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Stock Market Crash: सेंसेक्स 1045 अंक टूटा निफ्टी 52 हफ्तों के सबसे निचले स्तर पर, ये हैं गिरावट के 5 बड़े कारण

बाजार में एक हफ्ते के भीतर दूसरी बड़ी गिरावट मंदी की खाई और गहरी होने के संकेत दे रहे हैं।

India TV Paisa Desk Edited by: India TV Paisa Desk
Updated on: June 16, 2022 18:45 IST
Stock Market- India TV Paisa
Photo:FILE

Stock Market

Highlights

  • सेंसेक्स 1,045 अंक गिरकर 51,570 पर और निफ्टी 300 अंक गिरकर 15,386 पर बंद
  • एक हफ्ते के भीतर दूसरी बड़ी गिरावट मंदी की खाई और गहरी होने के संकेत दे रहे हैं
  • विकास की आशंका और लगातार FII की बिकवाली निवेशकों के सामने बड़ी चुनौती

भारतीय शेयर बाजार मंदी के जाल में फंसते नजर आ रहे हैं। दोनों बेंचमार्क इंडेक्स सेंसेक्स और निफ्टी 16 जून को 52-सप्ताह के निचले स्तर तक गिर गए। बीते पांच सत्रों से बाजार में गिरावट का सिलसिला जारी है। फेड नतीजों के बाद बाजार की शुरुआत तो 600 अंकों की तेजी के साथ हुई, लेकिन बाद में गिरावट बढ़ती गई और आखिरकार बीएसई सेंसेक्स 1,045 अंक या 1.9 प्रतिशत गिरकर 51,570 पर और निफ्टी50 300 अंक से अधिक गिरकर 15,386 पर बंद हुआ। यह बीते एक साल का सबसे निचला स्तर है। 

Sensex 

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Sensex 

बाजार में एक हफ्ते के भीतर दूसरी बड़ी गिरावट मंदी की खाई और गहरी होने के संकेत दे रहे हैं। शेयर बाजार के दोनों सूचकांक सभी महत्वपूर्ण स्तर को तोड़ते हुए आज 52 हफ्ते के निचले स्तर पर पहुंच गए हैं। भारत में बढ़ती महंगाई और घटते ग्रोथ प्रोजेक्शन के बीच बाजार में मंदी हावी रहने की आशंका जताई जा रही है। ऐसे में तेल की कीमतों में तेजी, मुद्रास्फीति की चिंताओं, विकास की आशंकाओं और लगातार एफआईआई की बिकवाली निवेशकों के सामने बड़ी चुनौती होगी। 

क्या है गिरावट के 5 प्रमुख कारण 

Stock market Fall

Image Source : INDIATV
Stock market Fall

1. अमेरिका में ब्याज दरें बढ़ना

अमेरिकी फेडरल रिजर्व ने बुधवार को अपेक्षा के अनुरूप 75 आधार अंकों (बीपीएस) की वृद्धि की, जो 1994 के बाद सबसे बड़ी वृद्धि है। आप कहेंगे कि बाजार को यह पहले से ही पता था, और मार्केट पहले ही इसे करेक्ट कर चुका है। लेकिन बीती रात फेड ने महंगाई को थामने के लिए आगे भी और अधिक दरों में बढ़ोतरी का संकेत दिया है। जिसका बाजार के सेंटिमेंट्स पर बुरा असर पड़ा है। और सेंसेक्स निफ्टी 52 हफ्ते के न्यूनतम स्तर पर धड़ाम हो गए 

2. वैश्विक बाजारों में गिरावट 

फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दरों में इजाफे के साथ ही बैंक ऑफ इंग्लैंड पर भी ब्याज दरें बढ़ाने का दबाव है। जिसके चलते दुनिया भर के बाजारों में गिरावट दर्ज की जा रही है। जर्मनी का DAX 2 प्रतिशत, ब्रिटेन का FTSE 1.4 प्रतिशत और फ्रांस का CAC 1.6 प्रतिशत गिर गया। हांगकांग का हैंग सेंग में 2 फीसदी से अधिक की गिरावट के साथ बंद हुआ। चीन का शंघाई कंपोजिट (0.6 फीसदी नीचे) और ऑस्ट्रेलिया का एएसएक्स 200 (0.15 फीसदी नीचे) रहा।

3. ग्लोबल मंदी का डर 

विशेषज्ञों ने कहा कि विकसित अर्थव्यवस्थाएं मंदी के डर से ब्याज दरें बढ़ा रही हैं, जिसके कारण बाजार में आगे भी गिरावट देखने को मिलेगी। विशेषज्ञों के अनुसार तेल और कमोडिटी की कीमतों में बढ़ोतरी के साथ-साथ आपूर्ति में व्यवधान विकसित अर्थव्यवस्थाओं में मंदी का संकेत दे रहा है, जिसका असर भारत में हो सकता है।

4. विदेशी निवेशकों की जोरदार बिकवाली

अमेरिकी फेड की ब्याज दर बढ़ोत्तरी की मुुहिम का भारतीय बाजार में बुरा असर पड़ रहा है। आंकड़ों से पता चलता है कि विदेशी निवेशकों ने इस कैलेंडर ईयर में अब तक 1,92,104 करोड़ रुपये की इक्विटी बेची है। इसमें जून में अब तक बेचे गए एफपीआई के 24,949 करोड़ रुपये के शेयर शामिल हैं। फेड ने 4 मई की अपनी बैठक में अल्पकालिक ब्याज दरों में 50 आधार अंकों की वृद्धि की थी। मार्च 2022 में 25 आधार अंकों की वृद्धि के बाद वृद्धि हुई।

5. तेल की बेकाबू कीमतें

फेड की दर में वृद्धि के बाद अमेरिका में मंदी की आशंका गहरा गई हैं। इससे तेल की कीमतें अपने शिखर पर पहुंच गई है। वहीं रूसी युद्ध भी फिलहाल खत्म होता नहीं दिख रहा है। अंतरराष्ट्रीय बेंचमार्क ब्रेंट क्रूड फ्यूचर्स इस लेख को लिखने के समय 119 डॉलर प्रति बैरल पर कारोबार कर रहा था, जबकि अमेरिकी कच्चे तेल की कीमतें 0.4 प्रतिशत बढ़कर 115.8 डॉलर प्रति बैरल हो गईं। यूक्रेन-रूस युद्ध के कारण तेल की कीमतों में वृद्धि इक्विटी बाजारों के लिए एक बड़ी चिंता बनी हुई है और विशेषज्ञों का कहना है कि वे कम से कम इस कैलेंडर वर्ष के अंत तक ऐसे ही रहेंगे।

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