Sunday, December 14, 2025
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₹1000 करोड़ के साइबर फ्रॉड के पीछे चीन के 4 नागरिक, 111 शेल कंपनियों का पर्दाफाश- CBI ने दाखिल की चार्जशीट

जांच एजेंसी की फाइनल रिपोर्ट के अनुसार, इस गिरोह ने 111 शेल कंपनियों के जरिए अवैध फंड्स के ट्रांजैक्शन को छिपाया और ‘म्यूल’ अकाउंट्स के जरिए लगभग 1000 करोड़ रुपये की हेराफेरी की।

Reported By : Abhay Parashar Edited By : Sunil Chaurasia Published : Dec 14, 2025 01:18 pm IST, Updated : Dec 14, 2025 01:21 pm IST
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Photo:PTI कोविड-19 महामारी के समय शुरू किया था फ्रॉड

CBI (केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो) ने 1000 करोड़ रुपये से ज्यादा की रकम हड़पने में शामिल एक इंटरनेशनल साइबर फ्रॉड नेटवर्क में शामिल होने के आरोप में चीन के चार नागरिकों समेत 17 लोगों और 58 कंपनियों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल किया है। अधिकारियों ने रविवार को ये जानकारी दी। इस साल अक्टूबर में गिरोह का पर्दाफाश करने के बाद जांच अधिकारियों ने पाया कि ये एक सुनियोजित और संगठित सिंडिकेट था, जो जटिल डिजिटल और फाइनेंशियल सिस्टम के जरिए कई तरह के फ्रॉड कर रहा था। 

कैसे फ्रॉड करता था गिरोह

गिरोह के फ्रॉड के इन तरीकों में भ्रामक लोन ऐप्लिकेशन, फर्जी इंवेस्टमेंट स्कीम्स, पोंजी और मल्टी-लेवल मार्केटिंग मॉडल, फर्जी पार्ट-टाइम जॉब के ऑफर और फर्जी ऑनलाइन गेमिंग प्लेटफॉर्म शामिल थे। जांच एजेंसी की फाइनल रिपोर्ट के अनुसार, इस गिरोह ने 111 शेल कंपनियों के जरिए अवैध फंड्स के ट्रांजैक्शन को छिपाया और ‘म्यूल’ अकाउंट्स के जरिए लगभग 1000 करोड़ रुपये की हेराफेरी की। रिपोर्ट में कहा गया है कि इनमें से एक खाता ऐसा भी था, जिसमें काफी कम समय में 152 करोड़ रुपये से ज्यादा की राशि जमा हुई थी। 

कोविड-19 महामारी के समय शुरू किया था फ्रॉड

सीबीआई ने कहा कि ये शेल कंपनियां ‘डमी’ डायरेक्टर्स, जाली या भ्रामक डॉक्यूमेंट्स, फर्जी पतों और बिजनेस उद्देश्यों के बारे में झूठे हलफनामों के जरिए बनाई गई थीं। जांच अधिकारियों के मुताबिक, इस गिरोह ने ये फ्रॉड साल 2020 में शुरू किया था, जब पूरा देश कोविड-19 महामारी से जूझ रहा था। आरोप है कि ये शेल कंपनियां चार चीनी ऑपरेटरों जोउ यी, हुआन लियू, वेइजियान लियू और गुआनहुआ वांग के निर्देश पर स्थापित की गई थीं।

मनी लॉन्ड्रिंग में इस्तेमाल किए गए अनजान लोगों के डॉक्यूमेंट्स

इन चीनी ऑपरेटरों के भारतीय साथियों ने अनजान लोगों से पहचान के दस्तावेज हासिल किए और इन दस्तावेजों का इस्तेमाल शेल कंपनियों और मनी लॉन्ड्रिंग के लिए बनाए गए अकाउंट्स के नेटवर्क बनाने के लिए किया गया। इन खातों का इस्तेमाल घोटालों से मिले पैसे को लॉन्डर करने और पैसों के लेन-देन का पता छिपाने के लिए किया जाता था। जांच में कम्युनिकेशन लिंक और ऑपरेशनल कंट्रोल का पता चला, जिससे, एजेंसी के मुताबिक, विदेश से फ्रॉड नेटवर्क चलाने वाले चीनी मास्टरमाइंड की भूमिका साबित हुई।

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