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विदेशी निवेशकों ने 3 महीने में भारतीय बाजार से 1.28 अरब डॉलर निकाले, जानना चाहेंगे ऐसा करने की वजह?

कैलेंडर वर्ष 2021 में भारत-केंद्रित विदेशी कोष एवं ईटीएफ श्रेणी के तहत 2.45 अरब डॉलर की निकासी की गई, जो 2020 में हुई 9.26 अरब डॉलर की निकासी से काफी कम है।

Edited by: Alok Kumar @alocksone
Published : May 17, 2022 07:59 am IST, Updated : May 17, 2022 07:59 am IST
Indian Market - India TV Paisa
Photo:FILE

Indian Market 

विदेशी निवेशकों ने भारत-केंद्रित विदेशी कोषों और एक्सचेंज-ट्रेडेड फंड (ईटीएफ) ने वित्त वर्ष 2021-22 के अंतिम तीन महीनों में 1.28 अरब डॉलर की निकासी की। यह लगातार 16वीं तिमाही रही जिसमें विदेशी कोषों ने भारतीय बाजार से शुद्ध निकासी की। मॉर्निंगस्टार की एक रिपोर्ट के अनुसार, मार्च 2022 को समाप्त चौथी तिमाही में विदेशी कोषों एवं ईटीएफ ने 1.28 अरब डॉलर की निकासी की जबकि एक साल पहले की समान अवधि में यह आंकड़ा 43.5 करोड़ डॉलर रहा था। इस तरह निकासी को देखते हुए एक सवाल हम सभी के मन में उठता है कि आखिर विदेशी निवेशक को हो क्या गया है? क्या उनका भरोसा भारतीय बाजार पर से खत्म हो गया है। जिस तेजी से वो भारतीय बाजार से अपना पैसा निकाल रहे हैं, इसका असर भारतीय बाजार पर क्या होगा? आइए? इन सवालों के जवाब ढूंढते हैं। 

इन कारणों से निकाल रहें तेजी से पैसा 

बाजार के जानकारों का कहना है कि रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध के कारण भू-राजनीतिक तनाव बढ़ने, अमेरिकी फेडरल रिजर्व की तरफ से ब्याज दरें बढ़ाने, कच्चे तेल की कीमतों में अस्थिरता आने और दुनियाभर में मुद्रास्फीति बढ़ने से निवेशकों ने तिमाही के दौरान जोखिम से बचने को तरजीह दी। इसी के साथ विदेशी निवेशकों ने अपेक्षाकृत अधिक जोखिम वाले भारत जैसे उभरते बाजारों से निकलकर सोना या अमेरिकी डॉलर जैसे कहीं सुरक्षित समझे जाने वाले निवेश साधनों में निवेश करना शुरू कर दिया। भारत-केंद्रित विदेशी कोष और ईटीएफ जैसे निवेश साधनों के जरिये विदेशी निवेशक भारतीय शेयर बाजार में निवेश करते हैं। 

पिछले साल काफी कम निकासी की थी 

कैलेंडर वर्ष 2021 में भारत-केंद्रित विदेशी कोष एवं ईटीएफ श्रेणी के तहत 2.45 अरब डॉलर की निकासी की गई, जो 2020 में हुई 9.26 अरब डॉलर की निकासी से काफी कम है। रिपोर्ट कहती है कि वैश्विक मुद्रास्फीति की भावी स्थिति और आर्थिक वृद्धि के मोर्चे पर प्रदर्शन के अलावा फेडरल रिजर्व के ब्याज दरें बढ़ाने जैसे कारकों पर विदेशी निवेशकों की करीबी नजर बनी रहेगी। भारत-केंद्रित विदेशी कोष एवं ईटीएफ का भारत में प्रवाह इससे भी प्रभावित होगा कि रूस-यूक्रेन जंग के कारण मौजूदा भू-राजनीतिक परिदृश्य कब तक बना रहता है। इसके अलावा विदेशी निवेशकों की नजर घरेलू स्तर पर मुद्रास्फीति नियंत्रण के लिए रिजर्व बैंक द्वारा नीतिगत ब्याज दरों में वृद्धि पर भी रहेगी। 

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