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अब कंपनियां नहीं कर पाएंगी शेयरों का बाय-बैक, निवेश से पहले आप भी जान लें सेबी के नए बदलाव

सेबी की प्रमुख माधवी पुरी बुच ने बैठक के बाद कहा कि नियामक ने शेयर बाजार से शेयर पुनर्खरीद के तरीके में पक्षपात की आशंका को देखते हुए अब निविदा प्रस्ताव मार्ग को वरीयता देने का फैसला किया है।

Sachin Chaturvedi Edited By: Sachin Chaturvedi @sachinbakul
Published on: December 21, 2022 9:50 IST
SEBI Head Madhavi Buch Puri- India TV Paisa
Photo:FILE SEBI Head Madhavi Buch Puri

बीते कुछ दिनों से आपने देश की कई दिग्गज कंपनियों की ओर से शेयरों के बायबैक की खबरें सुनी होंगी। लेकिन जल्द ही ये बीते समय की बात होने जा रही हैं। सेबी ने ऐलान कर दिया है कि वह धीरे धीरे इस व्यवस्था को खत्म कर ​देगा। भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) के निदेशक मंडल की यहां हुई बैठक में यह फैसला किया गया। इसके अलावा सतत वित्त सुनिश्चित करने और ‘ग्रीनवॉशिंग’ पर अंकुश के लिए मानकों में संशोधन का फैसला भी किया गया। इसके तहत सेबी ने ब्लू बॉन्ड और येलो बॉन्ड की संकल्पना भी पेश की। 

सेबी की प्रमुख माधवी पुरी बुच ने बैठक के बाद संवाददाताओं से कहा कि नियामक ने शेयर बाजार से शेयर पुनर्खरीद के तरीके में पक्षपात की आशंका को देखते हुए अब निविदा प्रस्ताव मार्ग को वरीयता देने का फैसला किया है। उन्होंने कहा, ‘‘यह एक क्रमिक रूप से आगे बढ़ने वाला रास्ता है और शेयर बाजार के जरिये शेयरों की पुनर्खरीद करने के मौजूदा ढंग को धीरे-धीरे खत्म किया जाएगा।’’ 

अब लागू होगा टेंडर सिस्टम

शेयर बाजारों में सूचीबद्ध कंपनियां निवेशकों के पास मौजूद शेयरों को खरीदने के लिए खुले बाजार से शेयरों की पुनर्खरीद करती हैं। इसके अलावा पुनर्खरीद का एक तरीका निविदा प्रस्ताव का भी है जिसे सेबी धीरे-धीरे लागू करेगा। निदेशक मंडल ने यह भी तय किया है कि शेयर बाजार से होने वाली पुनर्खरीद से जुटाई गई राशि का 75 प्रतिशत हिस्सा कंपनियों को इस्तेमाल करना होगा। अभी तक यह सीमा 50 प्रतिशत ही थी। 

क्या होता है बायबैक?

जब कंपनी ओपन मार्केट में उपलब्ध शेयरों की संख्या को घटाने के लिए अपने बकाया शेयरों की खरीद करती है तो उसे बायबैक कहा जाता है। बायबैक को शेयर पुनर्खरीद भी कहा जाता है। कंपनी कई वजहों से शेयरों की पुनर्खरीद करती है जैसे कि आपूर्ति घटाने के द्वारा उपलब्ध शेष शेयरों की वैल्यू को बढ़ाना या कंट्रोलिंग स्टेक अर्थात नियंत्रणकारी हिस्सेदारी से दूसरे शेयरधारकों को वंचित करना। पुनर्खरीद, बकाया शेयरों की संख्या घटा देती है और इस प्रकार प्रति शेयर को आय को और अक्सर स्टॉक की वैल्यू में बढ़ोतरी कर देती है। शेयरों की पुनर्खरीद निवेशक को यह प्रदर्शित कर सकती है कि बिजनेस के पास आकस्मिकताओं के लिए पर्याप्त नकदी है और आर्थिक समस्याओं की संभाव्यता कम है।

शुरू होगी स्पेशल विंडो

सेबी ने यह भी कहा कि मौजूदा व्यवस्था बने रहने तक पुनर्खरीद की प्रक्रिया को अंजाम देने के लिए एक्सचेंज पर एक अलग खिड़की शुरू की जाएगी। शेयर बाजार से होने वाली पुनर्खरीद में शेयरों की खरीद मौजूदा बाजार भाव पर होने से अधिकांश शेयरधारकों के लिए शेयरों का स्वीकृत होना काफी हद तक संयोग पर निर्भर होता है। यह साफ नहीं होता है कि शेयरों को पुनर्खरीद के तहत लिया गया है या उन्हें खुले बाजार में बेचा गया है। इसकी वजह से शेयरधारक पुनर्खरीद के लाभ का दावा भी नहीं कर पाते हैं। इन समस्याओं को देखते हुए सेबी के निदेशक मंडल ने शेयरों की पुनर्खरीद के नियमों में संशोधन को मंजूरी दे दी है। 

ग्रीन बॉन्ड के ढांचे को मिलेगी मजबूती

एचडीएफसी के वाइस चेयरमैन एवं मुख्य कार्यपालक अधिकारी केकी मिस्त्री की अगुवाई वाली एक सेबी समिति ने खुले बाजार से शेयर पुनर्खरीद को चरणबद्ध ढंग से खत्म करने की अनुशंसा की थी। इसके अलावा सेबी ने सतत वित्त मुहैया कराने के लिए ब्लू बॉन्ड एवं येलो बॉन्ड की संकल्पना पेश करते हुए हरित बॉन्ड के ढांचे को मजबूत करने का भी फैसला किया। ब्लू बॉन्ड की संकल्पना जल प्रबंधन एवं समुद्री उत्पादों से संबंधित है जबकि येलो बॉन्ड का संबंध सौर ऊर्जा से है। ये बॉन्ड हरित ऋण प्रतिभूतियों की ही उप-श्रेणियां हैं। 

ग्रीन वॉशिंग के लिए जारी होंगे नियम 

नियामक ने कहा कि खुद को हरित बनाने के बजाय हरित दिखाने पर अधिक जोर देने की प्रवृत्ति 'ग्रीन वॉशिंग' से संबंधित जोखिमों को दूर करने के लिए वह कुछ बुनियादी नियम एवं प्रावधान भी जारी करेगा। इसका मकसद ग्रीन बॉन्ड से जुटाई गई राशि का इस्तेमाल पर्यावरणीय लाभों से इतर कार्यों में करने से रोकना है। भारतीय कंपनियों ने वर्ष 2021 में ईएसजी (पर्यावरणीय, सामाजिक एवं संचालन) और ग्रीन बॉन्ड के जरिये लगभग सात अरब डॉलर जुटाए थे। इसके साथ ही सेबी ने म्यूचुअल फंड योजनाओं के डायरेक्ट प्लान के लिए ‘सिर्फ क्रियान्वयन वाले मंच’ (ईओपी) का एक नियामकीय प्रारूप लाने का भी फैसला किया है। 

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