Saturday, April 20, 2024
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विश्व चैंपियन निकहत जरीन की दो टूक, कहा- किसी समुदाय का नहीं बल्कि देश का प्रतिनिधित्व करती हूं

निकहत जरीन ने हाल ही में विश्व मुक्केबाजी चैंपियनशिप में फ्लाईवेट स्पर्धा में गोल्ड जीता था और उसके बाद राष्ट्रमंडल खेलों में अपनी जगह पक्की की।

Rajeev Rai Written by: Rajeev Rai @Rajeev_Bharat
Published on: June 13, 2022 21:04 IST
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Image Source : PTI World Boxing Champion Nikhat Zareen

Highlights

  • निकहत जरीन ने विश्व मुक्केबाजी चैंपियनशिप में जीता गोल्ड
  • राष्ट्रमंडल खेलों में जगह पक्की की

भारत की युवा स्टार मुक्केबाज और विश्व चैंपियन निकहत जरीन इसी साल होने वाले बर्मिंघम राष्ट्रमंडल खेलों के लिए अपनी जगह पक्की कर चुकी हैं। विश्व चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल जीतने के बाद 25 वर्षीय निकहत के हौसले बुलंद हैं और वह आगे की तैयारियों पर लग चुकी हैं। निकहत ने एक आयोजन के दौरान इस खेल की चुनौतियों और अपने प्रदर्शन समेत कई मुद्दों पर अपनी बात रखी।

निकहत ने एक सवाल के जवाब में कहा कि वह किसी समुदाय का प्रतिनिधित्व करने की जगह भारत का प्रतिनिधित्व करती है। जरीन से सोमवार को यहां पूछा गया कि लोग कड़ी मेहनत और रिंग में उपलब्धियों से ज्यादा उनकी धार्मिक पृष्ठभूमि के बारे में बात करते है तो उन्होंने कहा कि उनके लिए हिन्दू-मुस्लिम मायने नहीं रखता। रूढ़िवादी समाज से ताल्लुक रखने वाली जरीन को मुक्केबाजी में करियर बनाने के लिए सामाजिक पूर्वाग्रहों से निपटना पड़ा लेकिन इस 25 साल की खिलाड़ी ने स्पष्ट किया कि वह किसी विशेष समुदाय के लिए नहीं भारत के लिए खेलती और जीतती है। उन्होंने कहा, "एक खिलाड़ी के तौर पर मैं भारत का प्रतिनिधित्व करती हूं। मेरे लिए हिंदू-मुस्लिम मायने नहीं रखता है। मैं किसी समुदाय का प्रतिनिधित्व नहीं करती हूं, मैं देश का प्रतिनिधित्व करती हूं और देश के लिए पदक जीतकर खुश हूं।" 

इंडियन वुमैन प्रेस कोर (आईडब्ल्यूपीसी) द्वारा आयोजित बातचीत में जरीन ने बड़े स्तर पर 'मानसिक दबाव' से निपटने के मामले में भारतीय खिलाड़ी थोड़े पीछे है और वैश्विक मंच पर अच्छा करने के लिए इसमें प्रशिक्षण की जरूरत है। भारतीय खिलाड़ी नियमित आयोजनों में अच्छा प्रदर्शन करते है लेकिन ओलंपिक या विश्व चैंपियनशिप जैसे बड़े मंच पर लड़खड़ा जाते हैं। निकहत से जब पूछा गया कि भारतीय मुक्केबाजों में कहां कमी है, तो उन्होंने कहा, "भारतीय मुक्केबाज बहुत प्रतिभाशाली हैं, हम किसी से कम नहीं हैं। हमारे पास ताकत, गति और जरूरी कौशल के साथ सब कुछ है। बस एक बार जब आप उस (विश्व) स्तर पर पहुंच जाते हैं, तो मुक्केबाजों को मानसिक दबाव को संभालने के लिए प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए। बड़े मंच पर पहुंचने के बाद बहुत सारे खिलाड़ी दबाव में आ जाते हैं और वे प्रदर्शन नहीं कर पाते हैं।" 

पिछले महीने 'फ्लाईवेट' स्पर्धा में विश्व चैम्पियन बनी जरीन ने 28 जुलाई से शुरू हो रहे बर्मिंघम राष्ट्रमंडल खेलों के लिए भी भारतीय टीम में अपनी जगह पक्की कर ली है। जरीन के भार वर्ग में दिग्गज मैरीकॉम के होने के कारण उन्हें अपनी बारी के लिए इंतजार करना पड़ा लेकिन उन्होंने कहा कि इससे खेल में अच्छा करने की उनकी ललक और बढ़ी है। इस मुक्केबाज ने कहा, "सिर्फ मेरे लिए ही नहीं बल्कि इस भार वर्ग के अन्य मुक्केबाजों भी मौके की तलाश में थे, लेकिन आपको इसके लिए साबित करना होता है और मैंने विश्व चैम्पियनशिप में पदक जीतकर ऐसा किया है।"

इनपुट: PTI

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