
HDFC के पूर्व चेयरमैन दीपक पारेख ने खुलासा किया है कि ICICI Bank की पूर्व प्रमुख चंदा कोचर ने एक बार आईसीआईसीआई और एचडीएफसी के बीच विलय का प्रस्ताव रखा था, जो एचडीएफसी के अपने बैंकिंग शाखा के साथ रिवर्स विलय से काफी पहले था। लेकिन इसे अस्वीकार कर दिया गया। एचडीएफसी बैंक की मूल इकाई एचडीएफसी लिमिटेड ने बाद में अपनी बैंकिंग अनुषंगी कंपनी के साथ विलय कर देश का सबसे बड़ा प्राइवेट सेक्टर का बैंक बनाया। यह विलय एक जुलाई, 2023 से प्रभावी हुआ। रिवर्स विलय के साथ, 44 वर्षीय संस्था एचडीएफसी लिमिटेड पुरानी यादों में खो गई।
ICICI ने वित्तीय सहायता दी थी
दिलचस्प बात यह है कि एचडीएफसी लिमिटेड के निर्माण में आईसीआईसीआई बैंक की मूल इकाई आईसीआईसीआई लिमिटेड ने वित्तीय सहायता दी थी। आईसीआईसीआई बैंक की पूर्व प्रबंध निदेशक (एमडी) और मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) चंदा कोचर के साथ बातचीत के दौरान पारेख ने कहा, “मुझे याद है कि आपने मुझसे एक बार बात की थी। आपने कहा था कि आईसीआईसीआई ने एचडीएफसी की शुरुआत की थी। आप घर वापस क्यों नहीं आते?, यह आपका प्रस्ताव था।” इस बातचीत को यूट्यूब पर जारी किया गया। हालांकि, पारेख ने कहा कि उन्होंने इस प्रस्ताव को यह कहते हुए अस्वीकार कर दिया कि “यह हमारे नाम और बैंक और सभी के लिए उचित नहीं होगा।” उन्होंने कहा कि बाद में जुलाई, 2023 में एचडीएफसी बैंक के साथ वापस विलय मुख्य रूप से विनियामक दबाव से प्रेरित था।
आरबीआई ने धकेला भी और मदद भी की
पारेख ने कहा, “भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने हमारा समर्थन किया और उन्होंने हमें कुछ हद तक इसमें धकेला और उन्होंने हमारी मदद की। कोई रियायत नहीं, कोई राहत नहीं, कोई समय नहीं, कुछ भी नहीं लेकिन उन्होंने हमें प्रक्रिया से गुजरने और मंजूरी प्राप्त करने में मदद की।” विलय को संस्थान के लिए अच्छा बताते हुए उन्होंने कहा कि देश के लिए बड़े बैंकों का होना अच्छा है। उन्होंने कहा कि भारतीय बैंकों को भविष्य में मजबूत बनने के लिए अधिग्रहण के माध्यम से वृद्धि करनी होगी।