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No-Cost EMI पर खरीदारी इस फेस्टिवल करना कितना सही? यहां समझें ये ऑप्शन कब चुनें और कब नहीं

नो कॉस्ट ईएमआई पर शॉपिंग के लिए नाममात्र का प्रोसेसिंग चार्ज देना पड़ सकता है। आमतौर पर खरीद मूल्य के 2-3 प्रतिशत की सीमा में इसके लिए एडवांस में पेमेंट करना होता है।

Sourabha Suman Edited By: Sourabha Suman @sourabhasuman
Updated on: October 31, 2023 7:41 IST
नो कॉस्ट ईएमआई का मतलब यह नहीं है कि आपको कोई सामान फ्री में मिल रहा है।- India TV Paisa
Photo:INDIA TV नो कॉस्ट ईएमआई का मतलब यह नहीं है कि आपको कोई सामान फ्री में मिल रहा है।

फेस्टिवल का सीजन चालू है। बेशक आप भी अपनी पसंदीदा सामानों की खरीदारी के मूड में हो सकते हैं। खरीदारी के लिए पैसा लगता है,लेकिन आजकल मंथली किस्त पर भी खरीदारी के ऑप्शन बाजार में उपलब्ध हैं। कंपनियां कस्टमर्स को लुभाने के लिए नो कॉस्ट ईएमआई (No-Cost EMI) की सुविधा का ऑफर देते हैं। इसमें आप किसी सामान के लिए हर महीने एक तय ईएमआई (EMI) तय समय के लिए चुकाते हैं। लेकिन सवाल है कि क्या आपको इस फेस्टिवल खरीदारी में  No-Cost EMI का चुनाव करना चाहिए? चलिए क्यों न शॉपिंग से पहले यहां हम समझ लें कि आखिर यह ऑप्शन कितना सही हैं और कितना नहीं।

क्या है नो-कॉस्ट ईएमआई ऑप्शन

नो-कॉस्ट ईएमआई को जीरो इंट्रेस्ट ईएमआई के तौर पर भी जाना जाता है। यह एक रीपेमेंट प्रक्रिया है जो आपको बिना किसी ब्याज शुल्क के किस्तों में अपनी खरीदारी (Shopping on EMI)  का भुगतान करने की परमिशन देती है। पारंपरिक मासिक किस्त के उलट, जहां आपको एक स्पेशल पीरियड में ब्याज का भुगतान करने की जरूरत होती है, नो-कॉस्ट ईएमआई आपको समान किस्तों में सिर्फ प्रोडक्ट की वास्तविक कीमत का भुगतान करने में सक्षम बनाती है।

क्या इस ऑप्शन को चुनना है सही
फाइनेंशियल एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक, एक्सपर्ट कहते हैं कि नो-कॉस्ट ईएमआई (No-Cost EMI) का ऑप्शन चुनने का फैसला आपकी जरूरतों और उस प्रोडक्ट की कीमत पर आधारित होना चाहिए जिसे आप खरीदना चाहते हैं। नो-कॉस्ट ईएमआई तब फायदेमंद होती है जब आप डिवाइस, गैजेट्स या फर्नीचर जैसे ज्यादा कीमत वाले प्रोडक्ट खरीदने का इरादा रखते हैं, जिनके लिए एक ही बार में पेमेंट करना आपके लिए बोझिल हो सकता है।

नो-कॉस्ट ईएमआई पर कब करें विचार
अगर प्रोडक्ट की कीमत काफी अधिक है और इसके लिए एडवांस पेमेंट करने से कई महीनों तक फाइनेंशियल टेंशन होगा, तो नो-कॉस्ट ईएमआई (No-Cost EMI) का ऑप्शन चुनना एक समझदारी भरा ऑप्शन साबित हो सकता है। इसी तरह, अगर आप कम व्यक्तिगत लागत लेकिन पर्याप्त ज्वाइंट अकाउंट के साथ कई प्रोडक्ट्स खरीदने की योजना बना रहे हैं, तो नो-कॉस्ट ईएमआई का ऑप्शन चुनने से आपको गैर-जरूरी बोझ के बिना अपने फाइनेंस को बेहतर ढंग से मैनेज करने में मददगार साबित हो सकती है। साथ ही महंगाई के चलते नो-कॉस्ट ईएमआई संभावित रूप से लंबे समय में आपका पैसा बचा सकती है। इसे ऐसे समझें कि अगर आप 24,000 रुपये के प्रोडक्ट के लिए 2,000 रुपये की 12 ईएमआई का भुगतान कर रहे हैं, तो संभव है कि प्रोडक्ट की कीमत अगले साल बढ़ सकती है, जिससे आपकी लागत की बचत होगी।

नो-कॉस्ट ईएमआई से कब बचें
अगर आप अपने फाइनेंस पर दबाव डाले बिना उस सामान के लिए एक बार में पेमेंट कर सकते हैं, तो नो-कॉस्ट ईएमआई (No-Cost EMI) का ऑप्शन न चुनें। ऐसे में आप सस्ती दर पर प्रोडक्ट का आनंद ले सकते हैं और भविष्य की किस्त के तनाव से भी बच जाएंगे। अलग-अलग सामानों के लिए लगातार नो-कॉस्ट ईएमआई के जरिये खरीदारी करना बड़ा फाइनेंशियल बोझ बन सकता है, क्योंकि आपकी मंथली इनकम का बड़ा हिस्सा मासिक किस्त में ही चला जाता है। नो कॉस्ट ईएमआई का मतलब यह नहीं है कि आपको कोई सामान फ्री में मिल रहा है। फाइनेंशियल एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक, एक्सपर्ट का कहना है कि नो-कॉस्ट ईएमआई अतिरिक्त ब्याज के बिना भुगतान को तोड़ने की सुविधा देती है, जिससे यह वित्तीय लचीलापन चाहने वालों के लिए एक व्यावहारिक विकल्प बन जाता है।

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