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Employment News: देश में रोजगार के मौके बढ़े लेकिन ग्रामीण क्षेत्र के मुकाबले शहरी क्षेत्र में बेरोजगारी बढ़ी

Employment News: जुलाई में ग्रामीण क्षेत्रों में बेरोजगारी दर घटकर 6.14 प्रतिशत रह गई । वहीं शहरी क्षेत्रों में बेरोजगारी दर बढ़कर 8.21 प्रतिशत हो गई जो एक महीने पहले 7.80 प्रतिशत थी।

Edited By: Alok Kumar @alocksone
Published : Aug 02, 2022 20:14 IST, Updated : Aug 02, 2022 20:16 IST
 Employment News- India TV Paisa
Photo:PTI Employment News

Employment News: मानसून के दौरान कृषि गतिविधियां बढ़ने से जुलाई महीने में देश की बेरोजगारी दर घटकर 6.80 प्रतिशत पर आ गई। एक महीने पहले जून में यह 7.80 प्रतिशत पर थी। आर्थिक गतिविधियों पर नजर रखने वाली संस्था 'सेंटर फॉर मॉनिटरिंग ऑफ इंडियन इकॉनमी' (सीएमआईई) ने जुलाई 2022 के आंकड़े जारी करते हुए बेरोजगारी दर में कमी आने का दावा किया है। हालांकि ग्रामीण क्षेत्र के मुकाबले शहरी क्षेत्र में बेरोजगारी बढ़ी है। सीएमआईई के मुताबिक, बीते महीने ग्रामीण क्षेत्रों में बेरोजगारी दर घटकर 6.14 प्रतिशत रह गई जबकि जून में यह 8.03 प्रतिशत थी। वहीं शहरी क्षेत्रों में बेरोजगारी दर बढ़कर 8.21 प्रतिशत हो गई जो एक महीने पहले 7.80 प्रतिशत थी।

रोजगार में माह-दर-माह आधार पर आंशिक सुधार

शहरी क्षेत्रों में बेरोजगारी बढ़ने के पीछे उद्योग जगत एवं सेवा क्षेत्र दोनों में ही नौकरियों में आई कमी को जिम्मेदार बताया गया है। सीएमआईई की मासिक रिपोर्ट कहती है कि जुलाई में शहरी क्षेत्र में रोजगार छह लाख तक कम हो गए। इस तरह जून के 12.57 करोड़ शहरी रोजगार की तुलना में जुलाई में यह संख्या 12.51 करोड़ रह गई। सीएमआईई के प्रबंध निदेशक एवं मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) महेश व्यास ने कहा कि रोजगार में माह-दर-माह आधार पर आंशिक सुधार देखा गया। जून में रोजगार 1.3 करोड़ घटा था जबकि जुलाई में 63 लाख रोजगार पैदा हुए। उन्होंने कहा कि जुलाई में बेरोजगारी दर कम होने में मुख्य रूप से कृषि संबंधी रोजगार में वृद्धि की अहम भूमिका रही। दक्षिण-पश्चिम मानसून के सक्रिय होने से खरीफ की फसलों की बुवाई ने तेजी पकड़ी और ग्रामीण रोजगार बढ़ गए।

कृषि क्षेत्र में अतिरिक्त 94 लाख रोजगार पैदा हुए

व्यास ने कहा कि जुलाई में कृषि क्षेत्र ने अतिरिक्त 94 लाख रोजगार पैदा किए जबकि जून में 80 लाख लोग बेरोजगार हुए थे। हालांकि कृषि गतिविधियों में पैदा हुए मौसमी रोजगार की संख्या अनुमान से कहीं कम रही है। यह मानसूनी बारिश के देर से जोर पकड़ने और उसकी वजह से खरीफ फसलों की बुआई के रकबे में कमी आने का नतीजा भी है। सीएमआईई प्रमुख ने कहा कि जुलाई अंत तक के आंकड़े बताते हैं कि उत्तर प्रदेश, बिहार और पश्चिम बंगाल जैसे प्रमुख चावल उत्पादक राज्यों में धान की बुवाई 13 प्रतिशत तक कम हुई है। व्यास ने कहा, "खरीफ फसलों की बुवाई में सुधार नहीं होने तक हमें ग्रामीण रोजगार की स्थिति में सुधार होने की संभावना नहीं दिखाई देती है। हालांकि मुझे आगे चलकर मानसून की स्थिति में सुधार की उम्मीद दिख रही है। इसका ग्रामीण रोजगार पर भी सकारात्मक असर होगा।"

औद्योगिक क्षेत्र में दो लाख नौकरियां कम हुई

व्यास ने शहरी बेरोजगारी दर के बढ़कर 8.21 प्रतिशत होने के लिए औद्योगिक क्षेत्र में दो लाख नौकरियां कम होने और सेवा क्षेत्र में 28 लाख रोजगार जाने को जिम्मेदार ठहराया है। इसके पहले जून में भी औद्योगिक क्षेत्र में 43 लाख और सेवा क्षेत्र में आठ लाख रोजगार चले गए थे। इस तरह उद्योग और सेवा दोनों ही क्षेत्रों में बीते दो महीनों में मिलकर करीब 80 लाख रोजगार जा चुके हैं। व्यास ने कहा कि ऐसी स्थिति में रोजगार बढ़ाने के लिए अधिक निवेश किए जाने की जरूरत है। हालांकि उन्होंने देश में बेरोजगारी की स्थिति में व्यापक स्तर पर कमी की उम्मीद से इनकार किया।

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