गांधीनगर: शंकरसिंह वाघेला ने राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के राष्ट्रीय महासचिव के पद के साथ-साथ पार्टी की सक्रिय सदस्यता से भी इस्तीफा दे दिया है। वाघेला ने अपने त्यागपत्र में लिखा कि अब पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष पद पर बदलाव और हाल ही में हुए कुछ राजनीतिक बदलावों के कारण पार्टी के कार्यकर्ताओं, नेताओं और तालुका तथा जिला स्तर पर काम करने वालों में निराशा है।
गुजरात के बड़े नेताओं में शुमार शंकरसिंह वाघेला मार्च 2019 में शरद पवार की पार्टी एनसीपी में शामिल हुए थे। वह इससे पहले कांग्रेस में थे। करीब दो दशक तक कांग्रेस की सियासत करने के बाद वाघेला ने एनसीपी का दामन थामा था, जिसे अब उन्होंने छोड़ दिया है। उन्होंने राष्ट्रीय महासचिव के पद के साथ-साथ पार्टी की सक्रिय सदस्यता से भी त्यागपत्र दे दिया है।
गांधीनगर के वासन में राजपूत परिवार में जन्मे वाघेला ने अपने राजनीतिक सफर की शुरुआत इमरजेंसी के दौर से की। वह शुरू में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (RSS) के सक्रिय सदस्य थे। इमरजेंसी के दौरान उन्हें जेल भी जाना पड़ा। इसके बाद वह जनपा पार्टी के टिकट पर कपडवंज से पहली बार सांसद चुने गए थे। हालांकि, 1980 में हुए लोकसभा चुनाव में वह ये सीट हार गए।
फिर, भाजपा में लंबे वक्त तक कई भूमिकाएं निभाने के बाद उन्होंने भारतीय जनता पार्टी छोड़कर राष्ट्रीय जनता पार्टी नाम से अपनी पार्टी बनाई और अक्टूबर 1996 में कांग्रेस के समर्थन से मुख्यमंत्री बने। फिर उन्होंने 1998 में अपनी पार्टी का कांग्रेस में विलय कर दिया। यहां से 2019 तक वह कांग्रेस में रहे और फिर 2019 मार्च में NCP ज्वाइन की थी।