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क्या है ग्रीन हाइड्रोजन? जिसके लिए सरकार कर रही है इतना अधिक खर्चा

देश में ग्रीन हाइड्रोजन को बढ़ावा देने के लिए सरकार एक्शन मोड में काम कर रही है। सरकार की कोशिश इस क्षेत्र में 8 लाख करोड़ से अधिक का निवेश लाने की है। आइए इसके बारे में जानते हैं।

Edited By: Vikash Tiwary @ivikashtiwary
Published : Jan 04, 2023 23:31 IST, Updated : Jan 05, 2023 18:14 IST
क्या है हरित हाइड्रोजन? जिसके लिए सरकार कर रही खर्चा- India TV Paisa
Photo:INDIA TV क्या है हरित हाइड्रोजन? जिसके लिए सरकार कर रही खर्चा

सरकार ने बुधवार को 19,744 करोड़ रुपये के खर्च के साथ राष्ट्रीय ग्रीन हाइड्रोजन मिशन को मंजूरी दे दी। इस पहल का मकसद कार्बन उत्सर्जन में कमी लाने के साथ देश को ऊर्जा के स्वच्छ स्रोत के उत्पादन का वैश्विक केंद्र बनाना है। 

आठ लाख करोड़ रुपये का निवेश

केंद्रीय सूचना और प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने संवाददाताओं से कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने राष्ट्रीय ग्रीन हाइड्रोजन मिशन को मंजूरी दे दी है। इससे ग्रीन हाइड्रोजन से जुड़े क्षेत्रों में आठ लाख करोड़ रुपये का निवेश आने की उम्मीद है। देश में अगले पांच साल में सालाना 50 लाख टन ग्रीन हाइड्रोजन उत्पादन का लक्ष्य है। प्रोत्साहन मिलने से इसकी लागत को कम करने में मदद मिलेगी। 

क्या है ग्रीन हाइड्रोजन?

ग्रीन हाइड्रोजन का उपयोग ईंधन के रूप में वाहनों और तेल रिफाइनरी तथा इस्पात संयंत्र जैसे उद्योगों में ऊर्जा स्रोत के रूप में होता है। इसका उत्पादन इलेक्ट्रोलाइसिस प्रक्रिया के जरिये पानी को ऑक्सीजन और हाइड्रोजन में विभाजित कर किया जाता है। 

मिशन के लिये शुरुआती खर्च 19,744 करोड़ रुपये है। इसमें ग्रीन हाइड्रोजन की तरफ बदलाव को रणनीतिक हस्तक्षेप (साइट) कार्यक्रम के लिये 17,490 करोड़ रुपये, पायलट परियोजनाओं के लिये 1,466 करोड़ रुपये, अनुसंधान एवं विकास के लिये 400 करोड़ रुपये तथा मिशन से जुड़े अन्य कार्यों के लिये 388 करोड़ रुपये निर्धारित किये गये हैं।

छह लाख से अधिक पैदा होंगी नई नौकरियां

इसमें आठ लाख करोड़ रुपये से अधिक के निवेश आने और 2030 तक छह लाख से अधिक नौकरियों के सृजन की उम्मीद है। साथ ही इससे जीवाश्म ईंधन (कच्चा तेल, कोयला आदि) के आयात में एक लाख करोड़ रुपये तक की कमी आने का अनुमान है। इसके अलावा ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में पांच करोड़ टन की कमी आएगी।

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