अगर आप भी अपनी ज्यादातर कमाई फिक्स्ड डिपॉजिट (FD) में लगाकर खुद को सेफ इन्वेस्टर समझते हैं, तो यह खबर आपके लिए आंखें खोल देने वाली है। चार्टर्ड अकाउंटेंट नितिन कौशिक ने हाल ही में X (पहले ट्विटर) पर एक पोस्ट में भारतीय सेवर्स को चेताया है कि सिर्फ FD में पैसा लगाना दरअसल एक ‘साइलेंट वेल्थ ट्रैप’ है, यानी ऐसा जाल जिसमें पैसा तो सुरक्षित दिखता है, लेकिन असल में धीरे-धीरे उसकी वैल्यू घटती जाती है।
कौशिक के अनुसार, आज FD रेट करीब 6.3-7% सालाना हैं, जबकि महंगाई लगभग 2.1% है। यानी असल में आपका रिटर्न सिर्फ 4.2-4.9% के बीच रह जाता है। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि अगर कोई 10 लाख रुपये FD में रखता है, तो एक साल बाद उसकी असली परचेसिंग पावर सिर्फ 10.42 लाख रुपये के बराबर होगी।
भारत के 70% परिवार सिर्फ FD करते हैं
फिर भी, भारत के करीब 70% परिवार FD को ही अपनी सेविंग्स का सबसे भरोसेमंद जरिया मानते हैं। कौशिक का कहना है कि ऐसा इसलिए है क्योंकि लोग गारंटीड सेफ्टी के झांसे में रहते हैं, फाइनेंशियल लिटरेसी की कमी है और बाजार की अस्थिरता से डरते हैं। लेकिन उन्होंने चेताया कि यह सेफ्टी तभी तक है जब तक महंगाई कम है, जैसे ही इंफ्लेशन बढ़ा, FD से मिलने वाला ब्याज बेअसर हो जाता है और आपकी वास्तविक संपत्ति घटने लगती है।
घट रही रियल वेल्थ
कौशिक ने कहा कि अगर FD रिटर्न से इंफ्लेशन ज्यादा है, तो आपकी रियल वेल्थ घट रही है, बढ़ नहीं रही। इसलिए उन्होंने इन्वेस्टर्स को सलाह दी कि केवल FD पर निर्भर रहने के बजाय अलग-अलग जगह निवेश की ओर बढ़ें। कौशिक ने सुझाव दिया कि इन्वेस्टर्स को अपने पोर्टफोलियो में FD के साथ इक्विटीज (12–15% CAGR), डेट फंड्स (6.5–8%) और गोल्ड या REITs जैसे इंफ्लेशन हेजिंग एसेट्स को शामिल करना चाहिए। फाइनेंशियल एक्सपर्ट्स का भी मानना है कि सिर्फ सुरक्षित इन्वेस्टमेंट पर भरोसा करना लंबे समय में नुकसानदायक साबित हो सकता है, क्योंकि इससे कंपाउंडिंग का फायदा और ग्रोथ की संभावनाएं खत्म हो जाती हैं।



































