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केंद्र को उम्मीद, कुछ राज्य अगले सप्ताह खाद्य तेलों पर स्टॉक सीमा लागू करेंगे: खाद्य सचिव

यह पूछे जाने पर कि क्या किसी राज्य ने खाद्य तेलों या तिलहन पर स्टॉक की सीमा तय की है, सचिव ने कहा, ‘‘अब, अपनी तरफ से खुलासा किया जा रहा है। राज्य खाद्य तेल प्रसंस्करणकर्ताओं और व्यापारियों के साथ चर्चा कर रहे हैं, और हमें उम्मीद है कि अगले सप्ताह से आगे स्टॉक सीमा लागू की जाएगी।’’

India TV Paisa Desk Edited by: India TV Paisa Desk
Published on: October 22, 2021 23:17 IST
केंद्र को उम्मीद, कुछ राज्य अगले सप्ताह खाद्य तेलों पर स्टॉक सीमा लागू करेंगे: खाद्य सचिव- India TV Paisa
Photo:PIXABAY

केंद्र को उम्मीद, कुछ राज्य अगले सप्ताह खाद्य तेलों पर स्टॉक सीमा लागू करेंगे: खाद्य सचिव

नयी दिल्ली: केंद्र ने शुक्रवार को कहा कि उसे उम्मीद है कि प्रमुख तिलहन और खाद्य तेल उत्पादक राज्य अगले सप्ताह से स्टॉक सीमा लागू करना शुरू कर देंगे। इससे उनकी कीमतों को कम करने और त्योहारों दौरान उपभोक्ताओं को राहत प्रदान करने में मदद मिलेगी। केन्द्र ने कहा कि घरेलू उपलब्धता में सुधार और कीमतों में तेजी को रोकने के लिए हाल ही में किए गए उपायों के कारण कीमतों में आई नरमी से 3-4 रुपये प्रति किलो का लाभ उपभोक्ताओं को दिया जा चुका है। खाद्य सचिव सुधांशु पांडेय ने कहा, ‘‘अंतरराष्ट्रीय बाजार में कीमतें अधिक होने के बावजूद, केंद्र सरकार और राज्य सरकारों की सक्रिय भागीदारी के साथ हस्तक्षेप के कारण भारत में कीमतों में, अंतरराष्ट्रीय बाजार की तुलना में काफी गिरावट आई है।’’ 

उन्होंने कहा कि अगर सरकार ने सक्रिय ढंग से हस्तक्षेप नहीं किया होता, तो खाद्य तेलों की खुदरा कीमतों में लगभग 3-4 रुपये प्रति किलोग्राम की कमी नहीं हो सकती थी। पांडेय ने कहा, ‘‘खाद्य तेल की कीमतें, एक साल पहले की समान अवधि की तुलना में कहीं अधिक हैं, लेकिन सितंबर के बाद से इसमें गिरावट का रुख है।’’ यह पूछे जाने पर कि क्या किसी राज्य ने खाद्य तेलों या तिलहन पर स्टॉक की सीमा तय की है, सचिव ने कहा, ‘‘अब, अपनी तरफ से खुलासा किया जा रहा है। राज्य खाद्य तेल प्रसंस्करणकर्ताओं और व्यापारियों के साथ चर्चा कर रहे हैं, और हमें उम्मीद है कि अगले सप्ताह से आगे स्टॉक सीमा लागू की जाएगी।’’ 

उन्होंने कहा कि केंद्र अपनी तरफ से स्टॉक सीमा लगाना नहीं चाहता, इसका कारण यह है कि कुछ राज्य तिलहन का उत्पादन करते हैं और अन्य आयातित खाद्य तेलों पर निर्भर हैं। सचिव ने कहा कि वर्ष 2011 से वर्ष 2018 के बीच, राज्यों ने जमीनी स्थिति को देखते हुए खाद्य तेलों या तिलहनों पर स्टॉक की सीमा खुद ही तय कर दी थी। पांडेय ने आगे कहा कि राज्यों को आवश्यक वस्तु अधिनियम को लागू करने, स्टॉक सीमा लगाने और उल्लंघन करने वालों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए कहा गया है। उन्होंने कहा, ‘‘आने वाले हफ्तों में, हम इसे लागू करने के लिए राज्यों को कहेंगे।’’ 

शुक्रवार को सरसों तेल का औसत खुदरा भाव 185.55 रुपये प्रति किलो, मूंगफली तेल का 182.86 रुपये प्रति किलो, सूरजमुखी तेल का 168.21 रुपये प्रति किलो, सोया तेल का 154.91 रुपये प्रति किलो, वनस्पति का 138.31 रुपये प्रति किलो और पामतेल का औसत खुदरा भाव 132.64 रुपये प्रति किलो रहा। सरसों के तेल की कीमतों में वृद्धि के कारणों के बारे में पूछे जाने पर, सचिव ने कहा, ‘‘सरसों का भंडार खत्म हो रहा है, और बुवाई के लिए केवल 2-3 प्रतिशत बीज ही रखा जाता है। फरवरी में ताजा फसल आने के बाद सरसों तेल के भाव में नरमी की उम्मीद है।’’ उन्होंने कहा कि देश के द्वारा आयात किए जाने वाले अन्य खाद्य तेलों की वैश्विक कीमतों में वृद्धि के कारण सरसों के तेल की कीमतों पर असर पड़ा है। 

देश सबसे अधिक पाम तेल का आयात करता है, उसके बाद सोयाबीन का स्थान है, जबकि सरसों तेल की हिस्सेदारी मात्र 11 प्रतिशत है। हालांकि, सरकार द्वितीयक खाद्य तेलों, विशेष रूप से चावल भूसी के तेल के उत्पादन में सुधार और आयात पर निर्भरता को कम करने के लिए कदम उठा रही है। उन्होंने कहा कि चावल की भूसी के तेल का उत्पादन 11 लाख टन के मौजूदा स्तर से बढ़ाकर 18-19 लाख टन करने की संभावना है। आंध्र प्रदेश, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों ने चावल की भूसी के संयंत्र स्थापित करने के लिए प्रतिबद्धता जताई है। 

खाद्य तेलों की कीमतों पर लगाम लगाने के लिए सरकार ने पाम तेल, सूरजमुखी तेल और सोयाबीन तेल पर आयात शुल्क को युक्तिसंगत बनाया है। इसने एनसीडीईएक्स पर सरसों के तेल के वायदा कारोबार को भी रोक दिया है और तिलहन और खाद्य तेलों के स्टॉक के स्व-प्रकटीकरण के लिए एक वेब पोर्टल शुरू करने के अलावा स्टॉक सीमा भी लगा दी है। अब तक, रिफाइनर, मिलर्स, सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स और थोक विक्रेताओं जैसे 2,000 अंशधारकों ने पोर्टल पर पंजीकरण कराया है और नियमित रूप से स्टॉक की जानकारियां दे रहे हैं।

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