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इधर ईरान-इजरायल में जारी है जंग, उधर इराक में बच्चों का नाम रखा जा रहा 'नसरल्लाह'

इराक के स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार पूरे देश में लगभग 100 बच्चे "नसरल्लाह" नाम से पंजीकृत किए गए हैं। नसरल्लाह तीन दशक से ज्यादा समय तक हिजबुल्लाह का प्रमुख रहा। इराक की बहुसंख्यक आबादी शिया समुदाय के बीच नसरल्लाह काफी लोकप्रिय था।

Edited By: Shakti Singh
Published : Oct 03, 2024 10:14 IST, Updated : Oct 03, 2024 10:24 IST
Hasan nasrallah- India TV Hindi
Image Source : AP हसन नसरल्लाह

लेबनान के बेरूत में हिजबुल्लाह नेता हसन नसरल्लाह की मौत के बाद इराक में जन्म लेने वाले नए बच्चों का नाम नसरल्लाह रखा जा रहा है। इराक के स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार पूरे देश में लगभग 100 बच्चे "नसरल्लाह" नाम से पंजीकृत किए गए हैं। इजरायल के हवाई हमले में नसरल्लाह और उसके कई करीबी मारे गए थे। नसरल्लाह तीन दशक से ज्यादा समय तक हिजबुल्लाह का प्रमुख रहा। उसे कई अरब देशों में लोग इजरायल और पश्चिमी प्रभाव के खिलाफ विरोध के प्रतीक के रूप में देखते थे। इराक की बहुसंख्यक आबादी शिया समुदाय के बीच नसरल्लाह काफी लोकप्रिय था।

नसरल्लाह की हत्या से पूरे देश में गुस्सा भड़क गया, जिसके कारण बगदाद और अन्य शहरों में बड़े पैमाने पर प्रदर्शन हुए। प्रदर्शनकारियों ने इजरायल की कार्रवाई की निंदा की और हत्या को अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन बताया। इराकी प्रधानमंत्री मोहम्मद शिया अल-सुदानी ने नसरल्लाह को "धर्म के मार्ग पर शहीद" बताया। नसरल्लाह की मौत पर तीन दिवसीय राजकीय शोक रखा गया। इस दौरान उसके सम्मान में पूरे देश में प्रार्थना सभाएं आयोजित की गईं।

इराक से नसरल्लाह का गहरा संबंध

नसरल्लाह के इराक से गहरे संबंध हैं, जो धर्म और राजनीतिक विचारधारा दोनों में निहित हैं। 1960 में साधारण परिवार में जन्मे नसरल्लाह ने इराकी शहर नजफ में एक शिया मदरसे में इस्लाम की पढ़ाई की। यहीं पर उसके राजनीतिक विचारों ने आकार लिया और वह दावा पार्टी में शामिल हुआ। हालांकि, इसके बाद वह आतंकवाद के रास्ते पर चल पड़ा। 1982 में लेबनान पर इजरायल के आक्रमण के बाद वह हिजबुल्लाह में शामिल हुआ। ईरान के रिवोल्यूशनरी गार्ड्स के समर्थन से गठित हिजबुल्लाह शुरू में इजरायली सेना का विरोध करने के लिए बनाया गया एक संगठन था।

1992 में संभाली हिजबुल्लाह की कमान

नसरल्लाह ने 1992 में अपने पूर्ववर्ती और गुरु अब्बास मुसावी की हत्या के बाद हिजबुल्लाह की बागडोर संभाली थी। अगले तीन दशकों में उसने समूह को एक बड़ा संगठन बना दिया, जिसकी क्षेत्र में मजबूत पकड़ थी और यह संगठन एक मजबूत शक्ति बनकर उभरा। इसने सीरिया से लेकर यमन तक के संघर्षों को प्रभावित किया और गाजा में फिलिस्तीनी लड़ाकों को प्रशिक्षण दिया। नसरल्लाह के नेतृत्व में हिजबुल्लाह की सैन्य ताकत बढ़ी और राजनीतिक रूप से भी संगठन सशक्त हुआ। इसने इराक और यमन में हमास जैसे समूहों को मिसाइल और रॉकेट मुहैया कराने में मदद की, जो सभी इजरायल और उसके सहयोगियों के विरोध का हिस्सा थे।

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