Saturday, April 20, 2024
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UP News: अखिलेश यादव को फिर से समाजवादी पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष चुना गया, पिता मुलायम सिंह से कितनी अलग है उनकी राजनीति?

UP News: अखिलेश यादव के नेतृत्व में समाजवादी पार्टी ने अब तक 3 चुनाव लड़े हैं, जिनमें 2017 का विधानसभा चुनाव, 2019 का लोकसभा चुनाव और 2022 का विधानसभा चुनाव शामिल है। हालांकि इन तीनों ही चुनावों में उन्हें उम्मीद के मुताबिक कामयाबी नहीं मिली।

Rituraj Tripathi Written By: Rituraj Tripathi @riturajfbd
Updated on: December 15, 2022 23:56 IST
UP News- India TV Hindi
Image Source : ANI UP News

Highlights

  • अखिलेश यादव को फिर से समाजवादी पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष चुना गया
  • लखनऊ में समाजवादी पार्टी के 'राष्ट्रीय सम्मेलन' में अखिलेश को चुना गया
  • अखिलेश यादव के नेतृत्व में लड़े गए 3 चुनावों में सपा को मिल चुकी है हार

UP News: लखनऊ में समाजवादी पार्टी के 'राष्ट्रीय सम्मेलन' में अखिलेश यादव को फिर से पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष चुना गया है। बता दें कि अखिलेश यादव के नेतृत्व में समाजवादी पार्टी ने अब तक 3 चुनाव लड़े हैं, जिनमें 2017 का विधानसभा चुनाव, 2019 का लोकसभा चुनाव और 2022 का विधानसभा चुनाव शामिल है। हालांकि इन तीनों ही चुनावों में उन्हें उम्मीद के मुताबिक कामयाबी नहीं मिली। साल 2012 का चुनाव समाजवादी पार्टी ने जीता था, लेकिन इसका नेतृत्व अखिलेश के पिता मुलायम सिंह यादव कर रहे थे।

अखिलेश के नेतृत्व में क्यों मिल रही हार

अखिलेश यादव के आलोचक और राजनीतिक विश्लेषक कहते हैं कि अखिलेश अपनी गैर राजनीतिक टीम पर ज्यादा भरोसा करते हैं, जिस वजह से चुनावी रणनीति के मामले में उनके द्वारा लिए गए फैसले ने उन्हें नुकसान पहुंचाया। कहीं न कहीं उन्होंने अपने पिता मुलायम सिंह यादव के राजनीतिक अनुभव का लाभ चुनाव जीतने में नहीं ले पाया। 

दरअसल आलोचक ये भी कहते हैं कि अखिलेश वन मैन आर्मी बने रहना चाहते हैं, शायद यही उनकी हार की वजह भी रही। जबकि उनके पिता मुलायम सिंह यादव, अपनी पार्टी में दूसरी पंक्ति के नेताओं को काफी महत्व देते थे। इन नेताओं में रेवती रमण सिंह, जनेश्वर मिश्र, माता प्रसाद पांडे, बेनी प्रसाद वर्मा और आजम खान थे। 

मुलायम सिंह के राजनीतिक प्रबंधन से दूर हैं अखिलेश!

मुलायम सिंह के राजनीतिक प्रबंधन की तारीफ विपक्षी भी करते हैं। यही वजह थी कि साल 2012 में मुलायम ने कन्नौज से अपनी बहू और अखिलेश यादव की पत्नी डिंपल यादव की जीत सुनिश्चित करवा दी थी। किसी भी राजनीतिक दल ने उनके खिलाफ अपना उम्मीदवार खड़ा नहीं किया था, ये जीत निर्विरोध थी। आज के दौर में ऐसी राजनीति कम ही दिखती है। 

राजनीतिक विश्लेषक कहते हैं कि मुलायम सिंह खेतों और गांवों से निकलकर राजनीतिक गलियारों में आए थे। वह गरीबी और गरीब की समस्या को करीब से समझते थे। वह अपने फैसलों में अपने साथियों और सीनियर नेताओं को काफी महत्व देते थे। वहीं अखिलेश ने विदेश से पढ़ाई की है। इसलिए वह शायद गरीब को उतना कनेक्ट नहीं कर सके, जितना उनके पिता किया करते थे। 

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