महंगाई के मोर्चे पर राहत की खबर है। अप्रैल में सब्जियों की कीमतों में नरमी से घर में बने भोजन की लागत में कमी आई है। एक रिपोर्ट में बुधवार को यह जानकारी दी गई। घरेलू रेटिंग एजेंसी क्रिसिल की एक इकाई ने अपनी रिपोर्ट ‘रोटी चावल कीमत’ में कहा कि अप्रैल में एक सामान्य शाकाहारी थाली की लागत सालाना आधार पर चार प्रतिशत और मासिक आधार पर एक प्रतिशत कम होकर 26.3 रुपये रह गई। सब्जियों की कीमतों में तेज गिरावट के कारण भोजन सस्ता हुआ। इस दौरान टमाटर 34 प्रतिशत, आलू 11 प्रतिशत और प्याज छह प्रतिशत सस्ता हुआ। रिपोर्ट में कहा गया कि उच्च आयात शुल्क के कारण वनस्पति तेल की कीमतों में 19 प्रतिशत और एलपीजी सिलेंडर की कीमतों में छह प्रतिशत की वृद्धि ने थाली की लागत में गिरावट को सीमित किया।
मांसाहारी थाली भी सस्ती हुई
इसके मुताबिक, मांसाहारी थाली की कीमत में सालाना आधार पर चार प्रतिशत और मासिक आधार पर दो प्रतिशत की गिरावट आई है और यह 53.9 रुपये प्रति थाली पर आ गई है। रिपोर्ट कहती है कि मांसाहारी भोजन की कीमत में गिरावट सब्जियों और पॉल्ट्री की कीमतों में कमी के कारण हुई, जो कुछ प्रायद्वीपीय राज्यों में बर्ड फ्लू के कारण मांग प्रभावित होने के कारण अधिक आपूर्ति के कारण प्रभावित हुई है। क्रिसिल इंटेलिजेंस के निदेशक पुशन शर्मा ने कहा कि आने वाले दिनों में मजबूत घरेलू उत्पादन के बीच गेहूं और दालों की कीमतों में नरमी आने की उम्मीद है। वैश्विक आपूर्ति में तेजी आने से खाद्य तेल की कीमतों में भी अगले 2-3 महीनों में नरमी आ सकती है।
कीमत की गणना कैसे होती है?
क्रिसिल ने कहा कि घर पर थाली तैयार करने की औसत लागत की गणना उत्तर, दक्षिण, पूर्व और पश्चिम भारत में प्रचलित कच्चे माल की कीमत के आधार पर की जाती है। मासिक बदलाव आम आदमी के खर्च पर पड़ने वाले असर को बताता है। आंकड़ों से यह भी पता चलता है कि थाली की कीमत में बदलाव लाने वाले सामान (अनाज, दाल, ब्रॉयलर, सब्जी, मसाले, खाद्य तेल और रसोई गैस) क्या-क्या हैं।



































