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किसानों की चावल और गेहूं पर मिल रही सब्सिडी पर कनाडा समेत इन देशों को लगी मिर्ची, भारत पर लगाया ये आरोप

भारत खाद्य सब्सिडी सीमा की गणना के लिए फॉर्मूले में संशोधन की मांग कर रहा है।

Edited By: Alok Kumar @alocksone
Published : Nov 11, 2024 08:48 pm IST, Updated : Nov 11, 2024 08:48 pm IST
Rice and Wheat - India TV Paisa
Photo:FILE चावल और गेहूं

विश्व व्यापार संगठन (WTO) के पांच सदस्यों- अर्जेंटीना, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, यूक्रेन और अमेरिका - ने आरोप लगाया है कि भारत गेहूं और चावल को अत्यधिक बाजार समर्थन प्रदान करता है जो वैश्विक व्यापार को बिगाड़ता करता है। विश्व व्यापार संगठन को लिखे पत्र में इन देशों ने यह दावा किया है। इन देशों ने कहा कि चावल के लिए भारत का स्पष्ट एमपीएस (बाजार मूल्य समर्थन) दो वर्षों (2021-23) में से प्रत्येक में उत्पादन के मूल्य (वीओपी) का 87 प्रतिशत से अधिक प्रतीत होता है। भारत ने इन वर्षों के लिए डब्ल्यूटीओ को आंकड़े अधिसूचित किए हैं। डब्ल्यूटीओ की कृषि समिति को सौंपे गए इन देशों के पत्र के अनुसार, ‘‘भारत चावल और गेहूं के लिए पूर्ण मूल्य और उत्पादन के मूल्य के प्रतिशत के रूप में महत्वपूर्ण बाजार मूल्य समर्थन प्रदान करता प्रतीत होता है।’’ 

औपचारिक मंच पर इसका उचित जवाब देंगे

एक भारतीय अधिकारी ने कहा कि हम औपचारिक मंच पर इसका उचित जवाब देंगे। पत्र में कहा गया है कि भारत की सबसे हालिया घरेलू समर्थन अधिसूचना में कृषि समझौते (एओए) के एक नियम के तहत ‘व्यापार-बिगाड़ने’ वाले घरेलू समर्थन में 60.5 अरब डॉलर से अधिक की राशि शामिल है। अप्रैल में, भारत ने खाद्य सुरक्षा उद्देश्यों के लिए अपने मौजूदा सार्वजनिक सार्वजनिक भंडारणस कार्यक्रमों को बनाए रखने के लिए विपणन वर्ष 2022-23 में चावल किसानों को अतिरिक्त सहायता उपाय प्रदान करने के लिए विश्व व्यापार संगठन के शांति खंड (पीस क्लॉज) का इस्तेमाल किया था। इसके तहत डब्ल्यूटीओ के सदस्य, जिनेवा स्थित संगठन के विवाद निपटान मंच पर किसी विकासशील देश द्वारा दी गई निर्धारित सब्सिडी सीमा में किसी भी उल्लंघन को चुनौती देने से बचते हैं। 

भारत कर रहा यह मांग 

निर्धारित सीमा से अधिक की सब्सिडी को व्यापार-बिगाड़ने वाला माना जाता है। भारत जैसे विकासशील देशों के लिए यह सीमा खाद्य उत्पादन के मूल्य का 10 प्रतिशत तय की गई है। भारत खाद्य सब्सिडी सीमा की गणना के लिए फॉर्मूले में संशोधन की मांग कर रहा है। अंतरिम उपाय के रूप में दिसंबर, 2013 में बाली मंत्रिस्तरीय बैठक में डब्ल्यूटीओ के सदस्यों ने पीस क्लॉज नामक तंत्र स्थापित करने पर सहमति व्यक्त की थी। यह व्यवस्था तब तक लागू रहेगी जब तक कि खाद्य भंडारण मुद्दे का स्थायी समाधान नहीं मिल जाता। 

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