भारत द्वारा पाकिस्तान और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर पर मिसाइल हमले शुरू करने के बीच प्रमुख स्टॉक एक्सचेंज बीएसई ने ट्रेडिंग मेंबर्स (मार्केट पार्टिसिपेंट्स) को उचित घटना प्रतिक्रिया योजनाओं के साथ सिस्टम की सुरक्षा निगरानी को मजबूत करके संभावित हाई इम्पैक्ट साइबर हमलों पर एहतियाती उपाय करने का निर्देश दिया है। पीटीआई की खबर के मुताबिक,
बुधवार को जारी एक सर्कुलर में, बीएसई ने बाजार सहभागियों से संभावित साइबर जोखिमों पर एहतियाती उपाय करने के लिए कहा है, जिसमें रैनसमवेयर, आपूर्ति श्रृंखला घुसपैठ, डीडीओएस हमले, वेबसाइट डिफेसमेंट और मैलवेयर जैसे उच्च-प्रभाव वाले साइबर हमले शामिल हैं।
CERT-In की सलाह के बाद बीएसई हुए एक्टिव
खबर के मुताबिक, बीएसई ने ट्रेडिंग सदस्यों से यह जांचने के लिए कहा कि क्या आवश्यक सुरक्षा नियंत्रण मौजूद हैं, जोखिम मूल्यांकन करें और किसी भी निष्कर्ष को कम करें, उचित घटना प्रतिक्रिया योजनाओं के साथ सिस्टम की सुरक्षा निगरानी को मजबूत करें और खतरे की खोज गतिविधियों को बढ़ाएं। इन उपायों का उद्देश्य एक सुरक्षित बाजार सुनिश्चित करना है। यह निर्देश भारतीय कंप्यूटर आपातकालीन प्रतिक्रिया टीम (CERT-In) से एक सलाह मिलने के बाद आया है। इसमें विशेष रूप से बैंकिंग, वित्तीय सेवाओं और बीमा क्षेत्र में काम करने वाले भारतीय संगठनों को लक्षित करने वाले साइबर खतरे अभियान पर प्रकाश डाला गया है।
साइबर सुरक्षा नेटवर्क को कड़ा किया
बुधवार को सूत्रों ने बताया था कि बीएसई और एनएसई ने अंतरराष्ट्रीय उपयोगकर्ताओं के लिए अपनी वेबसाइट ब्लॉक करके एहतियाती कदम उठाए हैं। एक्सचेंजों के अलावा, बैंकों ने भारत द्वारा पाकिस्तान और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर पर मिसाइल हमले शुरू करने के मद्देनजर किसी भी साइबर खतरे से बचने के लिए अपने साइबर सुरक्षा नेटवर्क को कड़ा कर दिया है। इसके अलावा, जवाबी हमले के बढ़ते खतरे के चलते बैंकों ने सीमावर्ती क्षेत्रों के पास की शाखाओं में अपनी सुरक्षा भी बढ़ा दी है।
पहलगाम आतंकी हमले के जवाब में भारत का पलटवार
पहलगाम आतंकी हमले के जवाब में, भारतीय सशस्त्र बलों ने बुधवार को तड़के पाकिस्तान और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में नौ आतंकी ठिकानों पर मिसाइल हमले किए, जिनमें जैश-ए-मोहम्मद का गढ़ बहावलपुर और लश्कर-ए-तैयबा का अड्डा मुरीदके शामिल हैं। जम्मू और कश्मीर के पहलगाम में आतंकवादियों द्वारा 26 नागरिकों की हत्या के दो सप्ताह बाद 'ऑपरेशन सिंदूर' के तहत सैन्य हमले किए गए।



































