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भारत व्यापार सुगमता में शीर्ष 50 देशों में बना सकता है स्थान, इस समय भारत 130वें स्थान पर

वाणिज्य मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि भारत अगले कुछ साल में विश्व बैंक के व्यापार सुगमता क्रम में शीर्ष 50 देशों में शामिल हो सकता है और यह संभव है।

Dharmender Chaudhary Dharmender Chaudhary
Published on: May 26, 2016 21:57 IST
भारत व्यापार सुगमता में शीर्ष 50 देशों में बना सकता है स्थान, इस समय भारत 130वें स्थान पर- India TV Paisa
भारत व्यापार सुगमता में शीर्ष 50 देशों में बना सकता है स्थान, इस समय भारत 130वें स्थान पर

नई दिल्ली। वाणिज्य मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि भारत अगले कुछ साल में विश्व बैंक के व्यापार सुगमता क्रम में शीर्ष 50 देशों में शामिल हो सकता है और यह संभव है। सीतारमण ने केंद्र में राजग सरकार के दो साल पूरा होने के उपलक्ष में सोशल मीडिया वेबसाइट फेसबुक पर एक संवाद में कहा, ताजा रैंकिंग यह परिलक्षित करेगी कि तत्काल तो नहीं लेकिन कुछ साल में हमारे लिए 50वें पायदान पर पहुंचना संभव होगा।

उल्लेखनीय है कि विश्व बैंक के व्यापार सुगमता क्रम में भारत इस समय 130वें स्थान पर है जबकि 2014 में वह इससे 12 पायदान नीचे था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को तानाशाह शासक बताने वाली कुछ मीडियां रिपोर्ट के बारे में पूछे जाने पर सीतारमण ने उन्हें पेशेवराना ढंग से शासन चलाने वाला नेता करार दिया और कहा कि वे तानाशाह तो बिलकुल नहीं हैं।

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मोदी के स्वच्छ भारत मिशन के समक्ष चुनौतियां

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के महत्वाकांक्षी स्वच्छ भारत मिशन के लिए आगे का रास्ता आसान नहीं है। एक रिपोर्ट में कहा गया है कि इस मिशन को आगे चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा क्योंकि ज्यादातर कंपनियां व्यवहार में बदलाव के कार्यक्रम के बजाय ढांचा मसलन शौचालय आदि बनाने पर ध्यान केंद्रित कर रही हैं। उनका ज्यादातर ध्यान ग्रामीण इलाकों पर है। इस रिपोर्ट में 100 कंपनियों के जल स्वच्छता तथा साफ सफाई पर कॉरपोरेट सामाजिक दायित्व (सीएसआर) के रुख का अध्ययन किया गया।

फिक्की की पूर्व अध्यक्ष तथा इंडिया सैनिटेशन कोलेशन की प्रमुख नैना लाल किदवई ने कहा कि स्वच्छ भारत मिशन साफ सफाई के आसपास केंद्रित है। सड़कों से लेकर कंपनियों के बोर्डरूम तक। उन्होंने कहा, कॉरपोरेट जगत की ओर से उल्लेखनीय समर्थन के बावजूद आगे का रास्ता चुनौतीपूर्ण है। हम इस तथ्य को समझने की जरूरत है कि यह मुद्दा ढांचे के साथ व्यवहार और सामाजिक नियमों में बदलाव से संबंधित है। रिपोर्ट में यह तथ्य सामने आया है कि सिर्फ 20 फीसदी कंपनियां ही लोगों के व्यवहार या बर्ताव में बदलाव लाने का लक्ष्य लेकर चल रही हैं, जबकि यह खुले में शौच को समाप्त करने की दृष्टि से सबसे अधिक महत्वपूर्ण है।

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