नई दिल्ली। सड़कों को किसी भी अर्थव्यवस्था की रक्त-शिरा माना जाता है। आज आप 22 घंटे से भी कम समय में चेन्नई से मुंबई पहुंच सकते हैं, 24 घंटे में दिल्ली से मुंबई पहुंच सकते हैं। लेकिन आज दो दशक पहले यह संभव नहीं था। ये नतीजा है देश के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहार वाजपेयी की दूरदृष्टि का। वे ही देश के पहले प्रधानमंत्री थे जिन्होंने देश के आर्थिक विकास में सड़कों का महत्व समझा और देश में सड़कों के सबसे बड़े प्रोजेक्ट स्वर्णिम चतुर्भुज की शुरूआत की। यह विश्व की पांचवी सबसे बड़ी सड़क परियोजना थी। 2012 में पूरे हुए इस प्रोजेक्ट ने देश में वाहनों की ही नहीं बल्कि तरक्की की रफ्तार बढ़ाने में भी बड़ा योगदान दिया है।
2001 में शुरू हुई परियोजना
वाजपेयी सरकार ने देश के चारों महानगरों को आपस में जोड़ने के लिए स्वर्णिम चतुर्भुज योजना का खाका तैयार किया। 1999 में इसकी योजना बनकर तैयार हुई। इसके तहत देश के चार बड़े महानगरों दिल्ली, मुंबई, कोलकाता और चेन्नई को चार से छह लेन वाले राजमार्गों से जोड़ना था। 2002 में इस परियोजना की शुरूआत की गई। योजना के तहत 5,846 कि.मी. लंबे राजमार्गों का निर्माण किया गया। योजना पर 6 खरब रुपए का खर्च आया।
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उद्योगों के लिए संजीवनी साबित हुई परियोजना
स्वर्णिम चतुर्भुज परियोजना का एकमात्र लक्ष्य भारत में विश्वस्तरीय हाइवे का निर्माण करना तो था ही, साथ ही उद्योगों और कृषि को भी सम्पन्न बनाना था। इस परियोजना के तहत तैयार 4 या 6 लेन वाली सड़कों के अच्छे नेटवर्क से जहां उद्योगों तक कच्चा माल पहुंचना आसान हो गया, वहीं इसने तैयार माल को मार्केट में भेजना भी आसान बना दिया। कृषि के लिए भी यह योजना फायदेमंद साबित हुई। इसके अलावा परियोजना ने स्टील और सीमेंट लैसे कोर सेक्टर के उद्योगों को भी प्रत्यक्ष मांग प्रदान की।
5,846 कि.मी. लंबी परियोजना
भारतीय इतिहास की इस सबसे बड़ी परियोजना में 5846 किमी लंबी सड़कों का निर्माण हुआ। प्रोजेक्ट को चार फेज़ में पूरा किया गया। पहला फेज़ दिल्ली से कोलकाता के बीच था। जिसमें 1454 किलोमीटर लंबी सड़कों का निर्माण हुआ। इसके बाद कोलकाता से चेन्नई के बीच 1,684 किलोमीटर लंबा हाइवे तैयार हुआ। तीसरा फेज़ चेन्नई और मुंबई के बीच था, जिसमें 1,290 किलोमीटर लंबी सड़कें बनीं। चौथा फेज़ मुंबई से दिल्ली के बीच है और इसकी कुल लंबाई 1,419 किलोमीटर है।
13 राज्यों को मिला फायदा
स्वर्णिम चतुर्भुज परियोजना से देश के 13 राज्यों को सीधा फायदा हुआ। इसमें दिल्ली, उत्तरप्रदेश, बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल, ओडिशा, आंध्रप्रेदश, तमिलनाडु, कर्नाटक, महाराष्ट्र, राजस्थान, गुजारत, हरियाणा शामिल हैं। इसमें सबसे लंबी सड़कों का निर्माण आंध्रप्रदेश में हुआ। यहां 1014 किमी लंबी सड़कें बनीं।