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गुजरात की कंपनी ने की यूनियन बैंक ऑफ इंडिया के साथ धोखाधड़ी, CBI ने किया मामला दर्ज

कर्ज की हेराफेरी कर सार्वजनिक क्षेत्र के यूनियन बैंक ऑफ इंडिया को 134.42 करोड़ रुपये का नुकसान पहुंचाने को लेकर गुजरात की एक कंपनी और उसके निदेशकों के खिलाफ मामला दर्ज किया।

India TV Paisa Desk Edited by: India TV Paisa Desk
Published on: June 12, 2021 10:20 IST
गुजरात की कंपनी ने की...- India TV Paisa
Photo:FILE

गुजरात की कंपनी ने की यूनियन बैंक ऑफ इंडिया के साथ धोखाधड़ी, CBI ने किया मामला दर्ज 

अहमदाबाद। केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने शुक्रवार को कर्ज की हेराफेरी कर सार्वजनिक क्षेत्र के यूनियन बैंक ऑफ इंडिया को 134.42 करोड़ रुपये का नुकसान पहुंचाने को लेकर गुजरात की एक कंपनी और उसके निदेशकों के खिलाफ मामला दर्ज किया। सीबीआई ने एक विज्ञप्ति में कहा कि जांच एजेंसी ने मुंबई में छह स्थानों पर तलाशी ली, जिसमें गड़बड़ी से जुड़े महत्वपूर्ण दस्तावेज बरामद हुए। 

कच्छ के गांधीधाम स्थित कंपनी एसोसिएट हाई प्रेशर टेक्नोलॉजीज प्राइवेट लिमिटेड के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई है। इसमें रामचंद के ईसरानी, मोहम्मद फारूक सुलेमान दरवेश, श्रीचंद सतरामदास अगीचा, इब्राहिम सुलेमान दरवेश और अज्ञात लोक सेवकों और अन्य के नाम हैं। यूनियन बैंक द्वारा दायर शिकायत के अनुसार, कंपनी ने स्वीकृत ऋण के नियमों और शर्तों का उल्लंघन करते हुए धन का दुरुपयोग किया तथा अन्य बैंकिंग चैनलों के माध्यम से हेराफेरी की। 

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अमेजन, फ्लिपकार्ट की याचिका खारिज

कर्नाटक उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को प्रतिस्पर्धा कानूनों के प्रावधानों के कथित उल्लंघन के भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग के जांच आदेश को रद्द करने की अमेजन और फ्लिपकार्ट की याचिका खारिज कर दी। भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआई) ने प्रतिस्पर्धा कानूनों के प्रावधानों के कथित उल्लंघन को लेकर दोनों प्रमुख ई-वाणिज्य कंपनियों के जांच के निर्देश दिए थे। न्यायधीश पी एस दिनेश कुमार ने यह आदेश देते हुए दोनों कंपनियों की याचिका को खारिज कर दिया। उच्च न्यायालय के आदेश में कहा गया है, ‘‘यह उम्मीद की जाती है कि जांच का निर्देश देने वाले आदेश के पीछे कोई वजह होनी चाहिये, जो कि आयोग पूरी करता है।’’ न्यायालय ने कहा,‘‘ऐसे में इन रिट याचिकाओं में याचिकाकर्ताओं द्वारा उठाए गए मुद्दों को बिना जांच परख के मान लिया जाना और इस स्तर पर जांच को रोकना नासमझी होगी। इसलिए मौजूदा आदेश में किसी हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं है।’’

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