Share Market: जब शेयर बाजार में तेज गिरावट आती है, तो निवेशकों में घबराहट फैल जाती है। कई निवेशक तो जल्दबाजी में फैसले लेने लगते हैं। ऐसी स्थिति में घबराकर सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (SIP) बंद करना या जितने साल का लक्ष्य है, उस समय से पहले अपने निवेश निकालने लग जाते हैं। लेकिन वास्तव में यह आपके फाइनेंशियल हेल्थ के लिए नुकसानदायक है। SIP के पीछे मूल सिद्धांत कास्ट एवरेजिंग है और इसे बाजार की अस्थिरता के दौरान निवेशकों के हित में काम करने के लिए डिजाइन किया गया है। वास्तव में, जब आप लोअर मार्केट लेवल पर एसआईपी जारी रखते हैं, तो आप अपने समान मंथली निवेश की राशि से अधिक यूनिट खरीद सकते हैं, क्योंकि नेट एसेट वैल्यू (NAV) कम होती है। यह रणनीति सुनिश्चित करती है कि जब बाजार में रिकवरी आती है, तो इन बढ़ी हुई यूनिट पर आपको ज्यादा लाभ होता है। बड़ौदा बीएनपी पारिबा एसेट मैनेजमेंट इंडिया के सीईओ, सुरेश सोनी बता रहे हैं कि क्यों बाजार की गिरावट में निवेश जारी रखना चाहिए और कैसे जब बाजार में बड़ी गिरावट आती है तो एकदम से बंपर रिटर्न मिलता है।
निवेश बनाए रखना क्यों जरूरी?
बड़ौदा बीएनपी पारिबा एएमसी द्वारा की गई एक स्टडी से पता चलता है कि पिछले 2 दशक में, ऐसे 13 मौके आए, जब एनएसई निफ्टी 50 इंडेक्स ने 10 फीसदी से ज्यादा की गिरावट दर्ज की। इनमें से 11 मौकों पर, इंडेक्स ने एक साल बाद पॉजिटिव रिटर्न दिया। इसके अलावा, इनमें से 9 मौकों पर रिटर्न दोहरे अंकों में था, जबकि औसत रिटर्न 21 फीसदी रहा। अगर आप 10 फीसदी की गिरावट के बाद भी निवेश के लिए 3 साल तक समय-सीमा बढ़ाते हैं, तो निगेटिव रिटर्न का एक भी उदाहरण नहीं था।
(नीचे दिया गया टेबल देखें)
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गिरावट की तारीख |
कितना लुढ़का मार्केट |
एक साल बाद |
रिटर्न |
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18-Apr-05 |
-11.12% |
18-Apr-06 |
82% |
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19-May-06 |
-13.51% |
19-May-07 |
30% |
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17-Aug-07 |
-11.10% |
17-Aug-08 |
8% |
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15-Sep-08 |
-35.23% |
15-Sep-09 |
20% |
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03-Nov-09 |
-27.42% |
03-Nov-10 |
35% |
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14-Jan-11 |
-10.42% |
14-Jan-12 |
-14% |
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08-May-12 |
-20.79% |
08-May-13 |
21% |
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24-Jun-13 |
-11.44% |
24-Jun-14 |
36% |
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07-May-15 |
-10.44% |
07-May-16 |
-4% |
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17-Nov-16 |
-10.19% |
17-Nov-17 |
27% |
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23-Mar-18 |
-10.17% |
23-Mar-19 |
15% |
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05-Aug-19 |
-10.14% |
05-Aug-20 |
2% |
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20-Dec-21 |
-10.08% |
20-Dec-22 |
11% |
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13-Nov-24 |
-10.14% |
13-Nov-25 |
? |
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नोट : उपरोक्त जानकारी सिर्फ बाजार के ट्रेंड और माहौल को समझने के उद्देश्य से है और इसे निवेश सलाह नहीं माना जाना चाहिए। |
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वॉरेन बफेट के कोटा याद रखें
यह डेटा दिग्गज निवेशक वॉरेन बफेट के प्रसिद्ध कोट की याद दिलाता है : "जब दूसरे डरे हुए हों तो लालची बनो और जब दूसरे लालची हों तो डरो।" घबराहट में बेचने से सिर्फ घाटा ही बढ़ता है, जबकि निवेश बनाए रहने से टाइम और कंपाउंडिंग निवेशक के पक्ष में काम करते हैं। जब बाजार में घबराहट होती है तो हम अपनी दौलत नहीं गंवाते हैं, बल्कि जब हम घबराते हैं तो हम अपने पैसों का नुकसान कर लेते हैं। एसआईपी बंद करने से, निवेशक लोअर प्राइस पर यूनिट जमा करने का अवसर खो देता है। इसके अलावा, अक्सर निचले स्तरों पर जल्दबाजी में बाहर निकलने से सिर्फ घाटा ही बढ़ता है। नतीजा यह होता है कि निवेशक बाजार में अगले मूवमेंट से होने वाले संभावित लाभ से चूक जाता है।
बाजार में उतार-चढ़ाव से कैसे निपटें?
हालांकि बाजार में उतार-चढ़ाव टेंशन बढ़ाने वाला हो सकता है, लेकिन यह लॉन्ग टर्म निवेशकों के लिए अपने पोर्टफोलियो का फिर से मूल्यांकन करने का एक सुनहरा अवसर पेश करता है। इस डर का उपयोग प्रोडक्टिवली यह मूल्यांकन करने के लिए करें कि आपका वर्तमान एसेट एलोकेशन आपकी जोखिम लेने की क्षमता के अनुरूप है या नहीं। अक्सर, बुल मार्केट यानी तेजी वाले बाजारों में निवेशक दूसरों को फॉलो करते हुए या हाल ही में टॉप प्रदर्शन करने वाली कैटेगरी को देखकर निवेश करते हैं। लेकिन हर निवेशक की जोखिम लेने की क्षमता, लिक्विडिटी की जरूरतें और टाइम लिमिट अलग-अलग होती है। बाजार में करेक्शन एक चेतावनी के रूप में काम करना चाहिए ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि किसी का पोर्टफोलियो उसके अपने लक्ष्य, जोखिम लेने की क्षमता और लिक्विडिटी की जरूरतों को पूरा करने के लिए सही तरीके से तैयार किया गया है।



































