
उत्तर प्रदेश सरकार ने वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए अपनी नई आबकारी नीति को मंजूरी दे दी है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में राज्य ने 55,000 करोड़ रुपये का महत्वाकांक्षी राजस्व लक्ष्य निर्धारित किया है, जो पिछले वर्ष से 4,000 करोड़ रुपये अधिक है। उत्तर प्रदेश की नई आबकारी नीति में कई महत्वपूर्ण बदलाव किए गए हैं, जिसमें 'संयुक्त शराब की दुकानें' शामिल हैं, जहां बीयर, शराब और वाइन एक ही जगह बेची जाएंगी। वहीं, राज्य की सभी शराब की दुकानों को ई-लॉटरी प्रणाली के माध्यम से संचालित किया जाएगा। नए नियम के तहत विकास प्राधिकरणों या औद्योगिक क्षेत्रों में 20,000 वर्ग मीटर से बड़े आईटी और आईटीईएस प्रतिष्ठानों में बार और लग्जरी रिटेल आउटलेट खोलने की भी अनुमति है। इसके अलावा, बीयर की तरह, वाइन को भी अब नई नीति के तहत डिब्बे में बेचा जा सकेगा।
यूपी में बनी शराब की बिक्री पर जोर
सात वर्षों के बाद ई-लॉटरी प्रणाली फिर से शुरू की गई है। उत्तर प्रदेश नई आबकारी नीति का उद्देश्य शराब की बिक्री के लिए 'समग्र दुकानें' खोलने के अलावा, किसानों की आय और स्थानीय उद्यमिता को बढ़ाना और राज्य-आधारित वाइनरी को स्थानीय फलों से बने उत्पाद बेचने के लिए हर जिले में एक दुकान खोलने की अनुमति देना भी है। राज्य में शराब बनाने के लिए दो फैक्ट्री एक मुजफ्फरनगर में और दूसरी बरेली में खुल रही है, जो अमरूद और आम जैसे स्थानीय फलों का इस्तेमाल करके कच्ची सामग्री के रूप में वाइन बनाएंगी, जिसे हर जिले में खोली जाने वाली इन दुकानों में बेचा जाएगा। इसका उद्देश्य राज्य के स्वामित्व वाली वाइनरी को स्थानीय फलों से बने उत्पादों को बेचने के लिए प्रत्येक जिले में एक दुकान संचालित करने में सक्षम बनाकर किसानों की आय और स्थानीय उद्यमिता को बढ़ावा देना है।
होम बार की प्रक्रिया सरल की गई
नई आबकारी नीति में घर में शराब रखने और होम बार बनाने वाले शौकीन लोगों के लिए पॉलिसी में बदलाव किया गया है। नई पॉलिसी में व्यक्तिगत निवास लाइसेंस प्राप्त करने की प्रक्रिया को आसान बनाया गया है जो लोगों को व्यक्तिगत उपयोग के लिए खुदरा सीमा से परे शराब खरीदने, परिवहन करने और संग्रहीत करने की अनुमति देता है। इस परमिट के लिए वार्षिक शुल्क ₹11,000 होगा, साथ ही ₹11,000 अतिरिक्त सुरक्षा जमा राशि होगी। नोएडा, गाजियाबाद, आगरा और लखनऊ में केवल बीयर और वाइन परोसने के लिए कम अल्कोहल वाले बार और प्रीमियम रिटेल वेंड खोले गए हैं।
बीयर के लिए अलग से दुकान नहीं
बीयर के लिए पहले अलग लाइसेंस की आवश्यकता होती थी, लेकिन अपडेट की गई नीति आबकारी नीति में विदेशी शराब, बीयर और वाइन को एक साथ बेचने के लिए कंपोजिट दुकान होंगे। हालांकि, इन दुकानों में परिसर में शराब पीने की अनुमति नहीं होगी। इसके अतिरिक्त, प्रीमियम रिटेल शॉप लाइसेंस का नवीनीकरण ₹25 लाख के वार्षिक शुल्क पर किया जाएगा, जिसमें लाइसेंसिंग शुल्क पिछले वर्ष से स्थिर रहेगी। मार्केट में किसी एक की मोनोपोली नहीं चले, इसलिए कोई भी कंपनी दो से अधिक लाइसेंस नहीं रख सकती है।
60 मिली और 90 मिली की बोतलें मिलेंगी
नई आबकारी नीति के तहत, प्रीमियम ब्रांड की शराब की दुकानों को मल्टीप्लेक्स या मॉल के भीतर संचालित करने से प्रतिबंधित किया जाएगा, लेकिन ऐसे स्टोर अधिकारियों से अनापत्ति प्रमाण पत्र के साथ हवाई अड्डे के टर्मिनलों, मेट्रो स्टेशनों और रेलवे स्टेशनों पर स्थापित किए जा सकते हैं। इसके अलावा, पहली बार विदेशी शराब की 60 मिली और 90 मिली की बोतलें बेची जाएंगी। दुकानों के मुख्य प्रवेश द्वार को इमारत के अंदर होने की अनिवार्यता भी हटा दी गई है।