कोरोना महामारी से बचने के लिए अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट बोर्ड (आईसीसी) ने सबके सामने एक विचार प्रकट किया था। जिसमें कहा गया था कि जब भी कोरोना के बाद क्रिकेट की वापसी होगी टीम के खिलाड़ी गेंद को चमकाने के लिए लार, थूक या पसीने का इस्तेमाल नहीं कर सकेंगे। जिसके बाद अनिल कुंबले की अध्यक्षता आईसीसी की क्रिकेट समिति ने भी सलाइवा ( लार ) का उपयोग न करने की सिफारिश की है जबकि पसीने के इस्तेमाल पर रोक ना लगाने की बात कही है। इस पर अधिकारिक फैसला आना अभी बाकी है। जिसको लेकर साउथ अफ्रीका के पूर्व तेज गेंदबाज मोर्ने मोर्केल का मानना है कि गेंदबाज जरूर इसका नया रास्ता निकाल लेंगे और बल्लेबाजों को चुनौती गेंदे।
मोर्केल ने ये भी स्वीकारा कि गेंद को चमकाने के लिए लार का इस्तेमाल बैन करने पर गेंदबाजों को जरूर समस्या का सामना करना पड़ेगा। स्पोर्टस्टार को दिए इंटरव्यू में उन्होंने कहा, "इससे पहले कि हम गेंदबाजों के बारें में बात करें, मुझे लगता है कि सबसे बड़ी चुनौती मैदान पर होगी। पुरानी आदतों से पार पाना कठिन होता हैं और लगातार खिलाड़ियों को यह याद रखना होगा कि हमें लार का इस्तेमाल नहीं करना है। इसके बावजूद आजकल अधिकांश गेंदबाज हैं। जिनमें शानदार कौशल है और बहुत निरंतर हैं। इसलिए मुझे यकीन है कि वे इस समस्या से निपटने का नया तरीका खोज लेंगे।"
गौरतलब है कि गेंद पर लार का इस्तेमाल बैन करने की सिफारिश करने वाले भारत के पूर्व खिलाडी अनिल कुंबले ने कहा था कि गेंद और बल्ले के बीच संतुलन बनाए रखने के लिए हम बेहतर पिच का भी इस्तेमाल कर सकते हैं। जिस पर मोर्केल ने कहा, "मैं व्यक्तिगत रूप से इस बारे में नहीं सोचता। पिचें कई सालों से अच्छी हैं और गेंदबाजी आक्रमण जो दबाव बना सकते हैं वें साझेदारी में अच्छी गेंदबाजी करेंगे तो हमेशा विकेट लेंगे।"
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इतना ही नहीं अंत में उनसे जब इस महामारी के कारण क्रिकेट फैंस की भी एंट्री स्टेडियम में नहीं होने के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा, "हम अपने प्रशंसकों और समर्थकों के बिना कुछ भी नहीं हैं। व्यक्तिगत रूप से, एक खेल को लाइव देखना सीखने का सबसे अच्छा तरीका है और यह भविष्य की पीढ़ियों में उच्चतम स्तर पर खेलने के लिए सपने को भी शुरू करता है। उम्मीद है, जब जीवन सामान्य हो जाएगा, समर्थकों को फिर से खेल देखने के लिए एक वास्तविक भूख होगी और समर्थन मजबूत होगा।"