Thursday, April 25, 2024
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कोरोना के चलते थाईलैंड में रहने को मजबूर भारतीय तैराक सजन प्रकाश

सजन को ओलंपिक के लिये ‘ए’ क्वालीफाईंग मानदंड हासिल करने की उम्मीद थी लेकिन देश में लॉकडाउन के कारण वह स्वदेश नहीं लौट पाये।

Bhasha Reported by: Bhasha
Updated on: April 15, 2020 16:47 IST
Sajan Prakash- India TV Hindi
Image Source : GETTY IMAGE सजन को ओलंपिक के लिये ‘ए’ क्वालीफाईंग मानदंड हासिल करने की उम्मीद थी लेकिन देश में लॉकडाउन के कारण वह स्वदेश नहीं लौट पाये।

नई दिल्ली|| लॉकडाउन के कारण थाईलैंड के फुकेट स्थित अभ्यास केंद्र में फंसे भारतीय तैराक सजन प्रकाश को कोविड-19 महामारी के कारण प्रतियोगिताएं रद्द या स्थगित होने से चोट से उबरने का अतिरिक्त समय मिल गया है। सजन तैराकी प्रतियोगिताओं की तैयारी के सिलसिले में फरवरी में फुकेट गये थे। उन्हें ओलंपिक के लिये ‘ए’ क्वालीफाईंग मानदंड हासिल करने की उम्मीद थी लेकिन देश में लॉकडाउन के कारण वह स्वदेश नहीं लौट पाये।

सजन ने पीटीआई से कहा, ‘‘मैं फुकेट में हूं और यहां सुरक्षित हूं। ’’ यह भारतीय तैराक विभिन्न देशों के 18 अन्य तैराकों के साथ तान्यापुरा अकादमी में हैं। सजन को अंतरराष्ट्रीय तैराकी महासंघ (फिना) से स्कॉलरशिप मिली थी।

उन्होंने कहा, ‘‘मैं अभ्यास के सिलसिले में 12 फरवरी को यहां आया था। मैं यहां आराम से हूं। मुझे फिना से स्कॉलरशिप मिली है इसलिए मुझे किसी तरह की परेशानी नहीं है। ’’ सजन चार साल पहले रियो ओलंपिक में भाग लेने वाले एकमात्र भारतीय तैराक थे। उन्होंने पिछले साल ग्वांग्जू विश्व चैंपियनशिप में टोक्यो ओलंपिक खेलों के लिये ‘बी’ क्वालीफाइंग मानदंड हासिल किया था लेकिन अगले साल तक स्थगित कर दिये गये खेलों में जगह बनाने के लिये उन्हें एक मिनट 56.48 सेकेंड या इससे कम समय निकालकर ‘ए’ मानदंड हासिल करना होगा।

इस 26 वर्षीय तैराक ने गर्दन की चोट से उबरने के बाद वापसी की थी और वह इन दिनों पूरी तरह फिट होने पर ध्यान दे रहे हैं। सजन ने कहा, ‘‘नवंबर से जनवरी तक मैं गर्दन की चोट से परेशान रहा। मैंने ठीक होने पर अभी तैराकी शुरू ही की थी। मुझे हाथ में थोड़ी कमजोरी महसूस हो रही थी लेकिन मैंने अभ्यास जारी रखा। मैं अपनी फिटनेस सुधारने पर ध्यान दे रहा हूं। मैं भाग्यशाली हूं (जो मुझे चोट से उबरने का समय मिला)।’’

केरल का यह तैराक पिछले एक महीने से तरणताल में नहीं उतरा है लेकिन अभ्यास के लिये उन्होंने दूसरे तरीके अपना लिये हैं। सजन ने कहा, ‘‘तरणताल से दूर रहना बहुत मुश्किल है। मैं 17 मार्च के बाद तरणताल में नहीं उतरा। कोच ने हमें हाथों को हिलाते रहने के लिये कहा है इसलिए हम हवा से फुलाकर तैयार किये जाने वाले तरणताल का उपयोग कर रहे हैं। हम उसमें तैराकी का अभ्यास करते हैं। यह कंधों के लिये अच्छा है और इससे वापसी करने पर चोट की संभावना भी कम हो जाएगी। ’’ 

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