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RBI Rate Hike: ..तो विनाशकारी होते परिणाम! शक्तिकांत दास ने बताया, 2 साल तक क्यों नहीं बढ़ीं ब्याज दरें

RBI गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि केंद्रीय बैंक अगर और पहले महंगाई रोकने पर ध्यान देने में लग जाता तो इसके परिणाम अर्थव्यवस्था के लिए विनाशकारी हो सकते थे।

India TV Paisa Desk Written by: India TV Paisa Desk
Published on: June 17, 2022 16:05 IST
Shakti Kant Das- India TV Paisa
Photo:FILE

Shakti Kant Das

आतंक का पयार्य बन चुकी कोरोना महामारी से दुनिया एक बार फिर बाहर निकल रही है। भारत भी लंबे लॉकडाउन, पलायन और मौतों के भंवरजाल से तरक्की की राह पर चल पड़ा है। लेकिन कोरोना के दौरान हुआ आर्थिक नुकसान और अब यूरोप में जारी युद्ध ने प्र​गति की रफ्तार में रोड़ अटकाने शुरू कर दिए हैं। 

महंगाई चरम पर है, खाने पीने से लेकर पेट्रोल डीजल तक सभी प्रकार के सामान आम आदमी की पहुंच से आगे निकल चुके हैं। महंगाई पर काबू पाने के लिए रिजर्व बैंक ने मई से ब्याज दरों में बढ़ोत्तरी की मुहिम शुरू की है। लेकिन लोगों का मानना है कि महंगाई पर काबू पाने की कोशिश पहले से ही शुरू कर देनी चाहिए थी। इन्हीं आरोपों का जवाब आज रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने दिया। आइए जानते हैं रिजर्व बैंक गवर्नर ने किस प्रकार नीतिगत फैसलों का बचाव किया। 

महंगाई रोकते तो विनाशकारी होते परिणाम

सही समय पर कदम नहीं उठा पाने के आरोपों को खारिज करते हुए भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि केंद्रीय बैंक अगर और पहले महंगाई रोकने पर ध्यान देने में लग जाता तो इसके परिणाम अर्थव्यवस्था के लिए विनाशकारी हो सकते थे। दास ने कहा, ‘‘अधिक महंगाई को बर्दाश्त करना आवश्यक था, हम अपने फैसले पर कायम हैं।’’ उन्होंने कहा कि केंद्रीय बैंक आर्थिक बदलावों की जरूरतों को देखते हुए कदम उठा रहा था। दास ने कहा कि आरबीआई के नियमों में यह स्पष्ट कहा गया है कि महंगाई का प्रबंधन ग्रोथ  को ध्यान में रखते हुए किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि कोरोना महामारी के मद्देनजर आरबीआई ने वृद्धि की ओर ध्यान दिया और कैश फ्लो को बढ़ने दिया गया। 

यही था सही वक्त 

आरबीआई गवर्नर ने साफ किया कि मुद्रास्फीति से निपटने के लिए आरबीआई तीन या चार महीने पहले ध्यान नहीं दे सकता था। उन्होंने कहा कि मार्च में जब आरबीआई को ऐसा लगा कि आर्थिक गतिविधियां वैश्विक महामारी से पहले के स्तर से आगे निकल गई हैं तब उसने मुद्रास्फीति को काबू करने की दिशा में काम करने का निर्णय लिया। उन्होंने कहा कि केंद्रीय बैंक दरों में तत्काल बड़ी वृद्धि नहीं कर सकता था। 

कच्चे तेल ने बिगाड़ा गणित

उन्होंने कहा कि फरवरी 2022 में अनुमान लगाया गया था कि 2022-23 में मुद्रास्फीति 4.5 फीसदी रह सकती है, वह कोई आशाजनक अनुमान नहीं था, यह गणना भी कच्चे तेल की कीमतें 80 डॉलर प्रति बैरल रहने के अनुमान को ध्यान में रखकर की गई थी लेकिन यूक्रेन पर रूस के हमले से परिदृश्य बदल गया।

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