्य के तौर पर मान्यता दी गई थी।

वो रियासतें जिन्होंने किया था विरोध

आजादी के बाद देश में बहुत सी रियासतें थीं। जिनमें से कोई पाकिस्तान में शामिल होना चाहती थी तो कोई स्वायत्त शासन चाहती थी। जो कि भौगोलिक तौर पर संभव ही नहीं था। सरकार की तरफ से लगातार की गई कोशिशें के चलते 1947-1949 के बीच कश्मीर, हैदराबाद, जूनागढ़, मणिपुर और त्रिपुरा जैसी रियासतें भारत में शामिल की गईं। वहीं 26 जनवरी, 1950 को भारत का संविधान लागू हुआ। वह औपचारिक रूप से गणतंत्र के तौर पर परिवर्तित हुआ। इस वक्त तक भारत क्षेत्रीय सीमाओं में रेखांकित था। न कि छोटे-छोटे राज्यों में। 

साल 1953 तक का भारत

1953 में आंध्र स्टेट ने तेलुगु बोलने वालों के लिए अलग राज्य की मांग की। जिसके बाद राज्य पुनर्गठन आयोग गठित किया गया। साल 1956 तक देश में 14 राज्य और 6 केंद्र शासित प्रदेश थे। फिर देश में जल्द ही भाषा के आधार पर अलग राज्यों की मांग उठने लगी। सबसे पहली आवाज मद्रास में उठी। 

भाषा के आधार पर राज्यों का गठन

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आंदोलनों के चलते राज्यों का गठन होने लगा। हालांकि पुनर्गठन आयोग की सिफारिश थी कि भाषा के आधार पर राज्यों का गठन नहीं होना चाहिए। जब समयुक्त महाराष्ट्र आंदोलन और महागुजरात आंदोलन उफान पर आए, तो 1960 में बॉम्बे स्टेट का बंटवारा कर दिया गया। जिसके बाद महाराष्ट्र और गुजरात अस्तित्व में आए।
ऐसे ही अकाली दल ने पंजाबी सूबा आंदोलन चलाया था। जिसके चलते पंजाबी बोलने वालों के लिए पंजाब बना। जबकि हिंदी बोलने वाले या हिंदू बहुलता वाला क्षेत्र हरियाणा बना।
पहले पंजाब राज्य में ही हिमाचल प्रदेश शामिल था। जिसे बाद में अलग राज्य का दर्जा दिया गया।

पूर्वोत्तर में 70-80 के दशक में हुए बदलाव

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इस दौरान देश के पूर्वोत्तर हिस्से में उग्रवादी घटनाएं बढ़ने लगी थीं। जिसके बाद केंद्र सरकार को कुछ कड़े फैसले लेने पड़े। पहले मणिपुर और मेघालय को अलग राज्य के तौर पर मान्यता मिली। 
1972- मेघालय और मिजोरम को असम से अलग कर दिया गया। 
1963- नागालैंड को राज्य के तौर पर मान्यता मिली।
1975- सिक्किम का स्वायत्त शासन खत्म हुआ और वह भी भारत में मिल गया। 
1987- अरुणाचल प्रदेश और मणिपुर को पूर्ण राज्य का दर्ज दिया गया। पहले ये केंद्र शासित प्रदेश हुआ करते थे।

बदलाव आगे भी ऐसे ही जारी रहा

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1987- दमन एवं दीव को गोवा से अलग करते हुए केंद्र शासित प्रदेश का दर्जा दिया गया।
2000 के दशक के शुरू के वक्त में उत्तराखंड को उत्तर प्रदेश, झारखंड को बिहार और छत्तीसगढ़ को मध्य प्रदेश से अलग किया गया।
2014- लंबे समय तक चले आंदोलन के बाद आंध्र प्रदेश से अलग राज्य के तौर पर तेलंगाना का जन्म हुआ।
2019- जम्मू कश्मीर और लद्दाख को अलग कर, दो केंद्र शासित प्रदेश बनाया गया।

ये हो सकते हैं भविष्य के राज्य

आजादी के 75 साल होने के बावजूद अब भी अलग राज्य की मांग उठ रही है। जानकारी के मुताबिक, लद्दाख में कारगिल को अलग करने की मांग उठ रही है। वहीं गुजरात से कच्छ और सौराष्ट्र को अलग करने की मांग हो रही है। महाराष्ट्र में विदर्भ और मराठवाड़ा अलग राज्य की मांग कर रहे हैं। पश्चिम बंगाल में गोरखालैंड को लेकर विरोध प्रदर्शन देखने को मिलते हैं। 

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