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रूस-यूक्रेन संकट के कारण पड़ी महंगाई की मार, घरेलू इस्पात की कीमतें 5000 रुपये प्रति टन बढ़ीं

आने वाले हफ्तों में रूस-यूक्रेन के बीच सैन्य संघर्ष गहराने के साथ इसकी कीमत में और वृद्धि होने के आसार है

Edited by: India TV Paisa Desk
Published : March 04, 2022 19:06 IST
Steel- India TV Paisa
Photo:FILE

Steel

नयी दिल्ली। घरेलू इस्पात विनिर्माताओं ने हॉट रोल्ड कॉयल (एचआरसी) और टीएमटी सरिये का दाम पांच हजार रुपये प्रति टन तक बढ़ा दिया है। यूक्रेन संकट के कारण आपूर्ति श्रृंखला बाधित होने से घरेलू निर्माताओं ने इस्पात के दाम बढ़ाये हैं। उद्योग से जुड़े सूत्रों के अनुसार पिछले कुछ दिनों में इस्पात की कीमतों में वृद्धि की गई है और आने वाले हफ्तों में रूस-यूक्रेन के बीच सैन्य संघर्ष गहराने के साथ इसकी कीमत में और वृद्धि होने के आसार है।

 सूत्रों ने शुक्रवार को बताया कि कीमतों में बदलाव के बाद एचआरसी का भाव 66,000 रुपये प्रति टन पर पहुंच गया है। इसी तरह टीएमटी की कीमत लगभग 65,000 रुपये प्रति टन पर आ गई है। एक इस्पात कंपनी के अधिकारी ने बताया कि इस्पात की कीमतों में कुछ हफ्ते पहले की तुलना में लगभग 20 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। वही कोकिंग कोल की कीमत 500 डॉलर प्रति पर पहुंच गई है। गौरतलब है कि भारत अपनी जरुरत का 85 प्रतिशत कोकिंग कोल आयात के जरिये पूरा करता है। 

कोकिंग कोल कच्चा माल बनाने वाला एक प्रमुख इस्पात है। यह ज्यादतर ऑस्ट्रेलिया के आयत किया जाता है और कुछ हिस्सा दक्षिण अफ्रीका, कनाडा और अमेरिका से ख़रीदा जाता है। इस्पात समेत घरेलू क्षेत्रों पर रूस-यूक्रेन के प्रभाव के बारे में पूछे जाने पर, टाटा स्टील के प्रबंध निदेशक एवं मुख्य कार्यकारी अधिकारी टीवी नरेंद्रन ने कहा, "रूस और यूक्रेन दोनों ही कोकिंग कोल और प्राकृतिक गैस सहित कच्चे माल के आपूर्तिकर्ता होने के अलावा इस्पात के विनिर्माता और निर्यातक हैं। इन दोनों देशों के बीच जारी सैन्य संकट आपूर्ति एवं मांग की गतिशीलता, कच्चे माल की लागत और समग्र वैश्विक अर्थव्यवस्था को प्रभावित करेगा।" 

नरेंद्रन वैश्विक उद्योग निकाय वर्ल्ड स्टील एसोसिएशन के सदस्य भी हैं। उन्होंने कहा, "हम लगातार स्थिति की समीक्षा कर रहे हैं और अपने ग्राहकों और हितधारकों को इसके असर से बचाए रखने के लिए हमारे पास कुछ योजनाएं हैं।" इस मामले पर जेएसडब्ल्यू स्टील ने जहां टिपण्णी देने से मना कर दिया, वहीं जेएसपीएल, एएमएनएस इंडिया, सेल और आरआईएनएल को भेजे गए ईमेल का उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया। 

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