शेयर मार्केट रेगुलेटर सेबी ने बुधवार को शेयर ब्रोकर से जुड़े नियमों में कई अहम और बड़े सुधारों को मंजूरी दे दी। अनुपालन को आसान बनाने और बाजार की बदलती जरूरतों के हिसाब से नियामकीय ढांचे को आधुनिक बनाने के लिए तीन दशक से ज्यादा पुराने नियमों को बदला गया है। भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (SEBI) के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स की एक मीटिंग में सेबी (शेयर ब्रोकर) विनियम, 2025 को मंजूरी दी गई। सेबी ने मीटिंग के बाद एक बयान जारी किया, जिसमें कहा गया कि नए विनियमों में नियामकीय भाषा को आसान बनाया गया है, पुराने और गैर-जरूरी प्रावधान हटा दिए गए हैं और परिभाषाओं एवं रिपोर्टिंग जरूरतों को ज्यादा स्पष्ट और सुव्यवस्थित किया गया है।
11 अध्याय में बांटे गए हैं नियम
नए नियमों के तहत शेयर ब्रोकर से जुड़े सभी प्रमुख पहलुओं को शामिल करते हुए नियमों को 11 अध्यायों में बांटा गया है। सेबी ने कई ऐसी अनुसूचियों को भी हटा दिया है, जिनकी अब जरूरत नहीं थी। वहीं दूसरी ओर, जरूरी प्रावधानों को सीधे अध्यायों के रूप में नियमों में शामिल किया गया है, ताकि उन्हें आसानी से समझा जा सके। इसके साथ ही, अंडरराइटिंग, आचार संहिता और शेयर ब्रोकरों को अनुमति प्राप्त गतिविधियों से जुड़े प्रावधानों को एकीकृत और पुनर्व्यवस्थित किया गया है। नियामक ने ‘क्लियरिंग मेंबर’, ‘प्रोफेशनल क्लियरिंग मेंबर’, ‘प्रोप्राइटरी ट्रेडिंग’, और ‘डेजिग्नेटेड डायरेक्टर’ जैसी अहम परिभाषाओं में भी संशोधन किया है।
सेबी ने दी संयुक्त निरीक्षण की अनुमति
नियमों के पालन को आसान बनाने और कारोबारी सुगमता बढ़ाने के लिए सेबी ने संयुक्त निरीक्षण की अनुमति दी है और बही-खातों को इलेक्ट्रॉनिक रूप में रखने की सुविधा भी दी है। इसके साथ पात्र शेयर ब्रोकर की पहचान के मानदंडों को तर्कसंगत बनाया गया है, ताकि जिन संस्थाओं के पास बड़ी संख्या में एक्टिव ग्राहक या ज्यादा ट्रेडिंग वॉल्यूम है, उन्हें कड़ी निगरानी में रखा जा सके।
रिपोर्टिंग दायित्वों में भी किए गए बदलाव
सेबी ने ये भी कहा कि पहली पंक्ति के नियामक के रूप में शेयर बाजारों की भूमिका को ध्यान में रखते हुए रिपोर्टिंग दायित्वों में बदलाव किया गया है। इसी के साथ शेयरों की फिजिकल डिलीवरी, फॉरवर्ड मार्केट्स कमीशन और सब-ब्रोकर से जुड़े पुराने प्रोविजन हटा दिए गए हैं। सेबी ने कहा कि नए नियमों में पेज की संख्या 59 से घटाकर 29 कर दी गई है और शब्दों की संख्या भी लगभग आधी कर दी गई है। ये बदलाव अगस्त में हुई सार्वजनिक परामर्श प्रक्रिया से मिले सुझावों को शामिल करने के बाद किए गए हैं।



































